कृषि वैज्ञानिक ने किया सर्वे: फसलों में कीट व्याधि रोग का किया मुआयना, नियंत्रण के लिए किसानों को दी सामयिक सलाह

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नरसिंहपुरएक घंटा पहले
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नरसिंहपुर जिले में धान, मक्का, सोयाबीन, तिल व उड़द की फसलों का सर्वे कृषि विज्ञान केंद्र की टीम ने जिले के खुरपा, समनापुर, डांगीढाना, चीलाचौनकलां, टपरिया, बडगुवां सहित अन्य ग्रामों में किया। इस टीम में पादप संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. एसआर भार्मा शामिल थे।
कृषि वैज्ञानिक की टीम के ओर से फसलों में कीट व्याधि रोग आदि का मुआयना किया गया। फसलों में रोग नियंत्रण के लिए किसानों को सामयिक सलाह दी गई। निरीक्षण के दौरान धान की फसल में भूरा फुदका कीट व झुलसा रोग का प्रकोप देखा गया।
धान में इस रोग के नियंत्रण के लिए किसानों को वर्टिसिलियम लेकानी 400 मिली प्रति एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 80 से 100 मिली प्रति एकड़ और झुलसा रोग के लिए ट्राइसाक्लोजोन 120 ग्राम या टेबोकोनोजोल व ट्राइफ्लोक्सीस्टोरबिन-नेटीबो 150 से 200 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करने की समझाइश दी गई। इससे रोग को नियंत्रित किया जा सकेगा।
मक्का की फसल में पानी लगने का आंशिक प्रभाव देखा गया। गन्ना फसल में पत्तियां पीली होकर ऊपर से सूखी पाई गई। गन्ने की पत्तियों के पीछे सफेद मक्खी के अंडे व कोकून बड़ी संख्या में पत्तियों का रस चूसते पाए गए। गन्ना में रोग नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 175 से 200 मिली प्रति एकड़ या कार्बोफ्यूरान 10 किलोग्राम प्रति एकड़ का उपयोग किया जा सकता है।
सोयाबीन में चारकोल रॉट व राइजोक्टोनिया ब्लाइट रोग का प्रभाव देखा गया। इसके नियंत्रण के लिए टेबोकोनोजोल व सल्फर 350 ग्राम प्रति एकड़ या कार्वेंडाजिम 200 ग्राम प्रति एकड़ के मान से छिड़काव की सलाह दी गई है। तिल में फाइटोपिथोरा रोग देखा गया।
इसके नियंत्रण के लिए रेडोमिल एमजेड 72 की 200 से 250 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ उपयोग की सलाह दी गई। अरहर में विषाणु से होने वाले बांझ रोग जिसका फैलाव मकड़ी की ओर से होता है, इसके नियंत्रण के लिए किसानों को थाओमेथाक्साम 100 ग्राम प्रति एकड़ के मान से छिड़काव करने के लिए कहा गया है।
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