छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: चैतन्य बघेल के विरुद्ध प्रकरण का आठवां अभियोग पत्र पेश

रायपुर। ईओडब्ल्यू/एसीबी के द्वारा विवेचनाधीन शराब घोटाला प्रकरण में आज विशेष न्यायालय रायपुर में चैतन्य बघेल के खिलाफ अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया है। अब तक इस प्रकरण में मूल अभियोग पत्र सहित कुल 08 अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किये जा चुके हैं। प्रस्तुत चालान में अब तक गिरफ्तार किए गए आरोपियों के संबंध में जांच की वर्तमान स्टेटस को भी प्रस्तुत किया गया है, साथ ही अब तक गिरफ्तार सभी आरोपियों के संबंध में डिजिटल एविडेंस की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई है। इसके अतिरिक्त जिन आरोपियों के संबंध में जांच जारी है, उनके संबंध में भी जांच की वर्तमान स्थिति का उल्लेख किया गया है। प्रकरण की विवेचना कार्यवाही निरंतर जारी है।
जांच पर अभियुक्त चैतन्य बघेल की भूमिका तत्कालीन समय में आबकारी विभाग में वसूली तंत्र (सिंडिकेट) को खड़ा करने तथा उसके समन्वय एवं संरक्षक के रूप में पायी गई है। चैतन्य बघेल प्रशासनिक स्तर पर सिंडिकेट के हितों के हिसाब से काम करने वाले अनिल टुटेजा, सौम्या चैरसिया, अरुणपति त्रिपाठी, निरंजन दास जैसे अधिकारियों तथा सिंडिकेट के जमीनी मुखिया अनवर ढेबर, अरविंद सिंह, विकास अग्रवाल जैसे लोगों के बीच परस्पर सामंजस्य और तालमेल बिठाने और उन्हें निर्देशित करने का काम करते थे।
चैतन्य बघेल, अनवर ढेबर के टीम के द्वारा एकत्र की गई घोटाले की रकम को अपने भरोसेमंद लोगों के माध्यम से उच्चस्तर तक पहुंचाने और उसकों व्यवस्थापित करने का काम कर रहे थें। चैतन्य बघेल ने त्रिलोक सिंह ढिल्लन के विभिन्न फर्मो में, अपने हिस्से की रकम को प्राप्त कर बैंकिंग चैनल के माध्यम से अपने पारिवारिक फर्मों में प्राप्त किया, और उसका उपयोग निर्माणाधीन रियल ईस्टेट परियोजनाओं में किया। इसके अलावा बड़ी मात्रा में अपने पारिवारिक मित्रों, सहयोगियों के जरिये घोटाले की रकम बैंकिंग चैनल के माध्यम से प्राप्त कर उसका निवेश आदि करना पाया गया है।
उच्चस्तर पर घोटाले की रकम के प्रबंधन के साथ-साथ, लगभग 200 से 250 करोड़ रूपये अपने हिस्से में प्राप्त करने के साक्ष्य मिले है। अब तक की गई विवेचना पर यह स्पष्ट हुआ है कि अभियुक्त चैतन्य बघेल से सिंडिकेट को मिलने वाले उच्चस्तरीय संरक्षण, नीतिगत/प्रशासनिक हस्तक्षेप एवं प्रभाव के कारण लम्बे समय तक इस अपराध को अंजाम दिया जा सका। अद्यतन स्थिति में जांच में, गणना के आधार पर आबकारी घोटाले की रकम लगभग 3074 करोड़ रूपये का होना पाया गया है। किन्तु अग्रिम जांच पर समग्र स्त्रोतों से इस अवैध रकम के 3500 करोड़ रूपये से अधिक पहुंचने की संभावना है।




