गुना भाजपा में खत्म हो पाएगी गुटबाजी!: गुरुवार को प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव लेंगे मीटिंग; पढ़िए- क्या रहेंगी चुनौतियां

[ad_1]

  • Hindi News
  • Local
  • Mp
  • Guna
  • State In charge Muralidhar Rao Will Hold A Meeting On Thursday; Read What Will Be The Challenges

गुनाएक घंटा पहले

  • कॉपी लिंक

भाजपा के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव गुरुवार को जिला भाजपा की बैठक लेंगे। चुनावी वर्ष शुरू होने से पहले यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है। संगठन में चल रही उठापठक और समन्वय की कमी के मुद्दे पर वह चर्चा कर सकते हैं। वह पांच चरणों की बैठक लेंगे। उनके आगमन की तैयारी को लेकर पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया की मौजूदगी में एक मीटिंग हुई। वह प्रभारी बनने के बाद पहली बार गुना आ रहे हैं। पिछले दो वर्षों में भाजपा संगठन में कई बार अनुशासन तार-तार हुआ है। नगरपालिका चुनाव में तो भाजपा की और ज्यादा किरकिरी हुई। पहले पढ़िए, भाजपा में क्या उठापठक चल रही है…

नपा चुनाव में संगठन बेबस रहा

भाजपा में उठापठक का सबसे बड़ा नजारा नगरपालिका चुनाव में देखने को मिला। टिकट वितरण से लेकर अध्यक्ष के चुनाव तक गुटबाजी हावी रही। पहले संगठन में उठापठक के आरोप सिंधिया के साथ भाजपा में आये उनके समर्थकों पर लगते रहे हैं। लेकिन, नपा चुनाव ने मूल भाजपा नेताओं के बीच चल रही गुटबाजी खुलकर सामने आई। टिकट वितरण में कार्यकर्ताओं को कथित सम्मान न देने से नाराज एक नेता ने चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया। एक पूर्व जिलाध्यक्ष की पत्नी को टिकट दिया गया, लेकिन वह फॉर्म भरने ही नहीं गए। इससे ये दोनों टिकट बदलने पड़े। वहीं पूर्व विधायक और पूर्व नपाध्यक्ष पर कई प्रत्याशियों ने पीछे के दरवाजे से भाजपा को हराने के आरोप लगाए। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशियों को जिताने के आरोप भी उन पर लगाये। यह भी आरोप लगाए गए कि भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों को आर्थिक मदद भी उनके द्वारा दी गयी। यह दोनों ही नेता मूल BJP से ही आते हैं।

बहुमत के बाद भी निर्दलीय अध्यक्ष बने

गुना नगरपालिका के 37 वार्डों के लिए हुए चुनाव में भाजपा के 19 पार्षद जीतकर आये थे। वहीं कांग्रेस के 12 और निर्दलीय 6 पार्षद जीते थे। निर्दलीय जीतकर आये 6 पार्षदों ने बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था, जिसके बाद BJP के पास 25 पार्षद हो गए थे। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही थी कि अध्यक्ष भाजपा का ही बनेगा। चुनाव 10 अगस्त को होना था। भाजपा की ओर से सविता गुप्ता और सुनीता रघुवंशी दावेदारी कर रहीं थीं। वहीं कांग्रेस की ओर से रश्मि शर्मा के चुनाव लड़ने की पूरी संभावना थी। चुनाव के दिन तक तय नहीं हो पाया था कि भाजपा का मैंडेट किसे मिलेगा। अंतिम समय पर भाजपा ने सुनीता रघुवंशी को मैंडेट दिया, लेकिन कितने पार्षदों तक इस मैंडेट की जानकारी पहुंच पाई, यह आज तक साफ नहीं हो पाया। ऐसी स्थिति में सविता गुप्ता ने भी अपना नामांकन दाखिल कर दिया। चुनाव में निर्दलीय और कांग्रेस प्रत्याशी को 13-13 वोट मिले। वहीं भाजपा के 25 पार्षद होने के बाद भी उसके प्रत्याशी को 9 वोट ही मिल पाए। पर्ची उठाकर फैसला हुआ और निर्दलीय प्रत्याशी सविता गुप्ता अध्यक्ष बनने में सफल हुईं। इस मामले में विवाद और बढ़ गया जब सविता गुप्ता का स्वागत पंचायत मंत्री के बंगले पर हुआ। वहां तत्कालीन जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिकरवार भी मौजूद रहे। इसकी शिकायत वरिष्ठ नेतृत्व तक हुईं।

चुनाव प्रभारी और जिलाध्यक्ष पर सवाल

नगरपालिका चुनाव के लिए पार्टी ने संजीव कांकर को प्रभारी बनाकर भेजा था। लेकिन उन पर भी कई गंभीर आरोप लगे। आर्थिक सहयोग लेने तक के आरोप उन पर कार्यकर्ताओं और नेताओं ने लगाए। उनके बारे में कहा गया कि उन्होंने बहुमत की भावनाओं का ध्यान न रखते हुए जानबूझकर बगावत करने वालों का साथ दिया। वह पहले से ही अपना माइंडसेट बनाकर आये थे। इसके अलावा तत्कालीन जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिंह सिकरवार को भूमिका पर भी सवाल उठाए गए। इस पूरे चुनाव में वह बेबस ही नजर आए। जिलाध्यक्ष की जो भूमिका होनी थी, वह उस पर खरे नहीं उतरे। यह कारण रहा कि प्रभारी मंत्री तक को गलियों-गलियों घूमना पड़ा। पार्षदों को मनाने के लिए अंतिम समय तक वह लगे रहे। अंततः संगठन को संजीव कांकर और जिलाध्यक्ष गजेंद्र सिकरवार को बदलना पड़ा।

ऐसा अनुशासन कभी नहीं बिगड़ा

पिछले दो वर्षों और खासकर नगरपालिका चुनाव में संगठन का अनुशासन तार-तार होता नजर आया। कार्यकर्ता यह तक कहने लगे कि संगठन में अनुशासन की ऐसी खराब हालत कभी नहीं रही। अनुशासन की ऐसी धज्जियां उड़ाई गयीं, कि नपा चुनाव में कांग्रेस का अध्यक्ष बनने की नौबत तक आ गयी। अगर पर्ची सविता गुप्ता की नहीं उठती तो कांग्रेस का अध्यक्ष बन ही गया था। वहीं मूल भाजपा के कई कार्यकर्तसों ने सरेआम प्रभारी मंत्री पद्युम्न सिंह तोमर के सामने कांग्रेस तक जॉइन करने की धमकी दे डाली।

ये रहेंगी चुनौतियां

प्रदेश के प्रभारी मुरलीधर राव पहली बार संगठन की बैठक लेने गुना आ रहे हैं। वह पांच चरणों मे बैठक लेंगे। रात्रि विश्राम भी उनका गुना में ही होगम उनके सामने संगठन में गुटबाजी, आपस मे धुर विरोधी नेताओं को साधने की चुनौती होगी। वहीं कुछ नेता और कार्यकर्ता निष्क्रिय पड़े हुए हैं, उन्हें भी सक्रिय करने के प्रयास करने होंगे। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने की भूमिका भी अभी से बनाने की चुनौती उनके सामने रहेगी, क्योंकि कई नेता आपस मे एक-दूसरे की टांग खींचने में लगे हुए हैं। इसके अलावा पार्टी से खफा चल रहे नेताओं की नाराजगी दूर करने की चुनौती भी रहेगी। ऐसे में यह बैठक संगठन की नजर से काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

खबरें और भी हैं…
[ad_2]
Source link

Related Articles

Back to top button