चंबल में अब भैंस-बकरियों की किडनैपिंग: दलालों के जरिए ‘फिरौती’ लेकर ही छोड़ते हैं डकैत

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भोपाल\मुरैना5 मिनट पहलेलेखक: संतोष सिंह

चंबल का कुख्यात डकैत गुड्‌डा गुर्जर जेल में है, लेकिन बीहड़ों में उसके फरार साथी करुआ गुर्जर, भोला, कीटू गुर्जर खौफ बरकरार है। पुलिस को आशंका है कि राजस्थान का कुख्यात इनामी डकैत केशव गुर्जर भी चंबल तक अपनी टैरेटरी बढ़ा सकता है। डकैत केशव यहां पनाह लेता रहा है। इधर गांव वालों की चिंता अपनी गाय-भैंसों को लेकर है, जो डकैतों के निशाने पर रहती हैं। डकैतों का यह नया ट्रेंड है, जिसमें वे मवेशी का अपहरण कर ले जाते हैं, फिर मीडिएटर के माध्यम से पनिहाई (मवेशियों के एवज में फिरौती राशि) वसूलते हैं। पनिहाई मिलते ही मवेशी छोड़ देते हैं।

दैनिक भास्कर की टीम ने चंबल के 6 गांव और 3 कस्बों में जाकर हालात जाने। पहाड़गंज क्षेत्र के कोटसिरथरा गांव निवासी सियाराम जाटक के मुताबिक 25 दिन पहले गुड्‌डा गुर्जर के गैंग के डकैत हमारे गांव आए थे। मेरी 2 भैंस बाहर बंधी थी। रात में बदमाश खोल ले गए। जंगल में बताए अनुसार 25 हजार रुपए रखकर आया, तब भैंसों को छोड़ा गया।

80 बकरियां नाव से राजस्थान ले गए डकैत
डकैत कन्हार गांव में चरवाहों को बंधक बनाकर मवेशियों को हांक ले गए थे। उन्हें मोटी रकम वसूलने के बाद छोड़ा था। मुरैना जिले के ही देवगढ़ क्षेत्र में छिनबरा गांव है। इस गांव के प्रेमसिंह बघेल की 80 बकरियां बदमाश नाव के जरिए चंबल नदी पार कराकर राजस्थान की ओर ले गए। बदमाशों ने बकरियों को बेच दिया। दरअसल, अधिकांश ग्रामीण रात में मवेशियों को घर के बाहर बनी झोपड़ी, पाटौर, टीनशेड आदि में बांधते हैं, यहां से चोरी करना आसान है।

दहशत इतनी है कि गांव वाले उसका खुलकर नाम लेने से डरते हैं। एक ग्रामीण ने बताया- सबसे अधिक पैसे बकरी और मवेशी के एवज में वसूलते हैं। जंगल में बकरी चराने वालों की 40-50 बकरियों को ले जाते थे। इन्हें तब ही छोड़ते हैं, जब 15-20 हजार रुपए मिल जाएं। इसी तरह एक व्यक्ति की 10-12 भैंसों के बदले 40-50 हजार रुपए वसूलने की बात ग्रामीणों ने बताई है।

ऐसी शिकायतों पर पुलिस नहीं करती कार्रवाई
कोट सिरथरा गांव के सरपंच विनोद गुर्जर का कहना है कि बकरी और भैंस चोरी की शिकायत पुलिस दर्ज नहीं करती। पुलिस आवेदन लेकर रख लेती है। मजबूरी में हम किसानों को खुद किसी बिचौलिए की मदद से डकैतों से बात करनी पड़ती है। फिर उनकी शर्त मानने की मजबूरी रहती है। बिना पनिहाई लिए बिना डकैत, मवेशियों को मुक्त नहीं करते। डकैतों के लिए यह कमाई का आसान तरीका है। मवेशियों की चोरी और हांक ले जाने के डर से ग्रामीण घर के अंदर मवेशी बांधने लगे हैं। पिछले एक साल में मुरैना जिले के विभिन्न थानों में मवेशी चोरी के करीब 50 मामले दर्ज किए गए।

