भूल या लापरवाही: पिछले आठ महीने में शहर से 1150 महिलाएं हुईं लापता, इनमें से कितनी वापस लौटीं; किसी के पास रिकॉर्ड नहीं

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भोपाल9 मिनट पहलेलेखक: सुनीत सक्सेना
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आठ महीनों में 1150 से ज्यादा महिलाएं और करीब 800 पुरुष लापता हुए
- गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज करने के बाद पुलिस भी भूल जाती है
- पूरे मामले का गंभीर पहलू यह है कि कुछ मामलों में लापता युवकों की हत्या कर शव दफन कर दिए गए
गुमशुदगी के मामले में चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। भोपाल से आठ महीने में 1950 लोग विभिन्न कारणों से घर छोड़कर गए, जिनकी थानों में गुमशुदगी दर्ज हैं। इनमें 1150 महिलाएं हैं। इनमें से कितने वापस लौटे, यह कोई नहीं जानता। गुमशुदगी दर्ज करने के बाद पुलिस भी भूल जाती है। पूरे मामले का गंभीर पहलू यह है कि कुछ मामलों में लापता युवकों की हत्या कर शव दफन कर दिए गए। हत्या का राज खुला तो पता चला कि मृतक की गुमशुदगी दर्ज थी, लेकिन पुलिस ने उसे तलाशने की कोशिश ही नहीं की।
जबकि नाबालिगों के लापता होने के मामलों में पुलिस अपहरण का मामला दर्ज कर उसकी पूरी इन्वेस्टिगेशन कर बच्चों को तलाश लाती है। शहर से हर दिन औसतन 8 लोग लापता हो रहे हैं। इनमें महिलाओं की संख्या अधिक है। 01 जनवरी से 27 अगस्त तक 1950 लोगों के लापता होने की गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस कमिश्नरेट के 38 थानों में से 33 में दर्ज की गईं। इन आठ महीनों में 1150 से ज्यादा महिलाएं और करीब 800 पुरुष लापता हुए हैं। इनकी परिजनों ने थानों में रिपोर्ट दर्ज कराई है। इनमें कुछ लोग वापस भी लौटे होंगे, लेकिन कितने लोग वापस लौटे या नहीं लौटे यह कोई नहीं जानता है। इनका पुलिस के पास भी रिकार्ड नहीं होता है।
ये है नियम…
7 साल में बंद हो जाती है गुमशुदगी की फाइल
पुलिस रेगुलेशन के हिसाब से गुमशुदगी की फाइल 7 साल ओपन रहती है। इसके बाद फाइल को बंद कर दिया जाता है। आमतौर पर माना जाता है कि बालिग इंसान अपनी मर्जी से गया है, ऐसे में उसकी तलाश नहीं की जाती है। पुलिस द्वारा शुरुआती जांच जरूर की जाती है।
हर महीने 50 नाबालिग भी होते हैं लापता
शहर से लापता होने वालों में नाबालिगों की संख्या भी कम नहीं है। हर महीने करीब 50 बालक-बालिका लापता होते हैं। इनमें भी बालिकाओं की संख्या अधिक होती है। आठ महीने में शहर से लगभग 350 नाबालिग बालक-बालिकाएं लापता हैं, जिनकी एफआईआर दर्ज हैं।
इन मामलों में गुमशुदगी दर्ज थी
- कोलार इलाके में उर्मिला मीणा ने देवर मोहन के साथ मिलकर जून 2016 में पति रंजीत की हत्या कर शव घर में दफन कर दिया था। पत्नी उर्मिला ने ही रंजीत के लापता होने की गुमशुदगी दर्ज कराई थी।
- साईं बाबा नगर में शमशेर ने प्रेमिका आशा ठाकुर के साथ मिलकर दोस्त शिवदत्त भालेराव उर्फ शिवा की अक्टूबर 2021 में हत्या कर शव घर में गाड़ दिया था। हबीबगंज थाने में गुमशुदगी दर्ज थी।
जहां संदेह होता है, वहां गंभीरता से जांच होती है
गुमशुदगी के मामलों में आमतौर पर माना जाता है कि गुम इंसान अपनी मर्जी से गया है। लेकिन जिन मामलों में परिजन संदेह जाहिर करते हैं या पुलिस को संदिग्ध लगता है तो उनकी गंभीरता से जांच की जाती है। कई बार गुमशुदगी हत्या में बदल जाती है। इसलिए उन्हें गंभीरता से देखना पड़ता है।
-मकरंद देऊस्कर, पुलिस कमिश्नर, भोपाल
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