छिंदवाड़ा में गणेश उत्सव की मची धूम!: आकर्षक लाइटिंग से सजा बप्पा का पंडाल, तरह-तरह की झांकियां देखने पहुंच रहे हैं श्रद्धालु

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छिंदवाड़ाएक घंटा पहले

छिंदवाड़ा में इन दिनों गणेश उत्सव धूम धाम से मनाया जा रहा है। घरों के साथ साथ शहर में एक दर्जन से अधिक गणेश पंडाल में भगवान गणेश की आकर्षक झांकी बनाई गई है। छिंदवाड़ा के छोटी बाजार राम मंदिर हाल में समिति ने गणेश प्रतिमा की आकर्षक मूर्ति के साथ भगवान जगन्नाथ झांकी बनाई गई है। गुरैया रोड में छिंदवाड़ा के महाराजा समिति ने 11वे वर्ष में आंध प्रदेश के विक्का विशु मंदिर की मनमोहक झांकी बनाई गई है।

बरारीपुरा में बड़ा गणपति उत्सव समिति 100 वा वर्ष पूरा कर रही है। इस मंडल से 300 से अधिक परिवार जुड़े है स्स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी इस पूजा पंडाल से जुड़े हुए है।गोलगंज में समिति ने गोल गंज के सेठ 11किलो चांदी के आभूषण से शोभायमान है। मेन रोड छोटी बाजार में रात के राजा विराजित हैं।

गणेश चौक में बाल गोपाल समिति के 122 वे वर्ष में रामायण के प्रसंग का चित्रण किया है। लाल बाग में लाल बाग के राजा भगवान शिव अपने अर्ध नारीश्वर रूप में कैलाश में विराजित है। लाल बाग के बाद शाह में भगवान कृष्ण अर्जुन को विराट स्वरूप को दर्शन दे रहे है इसके बाद भगवान गणेश भी प्रकट होते दिख रहे है।

श्याम टाकीज के पास नरसिहपुर रोड में आदिशक्ति गणेश पूजा समिति 39 वे वर्ष में गुजरात सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर की आकर्षक झांकी बनाई गई है जागीरदार कॉम्पलेक्स में समिति ने आदिवासी महलों की झलक के साथ देवगढ़ किले में गणेश भगवान कमर में नाग लपेटे हुए हुए बैठे हैं।परतला में परतला के राजा आकर्षक पूजा पंडाल में विराजित है।

मोहन नगर में मोहन नगर के नाम से मशहूर समिति ने बारह ज्योतिर्लिंग के विषय में बताने के बाद भगवान गणेश प्रकट होकर श्रद्धालुओ को आशीर्वाद दे रहे है। बड़ी माता मंदिर के पास बालाजी सेवा समिति ने 34 वे साल भगवान गणेश की 21 फिट ऊंची प्रतिमा महाराष्ट्र में तर्ज पर झांकी बनाई है।

100 साल से सज रहा बड़े गणपति का पंडाल

छिंदवाड़ा में गणेशोत्सव की धूम मची हुई है। यहां कुछ ऐसे पंडाल भी है जहां गणेश स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। दरअसल छिंदवाड़ा के बड़ा गणपति गणेश पंडाल में 1922 को पहली बार सार्वजनिक गणेश प्रतिमा की स्थापना की गई थी।

100 सालों से अनवरत गणपति बप्पा यहां विराजमान होकर भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण कर रहे हैं। इस बार मंडल स्थापना का शताब्दी वर्ष धूमधाम से मना रहा है। मंडल से जुड़े बुजुर्ग सदस्यों ने बताया कि सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की स्थापना 1922 में गणेश चतुर्थी पर हुई। नगर में सार्वजनिक रूप से श्री गणेशोत्सव मनाने का यह पहला प्रयास था।

बाल गंगाधर तिलक से ली थी प्रेरणा

आयोजक समिति के वरिष्ठ सदस्यों ने बताया किलोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के स्वदेशी जागृति से प्रेरणा लेकर देशवासियों में धार्मिक स्नेह एवं देश प्रेम तथा सामाजिक संगठन के लिए इस मंडल की स्थापना की गई। नगर में श्री गणेश प्रतिमा की विशालता के कारण इसे ‘बड़ा गणपति’ की प्रसिद्धी प्राप्त हुई।

तब शहर में कोई मूर्तिकार नहीं था। प्रतिमा का निर्माण मंडल के संस्थापक नारायणराव थोरात ही करते थे। लोग उनका सहयोग करते थे। धीरे-धीरे उन्हीं की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से नगर में गणेश एवं अन्य प्रतिमाएं बनाई जाने लगीं।वर्ष 1960 तक गणेश उत्सव एवं मां दुर्गा प्रतिमा स्थापना बरारीपुरा स्थित एक 1 कच्चे मकान में की जाती थी। 1961 में इस भवन को उसके साथ भूमि मंडल ने ले ली। तब से मंडल सभी आयोजन उसी भवन में कर रहा है।

100 साल से हर वर्ष बरारीपुरा में सार्वजनिक रूप से गणेश प्रतिमा की स्थापना कर दस दिवसीय गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। मंडल के संस्थापक सदस्यों में मनोहर राव घाटे, कृष्णास्वामी नायडू, मानिकराव चौरे शामिल है।

बरारीपुरा में आजादी के दूसरे साल से हो रही स्थापना

बरारीपुरा में पटेल परिवार द्वारा सात दशक से अधिक समय से श्रीगणेश जी की स्थापना की जा रही है। वर्ष 1948 में नन्हे पटेल एवं लालसिंह पटेल द्वारा भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना की शुरुआत की गई थी।

इस वर्ष श्रीगणेश स्थापना की हीरक जयंती मनाई जा रही है। यहां की खासियत यह है कि सात दशक से अधिक समय से यहां पर स्थापित होने वाली प्रतिमा का निर्माण नागपुर में ही हो रहा है।

इसके अलावा यहां के डेकोरेशन की जिम्मेदारी भी सात दशकों से एक ही परिवार संभाल रहा है। गणेशोत्सव पर निकाली जाने वाली शोभायात्रा के लिए पहले बैंड भी नागपुर से ही बुलाए जाते थे।

6 सितंबर 1948 से प्रारंभ हुआ प्रतिमा स्थापना का क्रम बलकरण पटेल बताते हैं कि सबसे पहले 6 सितंबर 1948 को भगवान श्रीगणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। इस वर्ष श्रीगणेश स्थापना की हीरक जयंती मनाई जा रही है।

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