भगवान महाकाल की पहली सवारी धूमधाम से निकली: श्रद्धालुओं ने राजाधिराज का स्वागत पुष्प वर्षा कर किया

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उज्जैन31 मिनट पहले
उज्जैन। श्रावण-भादौ के बाद भगवान महाकाल कार्तिक एवं अगहन मास में भी भक्तों को दर्शन देने के लिए राजसी ठाठबाट से नगर भ्रमण पर निकलते है। कार्तिक मास के पहले सोमवार को पहली सवारी सांय चार बजे श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर से निकली। सवारी प्रारंभ होने के पहले सभामंडप में विधि विधान से पूजा-अर्चना की गई। नगर भ्रमण के बाद सवारी वापस मंदिर लौटी। सवारी मार्ग पर श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर भगवान महाकाल का स्वागत किया।
श्री महाकालेश्वर मंदिर से परंपरानुसार कार्तिक-अगहन मास में भी प्रति सोमवार को मंदिर के आंगन से भगवान महाकाल की सवारी निकलती है। सोमवार को कार्तिक मास की प्रथम सवारी के नगर भ्रमण पर निकलने के पहले मंदिर के सभामडंप में एसएसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ला, एडीएम संतोष टेगोर, मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने भगवान के मुघौटे का पूजन किया। इसके बाद अधिकारियों ने कंधा से उठाकर पालकी को आगे बढ़ाया। सवारी को मुख्य प्रवेश द्वार पर सशस्त्र पुलिस जवानों ने सलामी दी। सवारी के साथ पुलिस बैंड, घुड़सवार दल, परंपरागत रूप से शामिल होने वाली भजन मंडली के सदस्य भी शामिल थे। वहीं मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन के अधिकारी सवारी की व्यवस्था में लगे थे।
सवारी मार्ग पर दर्शन के लिए डटे रहे श्रद्धालु
भगवान महाकाल के दर्शन के लिए इन दिनों देश भर के श्रद्धालु पहुंच रहे है। वहीं कार्तिक मास की पहली सवारी के दौरान भी सवारी मार्ग पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। प्रशासन ने सवारी निकलने के पहले ही सवारी मार्ग पर सफाई कराने के साथ ही बेरिकेट्स लगाए थे। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं महाकाल की सवारी के दर्शन लाभ लिया।
इन मार्गो से होकर निकली सवारी
श्री महाकालेश्वर मंदिर से शाम चार बजे प्रारंभ हुई बाबा महाकाल की सवारी मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होकर रामघाट पहुंची। शिप्रा तट पर भगवान की पालकी रखकर पुजारी द्वारा पूजन अभिषेक किया गया। करीब 30 मिनिट पूजन के बाद सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, ढाबा रोड़, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होकर शाम को वापस मंदिर लौटी।
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