दो दिन पहले कोर्ट ने बकरी चोरी में सुनाई सजा
मुरैना कोर्ट ने 2 दिन पहले 5 गांव वालों को बंधक बनाकर 80 बकरियां ले जाने वाले डकैत दामोदर उर्फ दामो गुर्जर को 5 साल की जेल और एक हजार रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई। ये वारदात 9 जुलाई 2013 की है, तब डकैत दामो गुर्जर ने पहाड़गढ़ क्षेत्र में राजेंद्र जाटव, कल्लू आदिवासी, रिश्तेदार रामसिंह और प्रेमा आदिवासी समेत 5 लोगों को बंधक बना लिया था। डकैत प्रेमा के गहने, कल्लू और दोजी की 80 बकरियां हांक ले गए थे। पांचों बंधकों को हाथ-पैर बांधकर आसन नदी के दूसरी ओर डाल दिया था।

खदान चलाने वालों से हर महीने 2 लाख रुपए तक वसूली
चंबल में सक्रिय डकैतों का जोर आतंक के नाम पर वसूली करने पर है। इनके निशाने पर मुख्य रूप से पत्थर खदान ठेकेदार रहते हैं। बताया जाता है कि गुड्‌डा का पत्थर खदान संचालकों से 2 लाख रुपए महीना तक बंधा था। पैसे नहीं देने पर डकैत, मजदूरों से मारपीट कर काम बंद करा देते हैं।

राजस्थान का केशव गुर्जर अब चंबल तक टैरेटरी बढ़ा सकता है
गुड्‌डा गुर्जर की गिरफ्तारी के बाद चंबल के सबसे बड़ा नाम केशव गुर्जर का है। 40 साल का केशव राजस्थान के धौलपुर में एक्टिव है। मुरैना से सटे इस जिले में पत्थर खदान संचालकों से वह टैरर टैक्स वसूलता है। गैंग में उसका भाई और 4-5 दूसरे साथी हैं। डकैत केशव गुर्जर के खिलाफ मध्यप्रदेश में अभी केस दर्ज नहीं है, लेकिन राजस्थान पुलिस का दबाव बढ़ने पर छिपने के लिए वह चंबल के बीहड़ों में आ जाता है। पुलिस को आशंका है कि अब केशव अब चंबल में टैरेटरी बढ़ा सकता है।

गुड्‌डा का साथी करुआ गुर्जर सरेंडर की फिराक में!
बीहड़ में सक्रिय डकैतों में दूसरा नाम करुआ गुर्जर का है। यह गुड्‌डा गुर्जर का साथी है। उसी के गांव का रहने वाला है। करुआ पर अलग-अलग थानों में 6 से ज्यादा केस मारपीट, धमकी देने और अवैध वसूली के दर्ज हैं। उस पर 10 हजार रुपए का इनाम है। बताया जाता है कि 25 साल का करुआ गुर्जर समर्पण की फिराक में है। उसके साथी अशोक यादव, कीटू, भोला, कल्ली व जोगेंद्र गुर्जर पर मारपीट और वसूली के केस दर्ज हैं। पुलिस से बचने के लिए ये सभी बीहड़ में छिपे हैं। बीहड़ में रहने के लिए गुड्‌डा गुर्जर के साथ हो गए थे।

मुरैना ASP रायसिंह नरवरिया ने बताया कि फिलहाल गुड्‌डा से बड़ा कोई डकैत नहीं है। अन्य जो भी डकैतों के नाम उसके साथी के तौर पर आ रहे हैं, उनके खिलाफ खुद के गांव में मारपीट और धमकाने संबंधी केस दर्ज हैं। ऐसे बदमाशों की प्रोफाइल तैयार कराई जा रही है।

गुड्‌डा गुर्जर के भाई पप्पू गुर्जर ने पगारा डैम से पानी लाने वाली पाइपलाइन उखाड़कर घर में रख ली। गांव के 60 परिवारों के खेतों में सिंचाई का संकट खड़ा हो गया। ग्रामीणों का कहना है कि पप्पू ने सरकारी जमीन पर कब्जा भी कर रखा है। इससे मवेशियों को चराने की जगह नहीं बची। सरकार को ये जमीन मुक्त कराकर प्लांटेशन कराना चाहिए।

गुड्‌डा गुर्जर के भाई पप्पू गुर्जर ने पगारा डैम से पानी लाने वाली पाइपलाइन उखाड़कर घर में रख ली। गांव के 60 परिवारों के खेतों में सिंचाई का संकट खड़ा हो गया। ग्रामीणों का कहना है कि पप्पू ने सरकारी जमीन पर कब्जा भी कर रखा है। इससे मवेशियों को चराने की जगह नहीं बची। सरकार को ये जमीन मुक्त कराकर प्लांटेशन कराना चाहिए।

