एसएटीआई में मनाया इंजीनियर डे: आधुनिक भारत के निर्माण में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने योगदान अतुलनीय

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विदिशा8 घंटे पहले
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विदिशा के सम्राट अशोक अभियांत्रिकीय संस्थान में महान इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती इंजीनियर्स डे के रूप में मनाई गई। संस्थान के प्राध्यापकों, कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं ने विश्वेश्वरैया जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की।
प्रो. संजय सारस्वत ने कहा कि आधुनिक भारत के निर्माण में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने अतुलनीय योगदान दिया। सिविल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव जैन ने 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक में जन्मे मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपनी दूरदर्शिता और समर्पण के साथ भारत के विकास में असाधारण योगदान दिया है। उन्हें अब तक के सबसे महान इंजीनियरों के रूप में जाना जाता है। उनके योगदान के कारण उन्हें वर्ष 1955 में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उनके द्वारा डिजाइन किए गए कृष्णराज सागर बांध सहित अनेक डेम, पुल, पेयजल परियोजना एवं ड्रेनेज संरचनाएं आज भी उपयोगी हैं।
एसएटीआई परिसर में भी तैयार किया सिंचाई का मॉडल
इस मौके पर प्रो. प्रदीप पुरोहित ने कहा कि मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को जल संसाधनों के दोहन, कई नदी, बांध, पुल के सफल डिजाइन और निर्माण और पूरे भारत में सिंचाई और पेयजल योजनाओं को लागू करने के लिए जाना जाता है। उनकी प्रतिभा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है। उनकी इंजीनियरिंग डिजाइन से प्रेरित होकर इंजीनियरिंग विद्यार्थियों को लाइव डैमो देने के लिए एसएटीआई परिसर में भी सिंचाई परियोजना का एक मॉडल तैयार किया गया है।
संस्था परिसर में जो सिंचाई परियोजना का मॉडल बनाया गया है, उसमें बांध, नहर, पानी को छोडना, विद्युत उत्पादन का लाइव डेमो देने की क्षमता है। इसको बनाने में पूर्व संचालक प्रो. कृष्णमूर्ति की विशेष भूमिका थी। इस अवसर पर डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव, सीएस शर्मा, अभिषेक माथुर, बबलू किरार, दीपक शर्मा, सहित अनेक छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
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