छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य के पेड़ों को काटने का विरोध

धमतरी, 10 मई (प्रभात लहर) I हसदेव अरण्य को सुरक्षित रखने लगातार विभिन्न समाज और संगठन आगे आ रहे हैं। खनन के नाम पर जंगल के हरे-भरे पेड़ों को काटने का विरोध कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ियां क्रांति सेना ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर हसदेव अरण्य सुरक्षित रखने की मांग की है।

10 मई को छत्तीसगढ़ियां क्रांति सेना के पदाधिकारी कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां एडीएम ऋषिकेश तिवारी को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। बताया कि पांचवी अनुसूचित जिलों में सैकड़ों वर्ग किलोमीटर में फैले सघन जंगलों में से एक हसदेव अरण्य है। यहां सैकड़ों साल पुराने वृक्षों को रात के अंधेरे में काटा जा रहा है। जीवनदायिनी हसदेव नदी की घाटियों में फैले वनों को देश के प्रकृति विज्ञानी भारत के मुख्य अंग फेफड़े की उपाधि देते हैं। मानवीय सभ्यता के प्राणतत्व इन जंगलों को जमीन के नीचे दबे कोयलों के लिए एवं निजी खनन कंपनियों को मुनाफा पहुंचाने के लिये बेदर्दी से खाली किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ महतारी के गर्भ में अनेक खनिज पदार्थों का प्रचुर भंडार है। खनिज के लालच में वनों को काटा जा रहा है। हसदेव के जंगलों हजारों वर्षों से निवासरत मूल निवासियों, लाखों वनचरों, जीव जंतुओं, इको सिस्टम पर जीवन-मृत्यु का भयावह खतरा मंडराने लगा है। चेतावनी दी गई है कि छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को विश्वास में लिए बिना यदि भविष्य में परसा कोल केले नदी बेसिन जैसी कोई भी खनन परियोजना थोपी जाती है तो छतीसगढ़ियां क्रांति सेना एवं उत्तीसगढ़ के मूल निवासी विरोध करेंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में जिलाध्यक्ष निखिलेश देवान, ममता टंडन, उपेंद्र साहू, चित्ररेखा, देवेंद्र साहू, अमरीका सहित अन्य शामिल हैं।