मनरेगा का खेल: 13 साल में 731 खेल मैदान बनाने में खर्च किए 14 करोड़ रुपए, 20% भी अस्तित्व में नहीं

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मंदसौर37 मिनट पहले

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मनरेगा के तहत जिले में 14.91 करोड़ रुपए खर्च करके 731 खेल मैदान बनाए गए। इनमें से करीब 20 फीसदी खेल मैदान भी अस्तित्व में नहीं हैं। अधिकतर जगह मैदानों पर लोगों ने कब्जा कर लिया या देख-रेख के अभाव में कांटेदार झाड़ियों के बीच शौचालय जीर्ण- शीर्ण हो गए। मजबूरन अंचल के युवा खेल प्रैक्टिस व आर्मी की तैयारी के लिए अन्य स्थान ढूंढ रहे हैं। ऐसे में करोड़ों खर्च करने के बाद भी शासन अपनी मंशा पर खरा उतरता नहीं दिख रहा है।

ग्रामीण विकास की सबसे बड़ी योजना मनरेगा है। विकास और लोगों को रोजगार मुहैया करने के लिए लागू महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम में हर साल हजारों करोड़ का बजट जारी होता है। 2022-23 के लिए केंद्र सरकार ने 73 हजार करोड़ के बजट का प्रावधान किया। इससे औसतन हर पंचायत स्तर पर एक-एक खेल मैदान बनाया। जिले में सर्वाधिक निर्माण 2012 से 2018 के बीच हुए। उद्देश्य था ग्रामीण प्रतिभाओं को बेहतर खेल मैदान व माहौल उपलब्ध कराना लेकिन मैदान नहीं बचे हैं।

आर्मी, पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहे युवा दौड़ या अन्य वर्कआउट नहीं कर पा रहे हैं। कहीं गड्‌ढे, झाड़ियां तो कहीं अतिक्रमणकर्ताओं का कब्जा हो चुका है। मंदसौर ब्लॉक के कुचड़ौद गांव में मैदान असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है, तैयार होने के बाद से अब तक एक भी बार अंचल के युवा खिलाड़ी यहां प्रैक्टिस नहीं कर पाएं। इसके अलावा भास्कर ने अंचल में पड़ताल की तो 75 फीसदी से अधिक खेल मैदानों का यही हश्र नजर आया।

पंचायतों ने मस्टर भर राशि खर्च कर दी लेकिन सही प्लानिंग व मेंटेनेंस नहीं होने से मैदान कागजों में दर्ज होकर रह गए। जमीनी हकीकत में मैदान का अस्तित्व ही नहीं है। मनरेगा हर साल सोशल ऑडिट करता है। इसमें भी जमीनी हकीकत सरकार तक नहीं पहुंच रही है, वरना मैदानों की सुध लेकर या अतिक्रमण मुक्त कर उपयोगी बनाए जा सकते हैं। सिर्फ वे मैदान ही सुरक्षित हैं जो किसी स्कूल परिसर में बनाए गए थे और पंचायतों ने उन्हें ही संवारना बताकर राशि आहरित कर दी। वहां स्कूलों ने मेंटेनेंस किया।

कुचड़ौद| मंदसौर ब्लॉक की कुचड़ौद पंचायत ने खेल मैदान और खिलाड़ियों के लिए सुविधाघर बनाया था। पूर्व में बड़वन मार्ग के निर्माण के दौरान ठेकेदार ने सामग्री डाल दी थी जिसकी सफाई नहीं की। अब देख-रेख के अभाव में परिसर में कांटेदार झाड़ियां उग गई हैं। शाम होते ही उक्त जगह असामाजिक तत्वों का अड्‌डा बन जाता है। प्रैक्टिस व तैयारी नहीं कर पाने की परेशानी बताते हुए अंचल के युवा।

गरोठ। वर्ष 2013 में 4 लाख की लागत से गांव बर्डिया अमरा में खेल मैदान तैयार किया था। समतलीकरण के साथ पिच व गेट भी बनाया लेकिन अनदेखी के चलते यह भी दुर्दशा की भेंट चढ़ गया, मैदान की बेहाली के चलते खिलाड़ियों ने इससे दूरी बना ली है। युवाओं को फोर्स की तैयारी के लिए सड़क पर दौड़ना पड़ रही है।

इन गलतियों के कारण मैदान सिर्फ कागजों में रह गए हैं

  • जो सरकारी भूमि खाली थी, वहां केवल ट्रैक्टर चलाकर या मजदूरों से समतलीकरण करवा दिया।
  • जमीन सुधारने के लिए ना मुरम डलवाई और ना व्यवस्थित भराव करवाया।
  • मैदान के आसपास में बाउंड्रीवॉल नहीं बनाई, इससे लोगों ने अतिक्रमण कर लिया।
  • मेंटेनेंस नहीं होने से बारिश में घास उग आईं और मवेशी घुसने से मैदान ऊबड़-खाबड़ हो गए।

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