सीहोर के वृद्धाश्रम में विचार गोष्ठी आयोजित: बुजुर्गों और शिक्षकों ने रखे विचार, राजेश भूरा ने किया सम्मान

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सीहोर8 घंटे पहले
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गुरु समान दाता नहीं, याचक शीष समान, तीन लोक की सम्पदा, सो गुरु दीन्ही दान यह कहावत कबीरदास ने बहुत पहले ही कही है। समाज में शिक्षा के समान ही शिक्षक का भी स्थान महत्वपूर्ण है। शिक्षा का कार्य शिक्षक के अभाव में संपन्न नहीं हो सकता। पुस्तकें, सूचनाएं और संदेश दे सकती हैं, किंतु संदर्भों की समायोचित तार्किक व्याख्या शिक्षक ही कर सकता है और हमारे समाज में ओर हमारे घर में बुजुर्गों का स्थान भी महत्वपूर्ण है। उक्त विचार शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर शहर के सैकड़ाखेड़ी स्थित वृद्धाश्रम में निवासरत पूर्व शिक्षकों और बुजुर्गों के मध्य विचार गोष्ठी के दौरान केंद्र के संचालक राहुल सिंह ने कहे। इस मौके पर यहां पर मौजूद पूर्व शिक्षक और आधा दर्जन से अधिक बुजुर्गों का समिति की ओर से राजेश भूरा यादव आदि ने पुष्प माला पहनाकर सम्मान किया और स्मृति चिन्ह भेंट किए।
सिंह ने कहा कि शिक्षार्थी के पूर्वज्ञान और सामर्थ्य को समझकर उसके लिए शिक्षित बनाना शिक्षक के ही वश की बात है। इसलिए समाज में उसका स्थान आदरास्पद है और भावी पीढ़ी का निर्माता-निर्देशक होने के कारण वह अन्य समाजसेवियों की तुलना में अतिविशिष्ट भी है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में शिक्षकों को सबसे महत्वपूर्ण रोल है, क्योंकि वे हमें न सिर्फ किताबी ज्ञान देते हैं, बल्कि वे प्रैक्टिकली आने वाली चुनौतियों के लिए हमें जागरूक और तैयार भी करते हैं।
देखा जाए तो हर वह इंसान शिक्षक है जिससे आप नैतिक चीजें सीखने को पाते हैं। घर में मां बाप या बड़ा भाई बहन या कोई अन्य, स्कूल में टीचर, कॉलेज में प्रोफेसर यहां तक कि आप अपने सहपाठी या कलीग से भी आए दिन सीखने को पाते हैं, यह सभी शिक्षण का हिस्सा है। कार्यक्रम के दौरान पूर्व शिक्षक लक्की प्रसाद अग्रवाल जिनकी उम्र 75 साल है उन्होंने अपने जीवन के 50 वर्ष से अधिक जीव विज्ञान और हिन्दी के शिक्षक के रूप में गुजारे है और अब वृद्धाश्रम में रह रहे है। इसके अलावा श्याम लाल सोनी, गोपी लाल वर्मा, अजय शर्मा तुलसीराम मालवीय आदि का सम्मान भी किया गया।
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