छतरपुर कोर्ट का फैसला: सहायक यंत्री को को सुनाई 5 साल की कैद

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छतरपुर (मध्य प्रदेश)19 मिनट पहले

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छतरपुर में अदालत ने सहायक यंत्री को 5 साल की कठोर कैद की सजा सुनाई है। सहायक यंत्री ने निर्माण कार्य में ठेकेदार से रिश्वत की मांग की थी। जिसकी शिकायत लोकायुक्त पुलिस से की गई जहां लोकायुक्त ने सहायक यंत्री को रंगे हाथों रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। जहां अब कोर्ट ने सहायक यंत्री को पांच साल की कठोर कैद के साथ 25 हजार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई है।

यह है पूरा मामला..

एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि मुंबई निवासी फरियादी विनोद कुमार दुबे ने 27 फरवरी 2015 को लोकायुक्त सागर में शिकायत की थी कि उसने सिचाई विभाग में भेल्दा डेम की नहर बनाने का ठेका 2 करोड़ 29 लाख रुपए में लिया था। इस नहर के कार्य की सुरक्षा निधि में जमा करने का भुगतान करने के एवज में अरविंद गुप्ता सहायक यंत्री जल संसाधन उपसंभाग कार्यालय बड़ामलहरा उससे 14 हजार रुपए की रिश्वत की मांग कर रहा है। और वह आरोपी अरविंद को रिश्वत नही देना चाहता है और उसे रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है।

लोकायुक्त ने किया ट्रेप..

लोकायुक्त पुलिस ने विनोद को वॉयस रिकॉर्डर देकर आरोपी की रिश्वत मांगने की बात रिकॉर्ड कराई और 3 मार्च 2015 को लोकायुक्त दल 4 बजे तहसील बड़ामलहरा पहुंचा जहां विनोद को रिश्वत की राशि पांच हजार रुपए देकर जल संसाधन विभाग के कार्यालय में भेजा और ट्रेप दल को विनोद ने रिश्वत की राशि देकर जैसे ही बाहर आकर इशारा किया, तो तत्काल लौहयुक्त पुलिस ने घेराबंदी करके सहायक यंत्री को रंगे हाथो पकड़ लिया और रिश्वत की राशि जब्त कर मामला कोर्ट में पेश किया।

विशेष न्यायाधीश सुधांशु सिन्हा की अदालत ने सुनाई सजा..

अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक केके गौतम ने पैरवी करते हुए सबूत और गवाह कोर्ट के सामने पेश किए। और कोर्ट में दलील रखी कि भ्रष्टाचार समाज के लिए बहुत घातक है। आरोपी को कठोर से कठोर सजा दी जाए।

अदालत ने फैसला सुनाया है कि लोकसेवकों के द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना एक विकराल समस्या हो गई है। जो समाज को खोखला कर रही है। भ्रष्टाचार लोकतंत्र और विधि के शासन की नीव को हिला रहा है। ऐसे मामलों में आरोपी को सजा देते समय नम्र रुख अपनाया जाना विधि की मंशा के विपरीत है और भ्रष्टाचार के प्रति कठोर रुख अपनाया जाना समय की मांग है।

कोर्ट ने आरोपी सहायक यंत्री अरविंद गुप्ता को दोषी ठहराते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 में चार साल की कठोर कैद 10 हजार रुपए जुर्माना और धारा 13(1)(डी)/13(2) में पांच साल की कठोर कैद के साथ 15 हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई।

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