प्रतियोगिता के आयोजन: जीर्ण-शीर्ण शास्त्र निकाल जिल्द लगाकर सुरक्षित किए, सुंदर सज्जा पर पलक पहले स्थान पर रहीं

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शिवपुरी38 मिनट पहले

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कोंडेश ग्वाला ने भीगते हुए शास्त्र की सुरक्षा के लिए उसे पेड़ के कोटर में सुरक्षित रखा था। अनजाने में शास्त्र सुरक्षा का किया गया उसका यह प्रयास उसे आचार्य कुंदकुंद बना गया। इसलिए यदि हम पुराने धर्म शास्त्रों के संरक्षण की पहल करते हैं और उनकी देखरेख कर उन्हें पढ़ने योग्य बनाते हैं तो इससे न केवल ज्ञान रूपी ज्योति का जागरण व्यक्ति के अंतर्मन में होता है।

वरन वह जीवन के उच्च शिखर को भी प्राप्त करता है। यह बात शास्त्र सजाओ ज्ञानार्जन पाओ प्रतियोगिता के आयोजन अवसर पर निर्णायक भूमिका निभाते हुए कनिका जैन पत्ते वालों ने कही। उन्होंने कहा कि जिस तरह स्कूल के विद्यार्थियों की नई पुस्तकें आने पर हम उन्हें जिंद चढ़ाकर वर्ष भर के लिए सुरक्षित रखते हैं। ठीक उसी तरह से यदि मंदिर में रखे धर्म शास्त्रों को हम समय-समय पर सुरक्षित रखेंगे तो वह पठनीय भी होंगे और लंबे समय तक खराब भी नहीं होंगे।

प्रतियोगिता की द्वितीय निर्णायक रही मधु जैन ने कहा कि महिलाओं में धर्म शास्त्रों के प्रति पढ़ने का रुझान बढ़ाने और उनकी सुरक्षा करने के उद्देश्य से यह प्रतियोगिता आयोजित हुई, जो बेहद सफल रही।

तृतीय निर्णायक रही अंजू जैन ने कहा कि मैंने अपने जीवन में कई शास्त्र प्रतियोगिताएं देखी हैं, लेकिन जिस ढंग से महिलाओं और बच्चों ने इन शास्त्रों को सजाने का उपक्रम किया है, यह उन्हें निश्चित रूप से ज्ञानवान बनाने में सहायक होगा। आयोजन की जानकारी देते हुए महिला जैन मिलन अध्यक्ष वीरांगना अंजना जैन और सचिव वीरांगना ज्योति जैन ने कहा कि पर्यूषण पर्व के अंतर्गत यह प्रतियोगिता इसलिए आयोजित की गई ताकि लोग पुराने शास्त्रों के संरक्षण की पहल को जाने।

साथ ही कलाकारों की कला भी उस में उभर कर सामने आई है। जिसमें किसी ने गोटे से शास्त्र सजाया तो किसी ने वेलवेट का पेपर लगा उसको अनूठा स्वरूप प्रदान किया है। प्रतियोगिता संयोजक महिला जैन मिलन की सिम्मी जैन, रश्मि जैन, वर्षा जैन रही। संपूर्ण प्रतियोगिता में इन्होंने अपनी सक्रिय भागीदारी से आयोजन को सफल बनाया।

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