डकैत गुड्‌डा गुर्जर गैंग का सक्रिय सदस्य कीटू गुर्जर। गैंग में 10 से 12 डकैत हैं। ये लोग एक साथ कभी नहीं चलते, जिससे पुलिस के हाथ भी नहीं लग पाते। फिलहाल कीटू फरार है।

डकैत गुड्‌डा गुर्जर गैंग का सक्रिय सदस्य कीटू गुर्जर। गैंग में 10 से 12 डकैत हैं। ये लोग एक साथ कभी नहीं चलते, जिससे पुलिस के हाथ भी नहीं लग पाते। फिलहाल कीटू फरार है।

महिला ने गुड्‌डा के खौफ में छोड़ दिया घर
चंबल में सक्रिय डकैतों की दहशत अब भी कई गांवों में है। मुरैना जिले के पहाड़गढ़ के चांचौल में गुड्‌डा के रिश्तेदार पप्पू व मातादीन गुर्जर का खौफ है। एक खौफजदा महिला तो अपना घर छोड़कर ही चली गई। गांव के बलवीर का कहना है कि गुड्‌डा की गिरफ्तारी के बाद थोड़ी राहत जरूर मिली है। कई बार गुड्‌डा और उसके साथी कीटू और भोला गुर्जर गांववालों को धमका चुके हैं। मारपीट भी कर चुके हैं। गुड्‌डा के खिलाफ पुलिस ने शिकंजा कसा, तो ये भागते फिर रहे हैं।

महावीरपुरा में रह रही रामदेही के मुताबिक, गुड्‌डा के खौफ के चलते उन्हें घर-परिवार छोड़कर 50 किमी दूर जिंदगी जीनी पड़ रही है। गुड्‌डा ने 2001 में उनके दूसरे नंबर के बेटे परशुराम की हत्या कर दी थी।

महावीरपुरा में रह रही रामदेही के मुताबिक, गुड्‌डा के खौफ के चलते उन्हें घर-परिवार छोड़कर 50 किमी दूर जिंदगी जीनी पड़ रही है। गुड्‌डा ने 2001 में उनके दूसरे नंबर के बेटे परशुराम की हत्या कर दी थी।

गुर्जर डकैत दूसरी जाति के साथियों को एडजस्ट नहीं कर पाते
वर्तमान में चंबल में जो डकैत एक्टिव हैं, वह गिरोह नहीं बना पा रहे हैं। डकैतों पर करीबी से नजर रखने वाले ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार देवश्री माली का कहना है कि बीहड़ में 4 से 5 साल गुजारने वाले डकैत ही सफल हो पाते हैं। तब उनका विश्वास और नेटवर्क तैयार हो पाता है। इसके बाद ही दूसरे डकैत उनसे जुड़ पाते हैं। गुर्जर डकैत दूसरी जाति के डकैतों को एडजस्ट नहीं कर पाते हैं। यही वजह है कि गुड्‌डा तीन-चार महीने में अपने साथी बदल लेता था। केशव गुर्जर के साथ जो तीन-चार साथी हैं, उसमें उसका भाई और दूसरे करीबी लोग ही शामिल हैं।

हर दौर में डकैतों की अलग परिभाषा
वरिष्ठ पत्रकार देवश्री माली बताते हैं कि वर्तमान में कहने मात्र के डकैत हैं। दरअसल, ये शहरों में बदमाशों जैसे हैं। चंबल में डकैतों का अलग-अलग दौर आया है। 1970 के पहले का इतिहास मोहर सिंह, मानसिंह और पानसिंह का था। उस समय बागी होना गर्व का प्रतीक था। उनके खुद के नियम थे। वे महिलाओं और बच्चों को लेकर सॉफ्ट थे। उनकी छवि कुछ-कुछ रॉबिनहुड जैसी थी। मतलब, बड़े जमींदारों पर ही हमला करते थे। मारते उसे ही थे, जिसे मारना है। उस समय महिलाओं को गिरोह में रखना किसी भी डाकू का स्वभाव नहीं था।

