मां भवानी की स्वयंभू प्रतिमा, तीन स्वरुप में दर्शन: खंडवा के देवी मंदिर में भगवान राम ने 9 दिन की थी आराधना, छत्रपति शिवाजी ने किए दर्शन

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खंडवा43 मिनट पहले
खंडवा के मां तुलजा भवानी माता मंदिर में स्वयंभू प्रतिमा है। मां भवानी के दर्शन सुबह के समय बाल, दोपहर में युवा और शाम को बुजुर्ग नजर आती है। मां का स्वरुप अष्टभुजाधारी है, महिषासुर दबा है। देवी त्वरिता, तुला और तुरजा नाम से प्रसिद्व है। त्वरित अर्थात शीघ्र प्रसन्न होने से, त्वरिता और भक्तों द्वारा एक ही पुकार पर दौड़ पड़ने वाली से तुरजा। अपभ्रंसश में तुरजा का तुलजा हो गया है।
मान्यता के अनुसार पुजारी गौरवसिंह चौहान बताते है कि, यहां भगवान श्रीराम, मैय्या सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान वन से गुजरते समय यहां ठहराव किया था। उन्होंने 9 दिन तक भगवती तुलजा भवानी की आराधना की थी। सन 1651 ईस्वी के आसपास छत्रपति शिवाजी महाराज यहां पर देवी दर्शन के लिए उपस्थित हुए थे। दादाजी धूनीवाले ने भी देवी स्थान देखकर ही यहां समाधि ली।
– त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने की थी आराधना
शहर में प्राचीन भवानी माता मंदिर श्रद्घालुओं की आस्था का केंद्र रहता है। तीनों पहर में मैया के अलग- अलग स्वरूप के दर्शन होते हैं। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से लोग पैदल मंदिर तक पहुंचते हैं। मंदिर मार्ग पर सुबह 4 बजे से श्रद्धालुओं की चहल-पहल शुरू हो जाती है, सिलसला देर रात तक जारी रहता है।
-मैया को हलवा-पुरी का भोग लगता है
यहां मैया को नारियल, सुहाग सामग्री, विशेष चुनरी और प्रसाद भेंट किया जाता है। मैया को हलवा-पुरी का भोग भी लगता है। मंदिर के गर्भगृह में चांदी की नक्काशी की गई है। माता का मुकुट और छत्र भी चांदी से बने हुए हैं। चैत्र और आश्विन पक्ष की नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों का तांता लगता है।
-परिसर में इन देवी-देवताओं को भी दी जगह
मां तुलजा भवानी मंदिर परिसर में श्रीगणेश, लक्ष्मीनारायण, भैरव बाबा, मां अन्नपूर्णा, श्रीराम दरबार, रामभक्त हनुमान, रामेश्वर महादेव, तुलजेश्वर महादेव के मंदिर भी हैं।
परिसर में प्राचीन गुरुद्वारा भी स्थित है। शहर के मुख्य गुरुद्वारे से पहले यह गुरुद्वारा बनाया गया था। यहां भी नियमित असदास होती है। मंदिर परिसर में डोंगरे महाराज का अन्नकूट भी होता है। यहां प्रतिदिन सुबह लोगों को निशुल्क भोजन कराया जाता है।
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