सरदार सरोवर बांध: बैक वाटर से फसल निकालने में तीन गुना बढ़ाए मजदूर, 4 गुना बढ़ी मेहनत, नहीं मिल रही लागत

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बड़वानीएक घंटा पहले

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टापू बने खेत से नाव से दूसरे किनारे तक फसल पहुंचाते किसान। - Dainik Bhaskar

टापू बने खेत से नाव से दूसरे किनारे तक फसल पहुंचाते किसान।

सरदार सरोवर बांध के बैक वाटर के कारण किसानों को फसल सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने में मशक्कत करना पड़ रही है। हाल ये है कि टापू बने राजघाट क्षेत्र में खेतों से फसल निकालने में तीन गुना मजदूर बढ़ाना पड़े हैं। वहीं मेहनत चार गुना बढ़ गई है। किसानों ने बताया खर्च बढ़ने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। रोड बन जाती, तो फसल निकालने के लिए मशक्कत नहीं करना पड़ती। वहीं अब एनवीडीए के अधिकारी फोन भी नहीं उठा रहे हैं।

सरदार सरोवर बांध का जलस्तर 138.63 मीटर है। बिजली बनाकर 63723 क्यूसेक व 0.65 मीटर ऊंचाई तक एक गेट खोलकर 5000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। वहीं राजघाट में नर्मदा का जलस्तर 138.30 मीटर है। राजघाट टापू से लगे खेतों से अब किसान फसल निकालने में लगे हैं। लेकिन समय पर नाव नहीं मिलने से परेशानी आ रही है। किसान सुनील कुमावत शनिवार को खेत से भुट्टे घर पहुंचाए। उन्होंने बताया पहले फसल निकालने के लिए 15 मजदूर लगते थे।

लेकिन अब 40 मजदूर लगाना पड़े हैं। क्योंकि खेत में फसल इकट्‌ठा करने के बाद फसल को बैक वाटर किनारे लाना पड़ता है। इसके बाद नाव से दूसरी ओर ले जाकर फसल को ट्रैक्टर ट्राॅली में लोड करते हैं। वहीं पहले 4 हजार रुपए खर्च लगता था, जो अब बढ़कर 12 हजार रुपए हो गया है। ऐसे में लागत भी नहीं निकलेगी। वहीं तेज हवा में नाव पलटने का भी खतरा बना रहता है। ऐसे में बैक वाटर में से जान जोखिम में डालकर नाव से फसल किनारे पर ला रहे हैं। उन्होंने बताया टापू बने खेतों तक आवाजाही के लिए रोड मंजूर हो चुकी है।

लेकिन एनवीडीए अफसरों की अनदेखी के कारण अब तक रोड का निर्माण शुरू नहीं हुआ है। वहीं अफसरों को फोन लगाने पर वे फोन नहीं अटैंड करते या फिर रोड निर्माण शुरू होने का दावा करते हैं। जबकि हकीकत ये है कि रोड का निर्माण कार्य शुरू ही नहीं हुआ है। इसके चलते किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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