MP-चार जिलों के पशुओं में लंपी वायरस की पुष्टि: अब तक नौ जिलों के जानवरों में मिल चुके लंपी के संदिग्ध लक्षण

[ad_1]

भोपाल3 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
  • मप्र के चार जिलों के पशुओं में लंपी वायरस की पुष्टि

राजस्थान और गुजरात की सीमा से सटे मप्र के जिलों अलीराजपुर, झाबुआ, रतलाम, मंदसौर, नीमच, राजगढ़ और बुरहानपुर में पशुपालन विभाग के उप संचालकों को गाय- भैंस जैसे पशुओं में लंपी स्किन डिसीज से बचाव के लिये विशेष रूप से सतर्क रहने के निर्देश दिये हैं। पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संचालक डॉ. आरके मेहिया ने बताया मध्यप्रदेश के रतलाम, उज्जैन, मंदसौर और खंडवा जिले के पशुओं में लंपी वायरस की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही इंदौर, धार, बुरहानपुर, नीमच और बैतूल जिले के जानवरों में भी संदिग्ध लक्षण मिले हैं।

पशुपालन विभाग का अमला अलर्ट

डॉ.मेहिया ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र की पशु चिकित्सा संस्थाओं, मुख्य ग्राम इकाई, पशु माता महामारी आदि में पदस्थ पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ और सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारियों द्वारा प्रति दिन अपने क्षेत्र का दौरा कर सतत निगरानी रखी जा रही है। निरन्तर उपचार एवं टीकाकरण भी किया जा रहा है।

राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम बना

लंपी वायरस की गंभीर स्थिति को देखते हुए राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भोपाल में कंट्रोल रूप बनाया गया है। सुबह 10 से शाम बजे तक संचालित कंट्रोल रूम का दूरभाष क्रमांक 0755-2767583 है। इस पर फोन करके शिकायत और समस्या दर्ज कराई जा सकती है।

संदिग्ध लक्षण वाले जानवरों के सैंपल जांच के लिए भेजने के निर्देश

लंपी के लक्षण मिलने विभागीय अधिकारी,कर्मचारियों से सभी बायो सिक्योरिटी, बायो सेफ्टी, बेक्टर, कंट्रोल उपाय अपनाने, सैंपल तत्काल भेजने और बीमारी के लक्षणों वाले स्थान से 5 किलोमीटर के दायरे में गोट, पॉक्स, वैक्सीन से रिंग टीकाकरण करने के निर्देश दिए गए हैं। गुजरात और राजस्थान की सीमा पर स्थित जिलों में पशुओं के आवागमन पर रोक प्रभावी रूप से जारी रहेगी।

पॉक्स वायरस से फैल रही बीमारी

डॉ. मेहिया ने बताया कि लंपी स्किन डिसीज, पशुओं की एक वायरल बीमारी है, जो कि पॉक्स वायरस द्वारा पशुओं में फैलती है। यह रोग मच्छर, मक्खी और टिक्स आदि से एक पशु से दूसरे पशुओं में फैलता है। जूनोटिक नहीं होने से मनुष्यों में इस संक्रमण का खतरा नहीं है। अधिकतर संक्रमित पशु 2 से 3 सप्ताह में स्वस्थ हो जाते हैं लेकिन दुग्ध उत्पादकता में कमी कईं सप्ताह तक बनी रहती है। मृत्यु दर एक से 5 प्रतिशत और संक्रामकता 10 से 20 प्रतिशत है।

सुरक्षा और बचाव

लंपी बीमारी से संक्रमित पशु को तत्काल स्वस्थ पशुओं से अलग कर दिया जाना चाहिए। संक्रमित क्षेत्र में मक्खी, मच्छर की रोकथाम के लिये आवश्यक कदम उठाने के साथ अन्य क्षेत्रों से पशुओं का आवागमन, पशु बिक्री, पशु प्रदर्शनी, पशु संबंधित खेल आदि पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाना चाहिए। पशु चिकित्सकों से कहा गया है कि संक्रमित पशु का सैम्पल लेते समय सभी सुरक्षात्मक उपाय का पालन करें।

खबरें और भी हैं…

[ad_2]

Source link