व्यापारी ने श्रीकृष्ण से करवाई बेटी की शादी: ग्वालियर में 4 दिन निभाई गईं रस्में, जानें, आखिर क्यों हुआ ऐसा विवाह

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ग्वालियर7 घंटे पहले

ग्वालियर में एक शादी इन दिनों खूब चर्चा में है। दुल्हन व्हील चेयर पर शादी के मंडप में पहुंची। यहां दूल्हा नजर नहीं आया तो सब सोच में पड़ गए। कुछ देर बाद भगवान कृष्ण (प्रतिमा) दूल्हा बनकर पहुंचे। भगवान को सिंहासन पर विराजित किया गया।

बारातियों ने खूब नाच-गाना किया, वरमाली भी पहनाई गई। शादी की सारी रस्में भी हुईं। विदाई में पिता वैसे ही रोए जैसे बेटी को पराए घर भेजते समय आंखें भर आती हैं। बस इस शादी में विदाई के बाद बेटी पति (श्रीकृष्णा) को लेकर पिता के घर लौट आई। अब आपके मन में यही सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यह शादी हुई ही क्यों?

शादी के बाद पूरे परिवार के साथ सोनल श्रीकृष्ण की प्रतिमा को लेकर अपने घर लौट आई। वह गंभीर बीमारी से जूझ रही है।

शादी के बाद पूरे परिवार के साथ सोनल श्रीकृष्ण की प्रतिमा को लेकर अपने घर लौट आई। वह गंभीर बीमारी से जूझ रही है।

पहले जान लेते हैं दुल्हन के बारे में…

ग्वालियर के मोहना निवासी शिशुपाल राठौर व्यवसायी हैं। उनका बिल्डिंग मटेरियल का काम है। उन्होंने बताया कि उनकी बड़ी बेटी साेनल (26) गंभीर बीमारी से जूझ रही है। बिटिया को ल्यूकोडिस्ट्रॉफी नामक बीमारी है। यह अनुवांशिकी बीमारी है, जिसमें पीड़ित का शरीर रिस्पॉन्स नहीं करता है। सोनल 5 साल तक तो आम बच्चों की तरह ही मस्ती किया करती थी, लेकिन इसके बाद उसके शरीर ने काम करना कम कर दिया। डॉक्टर को दिखाया तो बीमारी का पता चला। साल 2019 आते-आते पूरे शरीर से रिस्पॉन्स गया। बेटी की ऐसी हालत देख पिता दुखी रहने लगे। इसी समय किसी ने उन्हें बताया कि शायद शादी के बाद यह बीमारी खत्म हो जाए। इसके बाद उन्होंने बेटी के हाथ पीले करने का मन बनाया।

सोनल को ब्याहने खुद भगवान कृष्ण आए। इस उन्होंने सोनल को वरमाला डालकर ब्याह रचाया।

सोनल को ब्याहने खुद भगवान कृष्ण आए। इस उन्होंने सोनल को वरमाला डालकर ब्याह रचाया।

अचानक तय हुई शादी, दो दिनों में सारी तैयारियां पूरी
राठौर ने बताया कि 6 नवंबर को उन्होंने रिश्तेदारों को कॉल किया और 7 नवंबर के लिए आमंत्रित किया। रिश्तेदार भी शादी का निमंत्रण पाकर आश्चर्यचकित रह गए। कुछ रिश्तेदारों ने तो पूछा कि ऐसा कौन युवक है, जो शारीरिक रूप से अक्षम बेटी से शादी कर रहा है। सोनल की बुआ ने कहा- अरे वृंदावन से स्वयं कन्हैया जी बेटी को ब्याहने आ गए हैं।

दूल्हे बने भगवान श्रीकृष्ण का सभी ने स्वागत किया। इसके बाद फलदान की रस्म निभाई गई।

दूल्हे बने भगवान श्रीकृष्ण का सभी ने स्वागत किया। इसके बाद फलदान की रस्म निभाई गई।

बारात आई, डांस के साथ जयमाला भी हुई
सोनल की शादी में पिता ने कोई कमी नहीं रखी। हल्दी, मेंहदी, संगीत के साथ ही सारी रस्में निभाई गईं। उसे ब्याहने खुद श्रीकृष्ण बारात लेकर द्वार पर पहुंचे। यहां गांववालों ने बारात का स्वागत किया। द्वार पर जमकर बारातियों ने डांस किया। वरमाला के बाद फेर हुए फिर विदाई हुई। माता-पिता के साथ पूरे परिवार समेत गांववाले रोए। सोनल अपने पति के साथ कृष्ण मंदिर पहुंची, जहां से भाई वापस उसे घर लेकर आया।

भगवान से शादी करने के बाद सोनल की विदाई हुई। व्हील चेयर पर बैठी सोनल भगवान को साथ लेकर घर लौटी।

