Chhattisgarh

एडीजी अरुणदेव गौतम और हिमांशु गुप्ता के प्रमोशन का रास्ता साफ…

रायपुर । मंत्रालय में हुई डीपीसी (डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी) ने एडीजी अरुणदेव गौतम और हिमांशु गुप्ता के डीजी (डायरेक्टर जनरल) बनने का रास्ता साफ कर दिया है। डीपीसी ने इन दोनों आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन को मंजूरी दे दी है। अब फाइल गृह मंत्री के पास से होते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पास पहुंच गई है। संकेत मिल रहे हैं कि मुख्यमंत्री का अनुमोदन होते ही अगले कुछ दिनों में इन दोनों अफसरों के प्रमोशन का आदेश जारी हो जाएगा। वहीं, पवनदेव का प्रमोशन फिलहाल रोक दिया गया है।

डीजी के चार पद
छत्तीसगढ़ में डीजी के कुल चार पद हैं, जिनमें से दो कैडर पद हैं और राज्य सरकार दो एक्स कैडर पोस्ट क्रिएट कर सकती है। वर्तमान में चार में से सिर्फ एक पद भरा हुआ है, जिस पर अशोक जुनेजा डीजी पुलिस हैं। बाकी तीन पद खाली हैं। राजेश मिश्रा के रिटायरमेंट के बाद से दो पद खाली हो गए थे। डीपीसी के बाद, तीन पदों के लिए मंत्रालय में प्रमोशन की प्रक्रिया शुरू हुई।

सीनियरिटी और डीपीसी की प्रक्रिया
राजेश मिश्रा के रिटायरमेंट के बाद, 92 बैच के दो आईपीएस अधिकारी, पवनदेव और अरूणदेव गौतम, सीनियरिटी में सबसे आगे हैं। इनके बाद 94 बैच में हिमांशु गुप्ता सबसे ऊपर हैं। इसलिए, इन तीनों के लिए डीपीसी हुई। हालांकि, पवनदेव के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है, इसलिए डीपीसी में उनके नाम पर चर्चा हुई लेकिन प्रमोशन नहीं हो पाया। डीपीसी ने उनके नाम का लिफाफा बंद कर दिया, जिसका अर्थ है कि यदि उनके खिलाफ जांच समाप्त हो जाती है, तो उन्हें बिना डीपीसी के प्रमोशन मिल सकता है।

डीजीपी अशोक जुनेजा का रिटायरमेंट
डीजीपी अशोक जुनेजा अगस्त के पहले हफ्ते में रिटायर हो जाएंगे। उन्हें पूर्णकालिक डीजीपी बनाने का आदेश 5 अगस्त 2022 को निकला था, जिसका दो साल का कार्यकाल 4 अगस्त को पूरा हो जाएगा। उस समय दो डीजी होंगे – अरुण देव गौतम और हिमांशु गुप्ता। राज्य सरकार यदि सीनियरिटी के हिसाब से डीजीपी बनाती है तो अरुण गौतम का नाम फायनल हो सकता है। लेकिन यदि हिमांशु गुप्ता को डीजीपी बनाना तय होता है, तो उनके नाम का आदेश निकल जाएगा।

इस प्रमोशन प्रक्रिया के बाद, छत्तीसगढ़ पुलिस में शीर्ष पदों पर महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं। सरकार की निर्णय प्रक्रिया और वरिष्ठता के आधार पर नए डीजीपी की नियुक्ति तय होगी, जिससे पुलिस प्रशासन की दिशा और कार्यप्रणाली में बदलाव आने की संभावना है।

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