विंध्य पुनरोदय मंच ने भरी हुंकार: रीवा में विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर सैकड़ों लोगों ने की सभा, कहा- हर जगह उपेक्षा हुई, अब नहीं सहेंगे

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रीवा3 घंटे पहले

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रीवा शहर में विंध्य पुनरोदय मंच द्वारा अलग विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर सैकड़ों लोगों ने हुंकार भरी। अमरदीप मैरिज गार्डन में बैठक कर सभी ने एक स्वर में कहा कि हर जगह उपेक्षा हुई। अब नहीं सहेंगे। 1 नवंबर 1956 से पहले विंध्य में रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर सहित कटनी, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया और निवाड़ी जिले शामिल थे। तब राजधानी रीवा और उपराजधानी नौगांव थी। पहले यहां की जनसंख्या 36 लाख तो अब डेढ़ करोड़ है।

होती रही उपेक्षा, हम सहते रहे
वक्ताओं ने कहा कि 1 नवंबर 1956 को विंध्य प्रदेश को मध्यप्रदेश में शामिल कर लिया गया। लेकिन तब से आज तक की सरकारे विलय का वादा भूली है। वहीं दूसरी तरफ विंध्य क्षेत्र का दोहन होता रहा। हमारे पास खनिज, ऊर्जा, पानी, बिजली होने के बाद भी शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और धार्मिक नगरी का विकास नहीं किया गया।

इन चीजों की जरूरत
बैठक के दौरान सभी जिलों से आए प्रमुख वक्ताओं ने विचार रखे। जिसमें विंध्य प्रदेश निर्माण की प्रकिया, आर्थिक नाकेबंदी, पदयात्रा का रोड़ मैप, अर्थव्यवस्था, युवाओं को शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा कैसे उपलब्ध हों, उच्च न्यायालय, आईआईटी जैसे शिक्षण संस्थान, एम्स हॉस्पिटल आदि पर विचार आएं। साथ ही विंध्य प्रदेश राज्य की मांग तेज करने की जरूतर बताई।

इन वक्ताओं ने रखे विचार
सभा के दौरान नागौद के पूर्व विधायक रामप्रताप सिंह, इंजीनियर देवेन्द्र सिंह, विंध्य पुनरोदय मंच के संयोजक प्रणवीर सिंह, पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ला, अधिवक्ता वीरेंद्र सिंह बघेल, मुनीन्द्र तिवारी, जगदीश तिवारी, इंजीनियर आरके सिंह, अनूप सिंह, दीक्षा निगम, प्रसंग व्यास, इंजीनियर संजय सिंह, अजय तिवारी, किरण शुक्ला, एल पाठक, आबाद खां, राजगुरु अग्निहोत्री, डॉ. फूलचंद बसोर सहित अन्य वक्तों ने विचार व्यक्त किए।

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