भगवान से शादी करने के बाद सोनल की विदाई हुई। व्हील चेयर पर बैठी सोनल भगवान को साथ लेकर घर लौटी।

अब श्रीकृष्ण ही सहारा
राठौर का कहना है कि सोनल से पहले उनके सात साल के बेटे को यह गंभीर बीमारी थी, जो इस दुनिया में नहीं रहा। यह अनुवांशिक बीमारी है, जो लाइलाज है। बेटी के जीवन में थोड़ी खुशी लाने के लिए यह सब किया। लोगों ने कहा- भगवान से शादी कर दो, हो सकता है कुछ राहत मिल जाए। मैंने उनकी बातों को सुना और छोटा सा कार्यक्रम करने का सोचा। हालांकि इसने अपने आप बड़ा रूप ले लिया। जीवन को भगवान श्रीकृष्ण ही संभालेंगे, मैंने यह शादी की है।

सोनल के पिता ने कहा- बेटी की शादी भगवान के साथ हुई है। अब भगवान ही बेटी को संभालेंगे।

सोनल के पिता ने कहा- बेटी की शादी भगवान के साथ हुई है। अब भगवान ही बेटी को संभालेंगे।

मेटाक्रोमैटिक ल्यूकोडिस्ट्रॉफी क्या है?

मेटाक्रोमैटिक ल्यूकोडिस्ट्रॉफी (MLD) ऑटोसोमल रिसेसिव जेनेटिक डिसऑर्डर है। यह नर्वस सिस्टम से जुड़ी समस्या है। इसकी शुरुआत तब होती है, जब एरिलसल्फेटस ए या SRSA एंजाइम शरीर में अनुपस्थित होता है। इसका काम फैट यानि सल्फाटाइड्स को तोड़ना है। जब शरीर में SRSA एंजाइम नहीं होता है, तो सेल्स में फैट जमने लगता है। इस कारण शरीर में किडनी, नर्वस सिस्टम, ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड से भी जुड़े हैं। नर्वस सिस्टम को नुकसान होने से इलेक्ट्रॉनिक इम्पल्स पहुंचाने में भी समस्या होने लगती है। इस कारण मसल्स में कंट्रोल कम होने या खोने लगता है।

दुनिया में एक लाख में से एक को होती है बीमारी

ये बीमारी रेयर है। विश्वभर में करीब एक लाख लोगों में केवल एक व्यक्ति को ये डिसऑर्डर होता है। ये तीन प्रकार के होते हैं। पहला- लेट इंफेंटाइल, जो छह से 24 महीने के बच्चों को होता है। जुवेनाइल एमएलडी (MLD)- तीन से 16 साल की उम्र में दिखता है। एडल्ट एमएलडी- यह एडल्ट या टीनएजर्स की एज में दिखता है।

सोनल की बहन शिवानी ने कहा कि वह बहुत खुश है कि उसे जीजा जी के रूप में भगवान श्रीकृष्ण मिले हैं।

सोनल की बहन शिवानी ने कहा कि वह बहुत खुश है कि उसे जीजा जी के रूप में भगवान श्रीकृष्ण मिले हैं।

माता-पिता भी हो सकते हैं कैरियर

जब जीन की दोनों कॉपीज इस डिसऑर्डर से प्रभावित होती है, तो लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। अगर बच्चे को ये बीमारी है, तो जरूरी नहीं कि माता-पिता को भी वो बीमारी हो, लेकिन माता-पिता कैरियर के रूप में भी काम कर सकते हैं। अगर माता-पिता दोनों ही कैरियर हैं, तो 25 % आशंका है कि बच्चे को ये डिसऑर्डर हो।

ये होते हैं लक्षण

मसल्स टोन में कमी, चलने में कठिनाई, बार-बार गिरना, खाने में समस्या, एब्नॉर्मल मसल्स मूवमेंट, व्यवहार में समस्याएं, मेंटल फंक्शन में कमी, इंकॉन्टिनेंस, मसल्स कंट्रोल में लॉस, सीजर्स, बोलने में कठिनाई, निगलने में दिक्कत।

क्या ट्रीटमेंट उपलब्ध है

इस बीमारी का स्थाई ट्रीटमेंट उपलब्ध नहीं है। यानि बीमारी को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता। हां, लक्षणों को दवाओं की सहायता से कम किया जा सकता है। वहीं, थेरेपी की हेल्प से स्पीच, मसल्स मूवमेंट और जीवन की गुणवत्ता को सुधारा जा सकता है। कुछ लोगों को बोन मैरो या कॉर्ड ब्लड ट्रांसप्लांट की सहायता भी ठीक किया जा सकता है। थेरेपी की मदद से एंजाइम शरीर में पहुंचाया जाता है, जो शरीर में उपलब्ध नहीं होता है। ये भविष्य में नर्वस सिस्टम में होने वाले डैमेज को कम करता है।

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