गुड्डा गुर्जर के 21 साल फरार रहने का राज: दो दिन से ज्यादा कहीं नहीं ठहरता, साथी भी रखता था बेहद कम

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ग्वालियर/ भोपाल22 मिनट पहले
शॉर्ट एनकाउंटर के बाद कुख्यात डकैत गुड्डा गुर्जर की गिरफ्तारी हो चुकी है। लोगों के मन में एक ही सवाल है कि इतने अपराध करने के बावजूद 21 साल तक इसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा सका। गिरफ्तारी के बाद जब पड़ताल की गई, तो इन सवालों का जवाब मिला। पता चला कि उसने इन 21 सालों में कभी मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया। वो कभी एक जगह पर दो दिन से ज्यादा नहीं ठहरता था। कभी भी अपने साथ दो से ज्यादा साथी नहीं रखता था। इसी रणनीति से दो दशक तक वह पुलिस को छकाता रहा।
पुलिस अफसरों का कहना है कि इससे पहले जितने भी डकैत पकड़े गए, उनके पकड़े जाने में मोबाइल सर्विलॉन्स का बड़ा योगदान था। डकैतों के मोबाइल फोन के आधार पर पुलिस उनकी लोकेशन ट्रैस करती थी और उन्हें घेर लेती थी, लेकिन गुड्डा का यही मजबूत पक्ष था कि उसके पास फोन नहीं था।

गुड्डा आम लोगों जैसे कपड़े पहनता था। उसका पहनावा कभी पारंपरिक डाकुओं जैसा नहीं रहा, इसलिए वह आसानी से पब्लिक में पहचान में नहीं आता था।
जंगल में नहीं, रिश्तेदारों के घरों में रहता था…
2020 में ग्वालियर में नियुक्त रहे एक सीनियर पुलिस अफसर कहते हैं कि गुड्डा अपने साथ कम साथी रखता था। इस कारण किसी को पता नहीं होता था कि गुड्डा का मूवमेंट कहां हो रहा है। उसकी लाइफस्टाइल आम लोगों जैसी थी। वह पुराने डाकुओं जैसे गेटअप में नहीं रहता था। सामान्य कपड़े ही पहनता था। डकैतों की तरह जंगलों में डेरा नहीं डालता था। गांव वाले उसकी मदद करते थे और उसकी कोई भी जानकारी पुलिस को नहीं देते थे।
सीएम के फरमान के बाद ग्वालियर, मुरैना, श्योपुर और शिवपुरी की पुलिस गुड्डा को ट्रैस कर रही थी। 9 नवंबर के दिन जब रात 8 बजे ग्वालियर के धाटीगांव में गुड्डा के शॉर्ट एनकाउंटर की खबर चली, उस दिन सुबह 10 बजे ही पड़ोसी जिलों के पुलिस कप्तानों को बॉर्डर मीटिंग के लिए बुला लिया गया था। एक बात पक्की थी कि उस दिन गुड्डा जिंदा या मुर्दा पकड़ा जाएगा।

गुड्डा हमेशा अपने पास एक डायरी रखता था। इसमें जरूरी फोन नंबर लिखे होते थे। किसी को फोन करना होता तो राह चलते लोगों के मोबाइल से बात करता था। इस कारण पुलिस उसे ट्रैस नहीं कर पाई।
राह चलते लोगों के मोबाइल से फोन करता था
ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में गुड्डा से पूछताछ करने वाले सीनियर अफसर कहते हैं कि वो हमेशा अपने जरूरी कॉन्टैक्ट नंबर डायरी में लिखकर रखता था। राह चलते किसी भी व्यक्ति से फोन मांगता और तीसरे आदमी को फोन लगाता, ताकि उसका संदेश पहुंच जाए। उसे जिससे बात करनी होती थी, वह उससे सीधे बात नहीं करता था। डकैत होकर भी वह पूरे समय जंगलों में नहीं रहा, वह आधे वक्त अपने रिश्तेदारों के यहां डेरा डाले रहता था। गुड्डा के खिलाफ हत्या का पहला मामला 2001 में दर्ज हुआ था।
सबसे ज्यादा क्रशर खदानों से की वसूली
पूछताछ के दौरान गुड्डा ने ये स्वीकार किया है कि उसने क्रशर खदानों से वसूली करते हुए ही ज्यादातर पैसे हासिल किए हैं। उसने पुलिस अफसरों को बताया कि इस पैसे से उसने अपनी मां और बहन के नाम से प्रॉपर्टी खरीदी है। हालांकि, इसकी कीमत के बारे में अभी पुलिस का कोई आकलन सामने नहीं आया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जो जमीनें खरीदी गई हैं, उसकी पड़ताल के बाद ही उसकी कीमत का आकलन सामने आ पाएगा।

गुड्डा हमेशा अपडेट रहता था। यही कारण था कि उसने पिछले दिनों राजस्थान के एक हथियार तस्कर से डेढ़ लाख रुपए देकर बंदूक खरीदी थी।
जीत की गारंटी दिलाकर पंचायत चुनावों में भी वसूली की
पुलिस अफसरों से पूछताछ में उसने ये भी बताया है कि पंचायत चुनाव के दौरान भी उसने खूब पैसे कमाए थे। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को गुर्जर वोट दिलवाने का लालच देकर उसने लाखों रुपए वसूले थे। पुलिस को उसने यही बताया है कि इन पैसों को उसने जमीन खरीदने में खर्च कर दिया। अब तक की जांच में पुलिस गुड्डा से नकद रुपए बरामद नहीं कर पाई है। गुड्डा से पूछताछ करने वाले एक अफसर ने बताया कि उसने राजस्थान से अपने लिए डेढ़ लाख रुपए में बंदूक खरीदी थी। इसके कारतूस भी उसने अवैध हथियार सप्लायर से ही लिए थे।