1980 के बाद जब डाकू मलखान सिंह बीहड़ में उतरा, तो राजनीति में हस्तक्षेप बढ़ा। मलखान सिंह ने बहुत कम हत्याएं कीं। उस समय अपहरण कर फिरौती का चलन बढ़ गया था। फिरौती की रकम मंदिर पर खर्च करना, घंटा चढ़ाना, गरीब बेटियों की शादी में खर्च करने जैसे नियम थे। वे जिसका अपहरण करते थे, उसका ख्याल भी रखते थे। मुझे याद है कि भिंड के एक लड़के को अगवा किया था। 8 महीने बाद फिरौती देकर जब उसे छुड़ाया गया, तो तब तक उसका वजन 15 किलो बढ़ चुका था।

ये तस्वीर 1982 की है। जब खूंखार डकैत मलखान सिंह और उसके गिरोह ने सरेंडर किया था। मलखान सिंह ने बहुत कम हत्याएं कीं। उस समय अपहरण कर फिरौती का चलन बढ़ गया था। ये गिरोह जिसका भी अपहरण करते थे, उसका पूरा ख्याल रखते थे।

ये तस्वीर 1982 की है। जब खूंखार डकैत मलखान सिंह और उसके गिरोह ने सरेंडर किया था। मलखान सिंह ने बहुत कम हत्याएं कीं। उस समय अपहरण कर फिरौती का चलन बढ़ गया था। ये गिरोह जिसका भी अपहरण करते थे, उसका पूरा ख्याल रखते थे।

निर्भय गुर्जर के गिरोह में 5 महिलाएं भी थीं
90 और 20वीं सदी का दौर क्रूर डकैतों का रहा। इसी दौरान गुर्जर गैंग पनपा। निर्भय समेत अन्य गुर्जर गिरोह एक्टिव हुए। निर्भय के गिरोह में 5 महिलाएं भी थीं। यही उनके पकड़े जाने या एनकाउंटर में ढेर होने का कारण भी बनीं। ये लोग लगातार अपहृत किए व्यक्ति से क्रूरता करते थे। उसकी रिकॉर्डिंग परिजन को भेजने के बाद फिरौती वसूल करते थे।

2000 के बाद नया दौर आया। चंबल में ठेके पर अपहरण हाेने लगे। मतलब, डकैत चंबल के बीहड़ से बाहर नहीं निकलते थे। स्थानीय बदमाश अपहरण कर उनको सौंप देते थे। बदले में एकमुश्त राशि ले लेते थे। उसके बाद डकैत चाहें, जितना वसूल करें।

ये तस्वीर डकैत निर्भय गुर्जर की है। निर्भय के गिरोह में 5 महिला डकैत भी थीं। पुलिस ने निर्भय का एनकाउंटर कर दिया था। निर्भय के मारे जाने की बड़ी वजह उसकी गैंग की महिलाओं को ही माना जाता है।

ये तस्वीर डकैत निर्भय गुर्जर की है। निर्भय के गिरोह में 5 महिला डकैत भी थीं। पुलिस ने निर्भय का एनकाउंटर कर दिया था। निर्भय के मारे जाने की बड़ी वजह उसकी गैंग की महिलाओं को ही माना जाता है।

मवेशी और खदान वालों से टैरर टैक्स वसूलने लगा गुड्‌डा
देवश्री माली बताते हैं कि गुड्‌डा समेत अभी के दौर के डकैत मवेशी चोर हैं। खुद गुड्‌डा को देख लीजिए। वह मवेशी वालों और खदान संचालकों से टैरर टैक्स वसूलता था। उसने बानमोर में जो हत्या की थी, वो भी पारिवारिक थी। इसी में वह फरार हो गया था। फरारी काटने बीहड़ में छिपा और वहीं से डकैत बन गया। मोबाइल और लड़की से दूरी के चलते ही वह लंबे समय तक पकड़ से दूर रहा।

समाज के लोगों के घर लेता था पनाह
गुड्‌डा गुर्जर से पहले के डकैतों का ठिकाना बीहड़ था। गुड्‌डा दिन में बीहड़ में रहता था। रात में परिचित और समाज के लोगों के यहां रुकता था। इसी तरह का पैंतरा चंबल में सक्रिय दूसरे डकैत भी अपना रहे हैं। ASP मुरैना रायसिंह नरवरिया के मुताबिक जब गुड्‌डा के करीबियों को पुलिस ने उठा लिया, तब उसका पनाह लेना मुश्किल हो गया। उसने ग्वालियर की ओर मूवमेंट किया और पकड़ा गया। उसे संरक्षण देने वालों की सूची तैयार की जा रही है।

