MP के 6 टाइगर रिजर्व में 1 अक्टूबर से एंट्री: करीब से देख सकेंगे टाइगर; ट्रेवल, स्टे और खर्च से जुड़ी हर बात जानिए…

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भोपाल11 मिनट पहलेलेखक: ईश्वर सिंह परमार
मध्यप्रदेश के सभी 6 टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क 1 अक्टूबर से खुल जाएंगे। टूरिस्ट कोर एरिया में जाकर टाइगर्स के करीब से दीदार कर सकेंगे। टाइगर रिजर्व की सैर करने के लिए आपको पहले ऑनलाइन बुकिंग करना होगी, जो 1 महीने पहले खुल चुकी है।
अच्छी बात ये है कि यदि आप अभी बुकिंग करते हैं तो कान्हा, बांधवगढ़, पन्ना, पेंच, सतपुड़ा और संजय डुबरी में आपको घूमने का मौका मिल सकता है, क्योंकि अक्टूबर के कई दिन के स्लॉट खाली है। दशहरा और दीपावली की छुटि्टयों में भी आप घूम सकते हैं। लोगों की पहली पसंद कान्हा नेशनल पार्क है।
इन टाइगर रिजर्व में जाने के लिए पढ़िए, आपके काम की हर जानकारी…
सबसे पहले जानिए, क्या है कोर एरिया
हर नेशनल पार्क में ऐसा एरिया होता है, जहां जानवरों के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी और भोजन उपलब्ध होता है। वन क्षेत्र का यह सबसे घना जंगल वाला इलाका होता है। किसी भी नेशनल पार्क में बीच के इलाके को कोर एरिया कहा जाता है। कोर एरिया और करीबी ग्रामीण क्षेत्र के बीच का हिस्सा बफर जोन कहलाता है। इसमें कोर एरिया के मुकाबले जंगल व घनत्व कम होता है। बफर एरिया एक तरह से कोर एरिया के चारों ओर रिंग की तरह भौगोलिक क्षेत्र बनाता है और कोर एरिया की सुरक्षा करता है। यहां जानवरों की चहल-कदमी कम रहती है। यानी, कोर एरिया में भी अब टूरिस्ट जानवरों के दीदार कर सकेंगे।

बुकिंग से जुड़ी हर बात
सभी 6 टाइगर रिजर्व 10 अक्टूबर तक बुक हो चुके हैं। 20 से 27 अक्टूबर के बीच पार्क में घूम सकते हैं, क्योंकि दीपावली के आसपास की सीटें अभी खाली हैं। ऐसे में टूरिस्ट छुटि्टयों का मजा भी उठा सकेंगे। सुबह 11 बजे से बुकिंग कराई जा सकती है। www.mponline.gov.in पोर्टल सर्च करने पर ‘राष्ट्रीय उद्यान’ सिंबल पर क्लिक करेंगे तो ऑनलाइन बुकिंग की साइट खुल जाएगी। इसमें दिन के हिसाब से बुकिंग कराई जा सकती है।
बुकिंग में इतना खर्च
- टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्रों में 6 व्यक्तियों के लिए परमिट 2400 रुपए है। यानी 400 रुपए प्रति व्यक्ति।
- बफर क्षेत्र के लिए वाहन सफारी चार्ज 1200 रुपए ही है। यानी 200 रुपए प्रति व्यक्ति।
- प्रीमियम डेट पर दोनों के चार्जेस 600 रुपए से अधिक हो जाते हैं। कुछ नेशनल पार्कों में राशि में थोड़ा बहुत अंतर है।
बुकिंग का यह तरीका
- www.mponline.gov.in पर जाएं और राष्ट्रीय उद्यान क्लिक करें।
- तारीख के हिसाब से सीधे बुकिंग हो जाएगी।
- ट्रेवल एजेंट या एमपी ऑनलाइन से भी बुकिंग होती है।
- अकेला व्यक्ति भी सिंगल टिकट बुक कर सकता है। पूरी गाड़ी भी बुक की जा सकती है।
- ऑफलाइन बुकिंग नहीं है, लेकिन बुकिंग कैंसिल होने की दशा में देर रात तत्काल कोटा के तहत ऐसी कैंसिल सीटों पर ऑनसाइट बुकिंग पार्क के गेट पर ही होती है।

अभी क्यों खुल रहे टाइगर रिजर्व?
बारिश के दिनों में इन पार्कों के कोर एरिया में टूरिस्ट्स की एंट्री 1 जुलाई को बंद कर दी जाती है। हालांकि, बफर जोन खुले रहते हैं, लेकिन टूरिस्ट्स की संख्या में 75% तक कमी आ जाती है। बारिश थमने के बाद कोर एरिया भी 1 अक्टूबर से खुल जाएंगे।
अब MP के टाइगर रिजर्व के बारे में जानिए…
कान्हा टाइगर रिजर्व: नॉवेल ‘द जंगल बुक’ में दिखाया
कान्हा टाइगर रिजर्व देश के बाघों के गढ़ में से एक है। भारत के मध्य में स्थित मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। पार्क में टाइगर, भारतीय तेंदुए, भालू, बारहसिंगा और जंगली कुत्ते की आबादी अधिक है। रुडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध नॉवेल ‘द जंगल बुक’ में दर्शाए गए जंगल को कान्हा टाइगर रिजर्व पर आधारित माना गया है।



बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व: वाहन में बैठकर जंगल सफारी
बांधवगढ़ नेशनल पार्क मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है। पार्क में 22 जंगली जानवर और 250 पक्षियों की प्रजाति पाई जाती है। हाथी पर सवार होकर या वाहन में बैठकर जंगल सफारी कर सकते हैं। बाघों के अलावा अन्य आकर्षण में नीलगाय, चौसिंघा, चीतल, चिंकारा, जंगली सूअर और कभी-कभी लोमड़ी दिखाई दे जाते हैं। इस पार्क में एक मुख्य पहाड़ है, जिसे बांधवगढ़ कहा जाता है।



पन्ना टाइगर रिजर्व: यहां गिद्धों की 6 प्रजातियां
पन्ना टाइगर रिजर्व विंध्य रेंज में स्थित है। यह मध्यप्रदेश के पन्ना और छतरपुर जिलों में फैला हुआ है। केन नदी इस राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य आकर्षण है। यहां जानवरों में बाघ, तेंदुआ, चीतल, चिंकारा, नीलगाय, सांभर और भालू हैं। यह उद्यान 200 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों का घर है, जिनमें लाल सिर वाला गिद्ध, बार-हेडेड हंस, हनी बुजार्ड और भारतीय गिद्ध शामिल हैं। पार्क में गिद्ध की छह प्रजातियां पाई जाती हैं।



पेंच टाइगर रिजर्व: प्रवेश के लिए दो द्वार
पेंच टाइगर रिजर्व मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और सिवनी जिले में स्थित है। इसका नाम पेंच नदी से निकला है, जो इस टाइगर रिजर्व से होकर बहती है। पेंच नदी उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है जो टाइगर रिजर्व को समान रूप छिंदवाड़ा और सिवनी जिले को पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में विभाजित करती है। इस टाइगर रिजर्व में जंगली ग्वार, बाघ, तेंदुआ, बंदर और हिरण आसानी से देखे जा सकते हैं। यह टाइगर रिजर्व नेशनल हाईवे 7 पौनी के पास है और महाराष्ट्र और नागपुर के बहुत करीब है। पर्यटकों के प्रवेश के लिए दो प्रसिद्ध द्वार है, जिन्हें तुरिया और कर्मझिरी नाम दिया गया है।



सतपुड़ा टाइगर रिजर्व: यहां पक्षियों की कई प्रजातियां
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व होशंगाबाद जिले में स्थित है। यहां जानवरों में बाघ, तेंदुआ, सांभर, चीतल, भेडकी, नीलगाय, चौसिंगा, चिंकारा, गौर, जंगली सूअर, जंगली कुत्ता, भालू, काला हिरण, लोमड़ी, साही, उड़न गिलहरी, मूषक मृग और भारतीय विशाल गिलहरी आदि पाए जाते हैं। यहां पक्षियों की भी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें धनेश और मोर प्रमुख हैं।



संजय डुबरी नेशनल पार्क: MP और छत्तीसगढ़ के राज्यों में
संजय डुबरी नेशनल पार्क को गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान भी कहा जाता है। यह मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में स्थित है। पार्क में बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, जंगली सूअर, नीलगाय, चिंकारा, सिवेट, साही, गोह और पक्षियों की 309 प्रजातियां हैं। सबसे आकर्षक पक्षियों में गोल्डन हुडेड ओरियल, भांगराज (रैकेट पूंछ ड्रोंगो), भारतीय पित्त रूफुस-ट्रीपाइ, लेसर एडजुटेंट, लाल सिर वाला गिद्ध, सनरस गिद्ध, भारतीय सफेद पूंछ वाला गिद्ध, मिस्र का गिद्ध और छप्पा (नाइटजार्स) हैं।



MP के इन 6 नेशनल पार्कों को भी जानिए…
माधव राष्ट्रीय उद्यान: माधव राष्ट्रीय उद्यान शिवपुरी में स्थित है। इसका क्षेत्रफल करीब 375 वर्ग किमी है। इसकी स्थापना 1958 में हुई थी।
फॉसिल जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान : डिंडोरी जिले में स्थित इस राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल करीब 0.27 वर्ग किमी है। इसकी स्थापना 1968 में हुई थी। यह क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान है। इसमें पादपों और जन्तुओं के जीवाश्म पाए जाते हैं।
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान : वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल में स्थित है। इसका क्षेत्रफल करीब 4.45 वर्ग किमी है। इसकी स्थापना 1979 में की गई थी।
ओंकारेश्वर राष्ट्रीय उद्यान : यह खंडवा जिले के अंतर्गत आता है। इसका क्षेत्रफल करीब 293 वर्ग किमी है। इसकी स्थापना 2004 में की गई थी।
डायनासोर जीवाश्म उद्यान: यह धार जिले के अंतर्गत आता है। इसका क्षेत्रफल करीब 0.89 वर्ग किमी है। इसकी स्थापना 2010 में की गई थी।
कूनो राष्ट्रीय उद्यान: यह श्योपुर जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 2018 में की गई है। इसका क्षेत्रफल करीब 749 वर्ग किमी है। हाल में यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 चीतों को छोड़ा था।
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