UNESCO की धरोहर खजुराहो के मंदिर में दरार: मातंगेश्वर महादेव मंदिर की छत व दीवारों से टपक रहा पानी, बारिश में छाता लेकर बैठे पुजारी

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गौरव मिश्रा, खजुराहो15 मिनट पहले

छतरपुर जिले के खजुराहो के ऐतिहासिक मंदिर पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है। यहां साल भर में 50 हजार से ज्यादा विदेशी और ढाई लाख से ज्यादा भारतीय पर्यटक मंदिरों को देखने के लिए आते हैं। यह मंदिर यूनेस्काे की विश्व धरोहर हैं। पर्यटन नगरी के ऐतिहासिक मातंगेश्वर महादेव मंदिर की छत पर दीवारों में दरार आ गई है। बारिश में मंदिर के अंदर पानी टपक रहा है। बारिश के समय में पुजारी और भक्तों को मंदिर में छाता लगाना पड़ता है।

मातंगेश्वर महादेव मंदिर 9वीं सदी में बना प्राचीन शिव मंदिर है। मंदिर में 18 फीट का विशाल शिवलिंग है। यह मंदिर पुरातत्व विभाग की देखरेख में है। अब मंदिर का वजूद खतरे में पड़ता दिख रहा है। मंदिर के गर्भ गृह में जगह-जगह दरारें हो गई हैं। बारिश के समय मंदिर में लगातार पानी का रिसाव होता है। बारिश में मंदिर में बैठने तक को जगह नहीं बचती है।

बारिश में छाता लेकर बैठते हैं पुजारी

बारिश के दिनों में पुजारी यहां कुर्सी पर छाता लेकर बैठते हैं। फर्श पर पानी भर जाता है। खजुराहो विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में यह इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां साल भर पूजा होती है। मातंगेश्वर महादेव मंदिर में पानी टपकने की यह हालत करीब दो साल से है। लम्बे समय से बनी हुई है। बारिश के मौसम में साल दर साल रिसाव बढ़ता जा रहा है। मंदिर की दीवारों पर दरारें बढ़ने से पानी का रिसाव भी ज्यादा होता जाएगा, जिससे मंदिर की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

केमिकल लेपन के बाद बढ़ा गैप
क्षेत्र में मंगलवार से रुक रुककर बारिश का दौर जारी है। ऐसे में मंदिर की दीवारों और छत से पानी टपक रहा है। पुजारी प्रदीप गौतम ने बताया कि बारिश में शिवलिंग पर दीवारों पर बनी कलाकृति और मूर्तियों पर पानी टपकता है। गर्भगृह में बैठने की जगह नहीं है। बारिश में 2 साल से यह स्थिति बन रही है। इस साल कुछ ज्यादा ही रिसाव हो रहा है, उन्होंने बताया कि जबसे केमिकल द्वारा मंदिरों की सफाई की गई है, तब से पत्थरों में गैप बढ़ गया है। दरारें आ गई हैं, ऐसी ही स्थिति बनी रही तो मंदिर का वजूद खतरे में आ सकता है, क्योंकि यह मंदिर खजुराहो में प्रमुख आस्था का केंद्र है। श्रद्धालु शैलेंद्र यादव ने बताया कि खजुराहो वासियों की मातंगेश्वर महादेव मंदिर में गहरी आस्था है। मंदिर की इस स्थिति के बारे में हम लोग पुरातत्व विभाग को भी अवगत करा चुके हैं, लेकिन किसी ने अभी तक सुध नहीं ली है।

मातंगेश्वर महादेव मंदिर की छत से टपकता बारिश का पानी।

मातंगेश्वर महादेव मंदिर की छत से टपकता बारिश का पानी।

मतंग मुनि ने मणि देकर कराई थी स्थापना
यह मंदिर खजुराहो के पश्चिमी समूह के मंदिरों के पास में है। 925 ईस्वी में बने मातंगेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना भगवान शिव की मरकत मणि पर की गई थी। मतंग मुनि ने चंदेल राजा हर्षवर्मन को मणि देकर मंदिर की स्थापना कराई थी। मंदिर के गर्भगृह में विशाल 18 फीट का शिवलिंग है। दावा है कि हर साल इसका साइज बढ़ता है। यह मंदिर विश्व के शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है। यूनेस्को ने 1986 में इसे विश्व धराेहर में शामिल किया था।

रिमझिम बारिश में भी मंदिर में शिवलिंग के पास पानी टपकता है।

रिमझिम बारिश में भी मंदिर में शिवलिंग के पास पानी टपकता है।

आप जबलपुर बात कीजिए
मैं बाइट देने के लिए ऑथराइज्ड नहीं हूं, आप मेरे जबलपुर ऑफिस में संपर्क कर लीजिए। मुझे बाइट देने की परमिशन नहीं है। मेरे वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।
– कुणाल शर्मा, CA, पुरातत्व विभाग, खजुराहो।

इससे पूर्व बारिश में भी यह समस्या सामने आई थी। इसकी चर्चा मैंने पुरातत्व विभाग में जबलपुर के अधीक्षण यंत्री एसके वाजपेई से भी की थी। उनके द्वारा आश्वासन भी दिया गया था, कि मैं तत्काल अपने इंजीनियर को भिजवाकर समस्या का समाधान करवाता हूं, लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ है। मैं दोबारा पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाता हूं।
– डीपी द्विवेदी, एसडीएम राजनगर।

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