गुड्‌डा गुर्जर मवेशी वालों और खदान संचालकों से टैरर टैक्स वसूलता था। उसने बानमोर में जो हत्या की थी, उसकी वजह भी परिवारिक थी। इसी में वह फरार हो गया था। गुड्‌डा का साथी कल्ली गुर्जर फरार है।

गुड्‌डा गुर्जर मवेशी वालों और खदान संचालकों से टैरर टैक्स वसूलता था। उसने बानमोर में जो हत्या की थी, उसकी वजह भी परिवारिक थी। इसी में वह फरार हो गया था। गुड्‌डा का साथी कल्ली गुर्जर फरार है।

चंबल में अब लिस्टेड गैंग नहीं
चंबल में अभी लिस्टेड गैंग नहीं है। कुछ राजस्थान की गैंग हैं, जो मध्यप्रदेश की सीमा में वारदात नहीं करती। हां, बचने के लिए मूवमेंट कर निकल जाते हैं। पहले समझना होगा कि जंगल और बीहड़ दोनों अलग हैं। जंगल में किसी व्यक्ति स्थान को चिन्हित किया जा सकता है, लेकिन बीहड़ में नहीं। यहां सिर्फ पैदल ही चलना पड़ता है, इसलिए यहां डकैत आसानी से पनपते और सफल हो जाते हैं।

बीहड़ का सबसे अच्छा फायदा गडरिया गैंग ने उठाया था। यह गैंग ऐसी जगह वारदात करता था, जो गांव से करीब 40 मिनट और मुख्यालय से दो से ढाई घंटे की दूरी पर हो। गैंग की स्पीड एक घंटे में 15 से 16 किलोमीटर चलने की थी। जब तक पुलिस पहुंचती थी, वह बीहड़ में लोकेशन बदल लेता था।

अब चंबल के इन पूर्व डकैतों को भी जान लीजिए…
खूंखार बागी मोहर सिंह गुर्जर उर्फ दद्दा का नाम बड़े डकैतों में शामिल था। उसने 1965 में दिल्ली के एक व्यक्ति को अगवा कर लिया था। उसे छोड़ने के एवज में 26 लाख रुपए वसूले थे। चंबल घाटी में जब मान सिंह राठौर, तहसीलदार सिंह (मानसिंह और तहसीलदार पिता-पुत्र), डाकू रूपा, लाखन सिंह, गब्बर सिंह, लोकमान दीक्षित उर्फ लुक्का पंडित, माधो सिंह (माधव), फिरंगी सिंह, देवीलाल, छक्की मिर्धा, रमकल्ला और स्यो सिंह (शिव सिंह) जैसे खूंखार बागी-गैंग (डकैत और उनके गिरोह) सक्रिय रहे हैं, जिनका दूसरा नाम ही खौफ था।

डाकू फिरंगी सिंह, देवीलाल और उसका पूरा गिरोह, छक्की मिर्धा और गैंग, स्यो सिंह और रमकल्ला मारे जा चुके थे। उसी वक्त 1958 में नौसिखिया मगर उस जमाने का सबसे ज्यादा खतरनाक और खून-खराबे पर उतरा बागी (डाकू) मोहर सिंह चंबल के बीहड़ में बंदूक लेकर कूदा था। पुराने गैंग की चिंता किए बिना मोहर सिंह ने 150 से ज्यादा खूंखार डाकुओं का गिरोह चंबल घाटी में उतार दिया था।

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गुड्‌डा गुर्जर गैंग के सफाए का आदेश दिया था। इसके बाद डकैत गुड्‌डा गुर्जर के साथी करुआ गुर्जर का मकान ढहा दिया गया। करुआ गुर्जर का मकान लोहागढ़ में था। यह कार्रवाई मुरैना और शिवपुरी जिले की पुलिस ने की।

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गुड्‌डा गुर्जर गैंग के सफाए का आदेश दिया था। इसके बाद डकैत गुड्‌डा गुर्जर के साथी करुआ गुर्जर का मकान ढहा दिया गया। करुआ गुर्जर का मकान लोहागढ़ में था। यह कार्रवाई मुरैना और शिवपुरी जिले की पुलिस ने की।

