Chhattisgarh

निरंतर प्रयास करना ही सफलता का मूलमंत्र है – आईपीएस सुश्री अंकिता शर्मा

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

सक्ती – जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिये इच्छाशक्ति होना बहुत जरूरी है। जीवन में हर कठिनाई व परीक्षा को चुनौती के रूप में स्वीकार करना व पूरे मनोभाव , दृढ़ इच्छा शक्ति के किसी कार्य को करना व्यक्ति को उसकी सफलता की मंजिल तक पहंचा सकता है। जीवन में वही व्यक्ति सफल होता है जिसे यह ज्ञात होता है कि मुझे क्या करना है , कैसे करना है और कैसे मंजिल तक पहुंचना है ?

हर व्यक्ति के अंदर एक प्रतिभा होती है तथा उस प्रतिभा को जागृत करना व निरंतर प्रयास करना ही सफलता का मूलमंत्र है। जीवन में सफल होने वाले व्यक्ति हमेशा बड़ा सोचते हैं और हर बड़ा सोचने वाला व्यक्ति परिश्रम के द्वारा एक दिन जरूर सफल होता है। यूपीएससी क्रैक करने के लिये काबिलियत के साथ साथ हार ना मानने का जज्बा भी होना चाहिये।


उक्त बातें छत्तीसगढ़ की पहली महिला आईपीएस और सक्ती जिले के तेजतर्रार पुलिस अधीक्षक सुश्री अंकिता शर्मा ने संक्षिप्त चर्चा में अरविन्द तिवारी से कही। बताते चलें एक ओर जहाँ इनके पुलिसिंग कार्यप्रणाली से नक्सली भी थर्राते हैं वहीं दूसरी ओर यूपीएसपी छात्र छात्राओं को अध्यापन – मार्गदर्शन देने से ये लाखों युवाओं के प्रेणास्रोत भी हैं। अपने क्षेत्र में अभिनव पहल के चलते भी लोग इन्हें सैल्यूट करते हैं , सोशल मीडिया पर इनके लाखों फालोअर हैं। आज हम ऐसे ही जांबाज महिला आईपीएस से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं , जो परिचय की मोहताज नही है। इन्होंने कठिन मेहनत से आईपीएस बनने तक का सफर हासिल किया है। इनकी बहादुरी के किस्से आज देश भर में मशहूर हैं।

आईपीएस सुश्री अंकिता शर्मा छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के सिकोसा गांव की निवासी हैं और इनका ननिहाल पाटन में है। इनका जन्म 25 जून 1990 को हुआ , इनकी मां सविता शर्मा एक गृहिणी हैं और पिता राकेश शर्मा एक बिजनेमैन हैं। ये तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रहने वाली अंकिता ने सेंट जेवियर्स स्कूल दुर्ग से अपनी प्रारंभिक शिक्षा हासिल की है। इसके बाद इन्होंने छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय से फाइनेंस और ह्य्मन रिसोर्स में एमबीए की , जिसमें ये गोल्ड मेडलिस्ट हैं। इसके बाद वे सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिये दिल्ली गईं , लेकिन उनका वहां मन नहीं लगा। छह महीने में ही वे दिल्ली छोड़कर अपने घर वापस आ गई और वहीं से परीक्षा की तैयारी करने की ठानी। आईपीएस अधिकारी अंकिता शर्मा दो बार यूपीएससी क्रैक करने में असफल रही थीं लेकिन अपनी कड़ी मेहनत , लगन के दम पर उन्होंने तीसरे प्रयास में परीक्षा को पास किया और आईपीएस बनीं। इन्होंने यूपीएससी 2018 की परीक्षा में 1035 अंको के साथ 203 रैंक हासिल की थी। इन्हें छत्तीसगढ़ कैडर में आईपीएस रैंक आवंटित हुई थी और इसके साथ ही वे राज्य की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनी थीं। बेसिक ट्रेनिंग के बाद इन्होंने बतौर ट्रेनिंग पोस्टिंग जिला बलौदाबाजार में कार्य किया। इसके बाद रायपुर में सीएसपी आजाद चौक रायपुर में उन्हें पहली पोस्टिंग मिली। यहां सुश्री अंकिता शर्मा हर रविवार अपने रूटीन से समय निकालकर गरीब बच्चों को यूपीएसपी की पढ़ाई करवाती थीं , ताकि पैसे के अभाव में कोई प्रतिभावान बच्चा पीछे ना रह जाये। वे बताती हैं कि अन्य प्रदेशों की तरह छत्तीसगढ़ से भी काफी युवा सिविल सेवा में जाना चाहते हैं , मगर यहां ना तो उच्च स्तरीय कोचिंग संस्थान हैं और ना ही युवाओं को ढंग से मार्गदर्शन मिल पाता है। यूपीएससी की तैयारी के दौरान मैने छत्तीसगढ़ के युवाओं की इस समस्या को करीब से देखा , जाना और समझा। इसलिये आईपीएस बनने के बाद छत्तीसगढ़ के युवाओं की इस समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठाया। वे कहती हैं कि महिलायें किसी से कम नही हैं और उन्होंने लोगों की सेवा के लिये ही वर्दी पहनी है। राजधानी में पोस्टिंग के दौरान छत्तीसगढ़ी राजगीत अरपा पैरी के धार लिखी साड़ी पहनकर सोशल मीडिया में विशेष जगह बनाने वाली आईपीएस अंकिता शर्मा को लोग सैल्यूट करते नजर आये। राजधानी में सेवा करने के बाद एडिशनल एसपी नक्सल ऑपरेशन जगदलपुर में पोस्टिंग होने पर इन्होंने नक्सल उन्मूलन के क्षेत्र में महिला अधिकारी होने के बाद भी बेहतरीन कार्य किया और कई मौकों पर वहां के जंगलों में टीम का नेतृत्व किया। इस दौरान इन्होंने नक्सलियों के खिलाफ कई सफल अभियान चलाये , इनकी जांबाजी के किस्से देश भर में मशहूर हैं। इसके बाद सितंबर 2022 में इनकी पुलिस अधीक्षक के रूप में अहम पोस्टिंग नवीन जिला खैरागढ़ के प्रथम पुलिस अधीक्षक के रूप में हुई , जहां इन्होंने अपनी सेवायें देकर जिला सक्ति के पुलिस अधीक्षक अधीक्षक के पद पर पदस्थ हुई हैं। ये किरण बेदी को अपना रोल माडल मानती हैं। इनको घुड़सवारी और बैडमिंटन का खासा शौक है। ये योगा , प्राणायाम और शारीरिक कसरत करती हैं खान-पान पर भी विशेष ध्यान देती हैं , छत्तीसगढ़ी व्यंजन में इनको मां के हाथ चीला और टमाटर मिर्च की चटनी काफी पसंद है।

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