सीएम के ऐलान के बाद तीन जिलों की पुलिस गुड्डा को सर्च कर रही थी। एक टीम तो उसे ट्रैस करने के लिए नियुक्त की गई थी।
स्पेशल टीम ने भी गुड्डा को ग्वालियर के भंवरपुरा के पास ट्रैस कर लिया था
बीते दिनों जब गुड्डा को पकड़ने का दबाव बना तो उसने सरेंडर की कोशिशें भी शुरू कर दी थीं। इसके लिए उससे सहानुभूति रखने वाले नेताओं और पुलिस के बीच बातचीत शुरू हो गई थी। गुड्डा अपनी मौत से डरा हुआ था। उसे मालूम था कि यदि इस दौरान पुलिस से आमना-सामना हुआ तो वह मारा जाएगा। उधर, ग्वालियर पुलिस ने तो गुड्डा को पकड़ने के लिए एक स्पेशल ऑपरेशन टीम भी बना दी थी। इस टीम के पास सिर्फ गुड्डा की ट्रैसिंग का जिम्मा था। उसने गुड्डा के उस रिश्तेदार को ट्रैस भी कर लिया था, जिसके घर आकर वह ठहरता था। इस बार भी भंवरपुरा के उसी क्षेत्र में गुड्डा मिला।

श्योपुर में गुड्डा के लिए नेता ही नहीं, पुलिस में भी हमदर्द थे। वे उसका सही सलामती से सुरक्षित सरेंडर करवाना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
जिंदा या मुर्दा पर बंटे हुए थे पुलिस अफसर
ग्वालियर हो, श्योपुर हो या मुरैना.. तीनों जिलों के पुलिस कप्तान ने अपने-अपने क्षेत्रों के गुर्जर बहुल एरिया में गुर्जर टीआई को ही गुड्डा को पकड़वाने की जिम्मेदारी दी थी। सीएम के फरमान के बाद ये तय था कि गुड्डा जहां भी मिला, मारा जाएगा। श्योपुर में गुड्डा के लिए सॉफ्ट कॉर्नर था। भीतरखाने की खबर ये है कि वहां के गुर्जर टीआई उसे जिंदा पकड़वाने की भरसक कोशिश में जुटे थे। इसी बीच ग्वालियर में भी पूरी तैयारी थी। दिवाली से कुछ दिन पहले भंवरपुरा के आसपास रिश्तेदार के घर गुड्डा के आने की पक्की खबर थी। तब ग्वालियर पुलिस वहां पहुंची भी थी, लेकिन गुड्डा को समय रहते खबर लग गई और वो फरार हो गया।
इस बार ग्वालियर के धाटीगांव में जिस रिश्तेदार के यहां गुड्डा पहुंचा था, उसकी खबर पुलिस को 10 दिन पहले से थी कि यहां उसका आना-जाना लगा रहता है। पुलिस पूरी ट्रैसिंग कर रही थी। इस बार जब वह घिर गया तो उसने घुटने टेक दिए। उसे पता था कि वह चौतरफा घिर गया है, चालाकी की तो मारा जाएगा।

पुलिस का दावा है कि उसने गुड्डा गुर्जर के गिरोह की संरचना बिगाड़ दी है। उनके अनुसार यह अंतिम चिह्नित गिरोह था, जिसे लगभग समाप्त कर दिया गया है।
जिस दिन पकड़ा, उस दिन पुलिस कप्तान अवकाश पर थे
सूत्रों का तो ये भी कहना है कि अपने एक रिश्तेदार के माध्यम से गुड्डा ने एक बड़े नेता से संपर्क किया था। फिर उसी नेता के कहने पर उसे जिंदा पकड़ने का पूरा प्लान तैयार हुआ। खास बात ये है कि उसे जिस दिन पकड़ा गया या उससे मुठभेड़ हुई, उस दिन ग्वालियर एसपी अमित सांघी अवकाश पर थे। एक सीनियर पुलिस अफसर कहते हैं कि गुड्डा आखिरी लिस्टेड डकैत गिरोह था। इसके पकड़े जाने के बाद अब डकैतों का कोई गिरोह नहीं बचा है। उसके साथियों को भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
ग्वालियर जेल की त्रिवेणी सेल में बंद है गुड्डा, बार-बार मांग रहा पानी
चंबल के बीहड़ों का कुख्यात डकैत गुड्डा गुर्जर पकड़े जाने के बाद अब ग्वालियर सेंट्रल जेल की त्रिवेणी सेल में बद है। यहां दो दरवाजों के अंदर चार जेल प्रहरियों की विशेष निगरानी में डकैत को रखा गया है। त्रिवेणी सेल वो सेल है, जहां खूंखार डकैत और बदमाशों को रखा जाता है। यहां रहने वाले बंदी अन्य बंदियों से अलग होते हैं। गुड्डा को भी इसी सेल में रखा गया है। यहां भी पिछले 24 घंटे से गुड्डा बार-बार करवटें बदल रहा है। बार-बार पीने के लिए पानी मांग रहा है। अभी जेल में गुड्डा पर पूरी निगरानी रखी जा रही है। अभी उससे मिलने की इजाजत किसी को नहीं दी जा रही है। डॉक्टर ने भी दो बार उसका चेकअप किया है। पढ़िए, पूरी खबर
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