Motivational Story of DSP Lalita Mehar : फेरी लगाकर कपड़े बेचने वाली की बेटी DSP बनकर आईं तो गांव वालों ने दूध से तौला

Motivational Story of DSP Lalita Mehar: छत्तीसगढ़ पुलिस में DSP ललिता मेहर की सक्सेस स्टोरी उन लोगों के मिसाल है, जो आगे बढ़ने के लिए पारिवारिक बैकग्राउंट को कोसते हैं। ये सामान्य घर में पांच भाई बहनों के साथ पली-बढ़ी। पिता ने गांव जाकर कपड़े बेचकर और मां ने किराना स्टोर चलाकर पढ़ाया। वर्तमान में ललिता मेहर छत्तीसगढ़ के रायपुर में पोस्टेड हैं।
हाल ही एक यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में ललिता मेहर ने अपने परिवार, शिक्षा, सीजीपीएससी की तैयारी और शादी के सवाल पर कई बातें की। साथ वो लम्हा भी याद किया जब ये डीएसपी बनकर पहली गांव आई थी तो गांव वालों ने किस कदर इनके स्वागत में पलक पांवड़े बिछा दिए थे।

ललिता मेहर का बचपन
ललिता मेहर कहती हैं कि बचपन गांव गुडूगमें बीता। हम पांच भाई बहन स्कूल जाया करते थे। गांव में ज्यादातर बच्चे यही सोचते थे कि बस इतना ही कमाओ कि काम चल जाए। मैंने पांचवीं कक्षा तब कर लिया था कि कुछ बड़ा करना है। पिता गांव गांव जाकर हाट बाजार में कपड़ा बेचते हैं। मम्मी घर पर ही किराया स्टोर चलाती थीं। खेतों को भी मां ही संभालती हैं। मेरे गांव में मेरी मां आदर्श रही हैं। उन्हीं से मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। पांचवीं की पढ़ाई गांव गुडुग से की। फिर दो किलोमीटर दूर पुसौर कस्बे के स्कूल में दाखिला लिया। कक्षा छह से 12वीं तक की पढ़ाई वहीं से की।
ललिता मेहर में सीजीपीएससी का सफर
रायगढ़ से कम्प्यूटर साइंस में कॉलेज की डिग्री लेने के बाद स्कूल में पढ़ाना शुरू कर दिया। फिर भाई के कहने पर बैंक की तैयारी करने लगी। उसी समय भाई ने रेवेन्यू इंस्पेक्टर का फॉर्म भर दिया। मैं पहले ही प्रयास में पास हो गई। रेवेन्यू अफसर के रूप में अंबिकापुर में पोस्टेड थी तब तक भी सीजीपीएससी के बारे में ज्यादा नहीं जानती थीं। फिर थोड़ी जानकारी जुटाई और तैयारी शुरू कर दी। डीएसपी बनना चाहती थी। फिर ख्वाब पूरा भी हुआ।
सीजीपीएससी की तैयारी कैसे की
डीएसपी ललिता मेहर ने बताया कि मैंने छह माह की तैयारी सीजीपीएससी एग्जाम क्रैक कर लिया था। 2016 में 25वीं रैंक पाई। 2018 में बतौर डीएसपी ज्वाइन किया। केवल मुख्य परीक्षा से ही दो माह से बिलासपुर से कोचिंग की। मॉक इंटरव्यू भी दिए। सीजीपीएससी की तैयारी सिर्फ मेहनत और खुद पर भरोसा मांगती है।
गांव वालों ने किया जोरदार स्वागत
ललिता मेहर छत्तीसगढ़ पुलिस में डीएसपी बनने के बाद जब पहली बार गांव पहुंची थी तब जोरदार स्वागत किया गया था। ग्रामीणों ने स्वेच्छा से हर घर से दस दस रुपए एकत्रित किया और डीएसपी बेटी ललिता मेहर को दूध से तौला। लोग अपने घरों से भी दूध लेकर आए थे। गांव ही नहीं बल्कि पूरे ब्लॉक में उनकी सफलता का जश्न मनाया गया।
ट्रेनिंग से लौटी घर वाले चौंक गए
ललिता मेहर बताती हैं कि उन्होंने पहले कभी पांच किलोमीटर भी दौड़ नहीं लगाई थी। छत्तीसगढ़ पुलिस का हिस्सा बनने पर प्रशिक्षण में 30-30 किलोमीटर भी दौड़ी हैं। 45 दिन की जंगल ट्रेनिंग का अनुभव तो कभी नहीं भूल सकने वाला है। वो ट्रेनिंग पूरी करके घर लौटी तो त्वचा भी काली पड़ गई थी। हाथ-पैर पर भी कड़ी मेहनत के निशान बन गए थे, जिनकी तस्वीरें इन्होंने आज भी सहज कर रखी हैं।