9 साल से चल रही रिसर्च सफल: कोयला, गन्ना, चावल और बांस की राख मिलाकर बनाई ईको फ्रेंडली नैनो सीमेंट, यह आम सीमेंट से मजबूत, सस्ती

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सागर8 मिनट पहलेलेखक: संदीप तिवारी
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- लैब में सीमेंट पर प्रयोग करती डॉ. राय।
सागर के डॉ. हरीसिंह गौर विवि के रसायन शास्त्र विभाग ने नौ साल की रिसर्च के बाद ईको फ्रेंडली नैनो सीमेंट तैयार कर ली है। यह सीमेंट कोयले और गन्ने की राख, चावल के भूसे की राख और बांस की पत्तियों की राख मिलाकर बनाई है। यह बाजार में मिलने वाली आम सीमेंट की तुलना में ज्यादा मजबूत, 15% सस्ती और चार गुना ज्यादा जंग प्रतिरोधन क्षमता वाली है। सीमेंट लैब में हुई टेस्टिंग के बाद इस बात की पुष्टि हो गई है। साथ ही यह सीमेंट बनाने में 40% कम कार्बन उत्सर्जन हुआ, इससे पर्यावरण को कम नुकसान होगा। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सरिता राय ने 2013 में शोध की शुरुआत शोधार्थी शिवानी तिवारी के साथ की थी।
यह है फार्मूला : 85 फीसदी सीमेंट, 15 फीसदी वेस्ट
डॉ. शिवानी तिवारी के मुताबिक शोध के लिए हमने बाजार में प्रचलित सीमेंट ली। पहले सीमेंट में पानी मिलाया। 15% कोयला की राख मिलाई। दूसरे चरण में गन्ने की राख को मिलाया। तीसरे चरण में चावल की भूसी की राख मिलाई। अंतिम चरण में बांस की पत्तियों की राख बनाकर सीमेंट में मिलाई। चारों प्रकार के वेस्ट को बराबर मात्रा में लेकर सीमेंट में मिलाकर हाइड्रेशन प्रॉपर्टी चेक की। बाद में जो स्थिति रही, वह यह कि 85% बाजार का सीमेंट और 15% कोयला की राख, गन्ने की राख, चावल के भूसे की राख एवं बांस की पत्तियों की राख को मिलाने पर ईको सीमेंट तैयार हाे गई।
ईको फ्रेंडली सीमेंट को लेकर ये दावे
- वेस्ट मटेरियल लगने से वातावरण सीधे तौर पर स्वच्छ होगा। लोग वेस्ट मटेरियल यहां-वहां फेंकने की जगह उसे सीमेंट फैक्टरियों को बेचने लग जाएंगे।
- यह अपनी क्षमता की 100 प्रतिशत मजबूती देती है।
- कुछ मिनट बाद पूरी तरह से सेट हो जाती है। इससे बहुमंजिला इमारतों में ज्यादा कारगर होगी।
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