पीटा तो गोलियों से भूनकर बागी बन गया मोहर सिंह
भिंड जिले के मेहगांव के रहने वाले मोहर सिंह गुर्जर को पुश्तैनी जमीन को लेकर कुछ लोगों ने पीट दिया था। बदले में मोहर सिंह ने दुश्मन को गोलियों से भून डाला था। इसके बाद उसने बंदूक उठाई और बागी होकर चंबल के बीहड़ों में कूद गया। बाद में यही मोहर सिंह गुर्जर चंबल घाटी के उस वक्त के सबसे खूंखार डाकू मानसिंह राठौर के बाद दूसरे नंबर के क्रूर बागी रहा।

चंबल में इन दो वजह से पनपते हैं डकैत
चंबल में डकैत पनपने की दो वजह हैं। एक तो यहां के लोगों का उग्र व्यवहार और दूसरा बेरोजगारी। यहां के लोगों का छोटी सी घटना को लेकर भी कड़ा रिएक्शन आता है। युवाओं के इस उग्र व्यवहार का उपयोग दो जगह होता है। सकारात्मक रूप में देखें, तो यहां के लोग फौज में ज्यादा हैं। दूसरा रिएक्शन डकैत के रूप में होता है।

गुड्डा गुर्जर से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें…

इनामी डकैत गुड्डा गुर्जर अरेस्ट

पुलिस ने चंबल के कुख्यात इनामी डकैत गुड्‌डा गुर्जर को एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस और डकैत गुड्‌डा की मुठभेड़ रात करीब 8 बजे ग्वालियर से 40 किलोमीटर दूर जंगल में हुई। ग्वालियर क्राइम ब्रांच की टीम ने फायर किए तो गुड्डा गुर्जर गैंग ने भी फायरिंग कर दी। मुठभेड़ में डकैत गुड्‌डा के पैर में गोली लगी है। गुड्डा के 3 साथी अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

डकैत गुड्‌डा गुर्जर लंगड़ाता रहा, फिर भी बंदूक चलाता रहा

पुलिस ने चंबल के कुख्यात इनामी डकैत गुड्‌डा गुर्जर को शॉर्ट एनकाउंटर में गिरफ्तार कर लिया। मुठभेड़ में दोनों ओर से 100 गोलियां चलीं। ये मुठभेड़ बुधवार रात 8 बजे ग्वालियर से 40 किलोमीटर दूर जंगल में हुई। डकैत गुर्जर के पैर में गोली लगी है। इसके बाद भी फायरिंग करता रहा। उसके 3 साथी भाग निकले। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

डकैत ने गांववालों को पीटा, बोला-जमीन दो या फिर गांव छोड़ो

चंबल के कुख्यात और 65 हजार रुपए के इनामी डकैत गुड्‌डा गुर्जर ने चांचौल गांव के लोगों को गांव खाली करने की धमकी दी है। इस खबर की पुष्टि करने दैनिक भास्कर की टीम मुरैना शहर से लगभग 100 किमी दूर पहाड़गढ़ क्षेत्र के चांचौल गांव पहुंची। वहां बलवीर, नरेश गुर्जर सहित गांव के दर्जन भर ग्रामीणों ने इस बात को सच बताया। उन्होंने कहा कि डकैत ने उन्हें जमीन देने या फिर गांव खाली कर कहीं और बसने का फरमान सुनाया है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

गुड्‌डा के रिश्तेदार भी कम नहीं, 6000 फीट पाइपलाइन उखाड़ी; 60 परिवार संकट में

चंबल डकैत तो डकैत उसके रिश्तेदार भी सिर उठा रहे हैं। मामला मुरैना के चांचौल गांव का है। यहां 60 हजार के इनामी डकैत गुड्‌डा के रिश्तेदारों ने पाइपलाइन उखाड़ दी। इससे गांव की 100 बीघा जमीन की सिंचाई होती थी। चंबल में डकैत गुड्‌डा गुर्जर का टेरर तो है ही, उसके बलबूते रिश्तेदार भी आतंक मचा रहे हैं। रिश्तेदारों ने गांववालों का जीना मुश्किल कर रखा है। उन्होंने गुड्‌डा के साथ मिलकर खेतों में पगारा डैम से लाए गए पानी की 6 हजार फीट पाइपलाइन उखाड़ दी है। अब गांव के 60 परिवारों के खेतों में सिंचाई नहीं हो सकेगी। परेशान ग्रामीण गांव छोड़ने को मजबूर हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

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