Chhattisgarh

सरकार का इंतज़ार छोड़, छिंदपहरी के ग्रामीणों ने खुद गढ़ी उम्मीद

श्रमदान से बनाई सड़क लापरवाही के अंधेरे में ग्रामीणों ने जगाई विकास की लौ

पाली , पाली विकासखंड के ग्राम पंचायत सपलवा के आश्रित मोहल्ला छिंदपहरी के ग्रामीणों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब व्यवस्था सो जाती है, तब जनता खुद जागकर रास्ता बनाती है। वर्षों से सड़क जैसी मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहे ग्रामीणों ने इस बार सरकार की ओर उम्मीद भरी नज़र उठाने के बजाय अपने हाथों में फावड़ा-गैंती उठा ली और श्रमदान कर सड़क तैयार कर दी।


छिंदपहरी से सपलवा मुख्यमार्ग की दूरी भले ही कम हो, लेकिन तकलीफों का यह सफर वर्षों से लंबा होता जा रहा है। हर बरसात के बाद यह कच्चा मार्ग गहरे गड्ढों में बदलकर मानो चुनौती बन जाता है। बीमार लोगों को अस्पताल ले जाना हो, बच्चों को स्कूल भेजना हो या गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित जगह पहुंचाना,हर कदम जोखिम से भरा रहता है। इसके बावजूद प्रशासन की खामोशी और उदासीनता ने ग्रामीणों को निराशा की उस कगार तक पहुंचा दिया, जहां श्रमदान ही एकमात्र विकल्प बचा। गांव की बैठक में एक स्वर में निर्णय हुआ सरकार आए न आए, हम अपनी सड़क खुद बनाएंगे। और ग्रामीण जुट गए। सूरज की धूप और मिट्टी की गर्मी झेलते हुए बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने श्रमदान किया। सड़क तैयार तो हो गई, लेकिन यह केवल मिट्टी का मार्ग नहीं यह गांव की तकलीफ, संघर्ष और आत्मसम्मान का प्रतीक बन गया है। ग्रामीणों ने बताया कि वर्षों से दिए गए आवेदन, ज्ञापन और गुहारें सरकारी फाइलों की धूल में कहीं खो गए। हम तो बस वोट बैंक बनकर रह गए हैं, यह दर्द हर ग्रामीण की आवाज़ में साफ झलकता है। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों का हर दिन उसी रास्ते में फंसकर बीतता है, जिसकी मरम्मत उनके अपने हाथों से होती है। अब सवाल यह है,क्या इस दर्द की आवाज़ प्रशासन तक पहुंचेगी, क्या कोई अधिकारी इस उबड़-खाबड़ रास्ते से गुजरकर समझ सकेगा कि ग्रामीण किस हाल में जी रहे हैं। उम्मीद हर बार की तरह इस बार भी बनी हुई है, लेकिन साथ ही थकान भी। छिंदपहरी के ग्रामीणों ने रास्ता बना तो लिया, लेकिन अब समय है कि जनप्रतिनिधि और विभाग भी जागें, क्योंकि विकास का भार सिर्फ ग्रामीणों पर नहीं, शासन पर भी है।छिंदपहरी की यह सड़क बताती है। जब व्यवस्था सोती है, तो जनता अपनी तकदीर खुद लिखती है।

Related Articles

Back to top button