भोपाल में इज्तिमा का आज दूसरा दिन: मंच से धर्मगुरु तकरीरें करेंगे; दो दिन और बढ़ेंगी जमातें

[ad_1]

भोपाल44 मिनट पहले

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के ईंटखेड़ी में आज इज्तिमा का दूसरा दिन है। 73वें आलमी तब्लीगी इज्तिमा में देशभर से जमातें आई हैं। इनकी संख्या शनिवार और रविवार को और बढ़ जाएगी। आखिरी दिन करीब 5 हजार तक जमातें जुटने का अनुमान है। इधर, मंच से धर्मगुरु तकरीरें (प्रवचन) कर अच्छी सीख दे रहे हैं। इज्तिमे में ऐसे कई मुस्लिम धर्मालांबी आए हैं, जो कई इज्तिमा में शामिल हो चुके हैं तो कई पहली बार आए हैं। इज्तिमे के लिए ईंटखेड़ी में मिनी शहर बसा है। चार दिन में 10 लाख लोगों के जुटने का अनुमान है।

इज्तिमा राजस्थान से आए मौलाना चिराग उद्दीन साहब के बयान के साथ शुरू हुआ। ईंटखेड़ी-घासीपुरा में लाखों जमातियों के मजमे को खिताब करते हुए मौलाना ने फरमाया कि अल्लाह ने हमें किसी न किसी काम के लिए पहुंचाया है। उस काम से हम भटक गए हैं। उन्होंने हदीस और कुरआन की रोशनी में नसीहत की कि अल्लाह के हुक्म और पैगंबर साहब के बताए रास्ते पर चलें। दिल्ली मरकज से आए मौलवी शाआद साहब कांधलवी ने मगरिब की नमाज के बाद बयान किया। मौलवी यूसुफ साहब ने मुख्तसिर बात की। शनिवार को भी धर्मगुरु तकरीरें करेंगे।

300 एकड़ में बने बड़े पांडाल
इज्तिमा में शामिल होने आए जमातियों के लिए 300 एकड़ में बड़े पांडाल बने हैं। यूं कहे कि एक मिनी शहर बसाया गया है। 17 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन, साढ़े चार हजार टॉयलेट और 17 हजार लोगों के एकसाथ वजू करने की व्यवस्था की गई है। 73वां इज्तिमा दो साल बाद हो रहा है। कोरोना के चलते इज्तिमा का आयोजन नहीं हो सका था। चार दिन चलने वाले इज्तिमा में सुबह से देर रात तक मुस्लिम धर्मगुरु अलग-अलग विषयों पर जमातों को संदेश दे रहे हैं। इज्तिमा खत्म होने के बाद जमातें देशभर के विभिन्न हिस्सों में रवाना होंगी और धर्मगुरु से मिले संदेश को समाजजनों तक पहुंचाएंगी।

आग बुझाने के लिए भी इंतजाम
इज्तिमा में आग बुझाने के भी इंतजाम किए गए हैं। फायर एक्सपर्ट साजिद खान ने बताया कि इज्तिमा में 5 फायर ब्रिगेड और 6 बुलेट व्हीकल के साथ 24 घंटे के लिए निगमकर्मी तैनात किए गए हैं। वॉलेंटियर्स को ट्रेनिंग भी दी गई है। उन्हें आग बुझाने के संसाधन चलाना सीखा रहे हैं।

इज्तिमा में आग बुझाने की वॉलेंटियर्स को ट्रेनिंग देते फायर एक्सपर्ट साजिद खान।

इज्तिमा में आग बुझाने की वॉलेंटियर्स को ट्रेनिंग देते फायर एक्सपर्ट साजिद खान।

ये भी आए इज्तिमा में

  • मथुरा के रहने वाले शमसुद्दीन बताते हैं दुनिया में सब कुछ जरूरी है, लेकिन उससे बड़ा काम दीन की खिदमत है। वे बताते हैं कि करीब 55 बरस से वे लगातार जमातों और इज्तिमा का हिस्सा बन रहे हैं। घर के सुकून से ज्यादा जमातों में रहने वाले 90 वर्षीय शमसुद्दीन महीने में तीन दिन, साल में चालीस दिन जमात में आवश्यक रूप से जाते हैं। हाजी अनवर उल्लाह खान भी अपने रिटायरमेंट के बाद ज्यादा वक्त जमातों और तबलीगी काम में गुजारते हैं। करीब 30 वर्षों से लगातार आलमी तबलीगी इज्तिमा में शिरकत कर रहे हैं। 82 वर्षीय अनवर उल्लाह बताते हैं कि असल सुकून दीन की बात में है और कामयाबी का रास्ता भी इसी से होकर गुजरता है।
  • 12 वर्षीय आसिम अहमद पहली बार इज्तिमा में शामिल होने पहुंचे हैं। कुरआन की तालीम से फारिग होने के बाद वे नमाजों की पाबंदी करते रहे हैं।

खिदमत के लिए लगे कैम्प
राजधानी में खिदमत के लिए जगह-जगह कैम्प लगाए गए हैं। भोपाल रेलवे स्टेशन, हबीबगंज रेलवे स्टेशन, नादरा बस स्टैंड, भोपाल टाकीज, प्रभात चौराहा से इज्तिमागाह पर जाने वालों के लिए खिदमती कैम्प लगाए गए हैं। स्टेशन पर उतरते ही पहले इज्तिमा यात्रियों का इस्तकबाल किया जाता है। इसके बाद उन्हें कैम्प में लाकर चाय पिलाई जाती है, फिर मुफ्त में ट्रकों, बसों, जीपों और अन्य साधनों से उन्हें इज्तिमा स्थल तक पहुंचाया जाता है। इस मार्ग पर चलने वाले कई ऑटो, आपे और इलेक्ट्रिक ऑटो ने भी जमातों के लिए किराया फ्री कर दिया है।

खबरें और भी हैं…
[ad_2]
Source link

Related Articles

Back to top button