शावकों की रखवाली करने वाली हथिनी की कहानी: घायल ‘चित्रा’ ने तीन शावकों की 4 महीने तक की रखवाली, हर रेस्क्यू में निभाती है भूमिका

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मनोज शुक्ला। सीधी18 मिनट पहले
जंगल में घायल मिली हथिनी अब संजय टाइगर रिजर्व में वन्य प्राणियों की जान बचा रही है। इस हथिनी ने चार महीने तक तीन शावकों की रखवाली भी की है। संजय टाइगर रिजर्व के 9 रेस्क्यू ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पार्क मैनेजमेंट ने इसे जंगली से पालतू हाथी बना दिया है। विशेष अवसरों पर बचाव कार्य करने में ये हथिनी अब अहम भूमिका निभाती है। इसे संजय टाइगर रिजर्व में ‘चित्रा’ के नाम से जाना जाता है। शालीनता, कार्य के प्रति वफादारी, महावत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना, इसकी खास पहचान है।
2019 में छत्तीसगढ़ के जंगल से निकलकर पांच जंगली हाथियों का समूह संजय टाइगर रिजर्व एरिया में पहुंचा था। हाथी गांव के अंदर घुस कर उत्पात मचा रहे थे। रिजर्व बल को जब इसकी सूचना मिली तो रेस्क्यू के लिए दल पहुंचा। देखा कि एक हथिनी के पीछे पैर में गोली लगी है। दल इस हथिनी को अपने साथ संजय टाइगर रिजर्व लाए। इसका इलाज शुरू हुआ। इलाज के बाद महावत ने उसे बाघ के बचाव के गुर सिखाए। छह महीने में यह परिपक्व हो गई। ‘चित्रा’ ने कई अभियानों में भाग लिया। आज भी इसके पैर में घाव है और वह रिसता है।

2019 में छत्तीसगढ़ के जंगल से पांच हाथियों का समूह चमराडोल गांव में पहुंचा था। यहां सभी गांव के अंदर घुस कर उत्पात मचा रहे थे।
तीन बार हुआ चित्रा का ऑपरेशन
संजय गांधी टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक ने बताया कि चित्रा का तीन बार ऑपरेशन कराया गया। पैर से गोली तो निकाल गई, लेकिन कभी-कभी ‘चित्रा’ के पैर में दर्द और घाव उभर आता है, जिसका इलाज किया जाता है। संजय गांधी टाइगर रिजर्व के एसडीओ निकुंज पांडे ने बताया कि 2019 से गांधी टाइगर रिजर्व में शामिल होने के बाद तीन बार जंगली शेर को रिहायशी इलाके से दूर ले जाने में ‘चित्रा’ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। तीन बार जंगली हाथी 2020-21 में रिहायशी इलाके में घुस गए थे, उन्हें छत्तीसगढ़ की सीमा में छोड़ने में इसने भूमिका निभाई है। कुल मिलाकर 9 बड़े रेस्क्यू ‘चित्रा’ ने किए हैं।

तीन बार जंगली हाथी 2020-21 में रिहायशी इलाके में घुस गए थे, उन्हें छत्तीसगढ़ की सीमा में छोड़ने में इसने भूमिका निभाई है। कुल मिलाकर 9 बड़े रेस्क्यू ‘चित्रा’ ने किए हैं।
बाघिन टी-18 के शावकों की रखवाली
निकुंज पांडे ने बताया कि इसी साल अप्रैल में बाघिन टी-18 की ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। उसके चार शावक थे। 4 शावकों में एक को नर बाघ ने मार दिया था। इसके बाद तीन शावक असुरक्षित हो गए थे। उस पर निगरानी करने के लिए ‘चित्रा’ को ही लगाया गया। उसकी बदौलत से आज तीन नन्हें शावक अब अपने आप की सुरक्षा करने के लिए सक्षम हो गए हैं।
यह है ‘चित्रा’ की खासियत
महावत हीरेंद्र यादव बताते हैं कि ‘चित्रा’ 11 वर्ष की है। छह महीने के अंदर इसने सभी तौर तरीके सीख लिए। कोड वर्ड में चलने, बैठने, सूंड़ हिलाने, चिल्लाने, पेड़ को काट कर फेंकने सहित रेस्क्यू के समय हर बात पर तत्काल अमल करती है, जिसका नतीजा है कि हम काम पर सफल हो जाते हैं।
‘चित्रा’ रिजर्व के विशेष रेस्क्यू में नजर आती है। बाघों को कॉलर आईडी लगाने से पहले रेस्क्यू, टी-18 शावकों की मॉनीटरिंग में महावत के साथ नजर आई। कई ऐसे अवसर रहे, जब ‘चित्रा’ ने विभाग को सफलता दिलाने में कामयाब रही है।

छह महीने के अंदर इसने सभी तौर तरीके सीख लिए। कोड वर्ड में चलने, बैठने, सूंड़ हिलाने, चिल्लाने, पेड़ को काट कर फेंकने सहित रेस्क्यू के समय हर बात पर तत्काल अमल करती है।
जख्मी हालत में भी करती है काम
संजय टाइगर रिजर्व के एसडीओ निकुंज पाण्डेय बताते है कि चित्रा वन्यजीवों के प्राण बचाने में चित्रा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके पीछे पैर में गोली लगी थी। ऑपरेशन के बाद वह ठीक है, लेकिन जख्म कभी-कभी ऊभर आता है। जख्मी हालत में भी है अपने कार्यों को बखूबी निभाती है।
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