नगरपालिका की लापरवाही: बगीचे का रखरखाव करने वालाें के वेतन पर हर साल नपा खर्च कर रही 60 लाख, फिर भी हैं उजाड़

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मंदसौरएक घंटा पहले

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सालाना 60 लाख वेतन पर खर्च के बाद भी शहर में कंबल केंद्र के पास बगीचा इस तरह उजाड़ पड़ा है - Dainik Bhaskar

सालाना 60 लाख वेतन पर खर्च के बाद भी शहर में कंबल केंद्र के पास बगीचा इस तरह उजाड़ पड़ा है

हरियाली व बगीचे विकास के लिए नपा में अलग से उद्यान शाखा है। इसका काम केवल बगीचों का रख रखाव व पेड़ पौधों का मेंटेनेंस हैं। करीब 45 लोगों की टीम हैं। इनके वेतन पर नपा हर साल 60 लाख रुपए खर्च करती हैं। इसके बाद भी शहर के बगीचे उजाड़ हैं। यदि नपा वेतन राशि से बगीचों का रख रखाव ठेका पद्धति पर देती हैं तो हर साल शहर में 15 से अधिक बगीचे विकसित हो सकते हैं। इसके लिए प्रशासक के कार्यकाल में फाइल तैयार की गई थी। वर्तमान जनप्रतिनिधियों को इसकी जानकारी नहीं है।

डेढ़ लाख से अधिक आबादी वाले मंदसौर शहर में लोगों के भ्रमण व हरियाली के लिए बगीचों की व्यवस्था नहीं है। कहने को नपा के कागजों में 103 बगीचे हैं। लेकिन सभी उजाड़। केवल दशपुर कुंज बगीचा शहर की जनता के पास है। इसके सामने जिला अस्पताल है। जिससे जिला अस्पताल में मरीजों के साथ आने वाले परिजन दिनभर बगीचे में दिखाई दे सकते हैं। पिकनिक स्पॉट के नाम पर तेलिया तालाब का बगीचा है, तालाब में पानी भरा होने पर छह माह बगीचे में जाने का रास्ता बंद रहता हैं।

नपा ने हाल ही में रेवास देवड़ा मार्ग पर दादा दादी पार्क डेवलप कराया लेकिन यह नपा के हैंडओवर नहीं हो पाया है। शहर की जनता के पास बगीचों के नाम पर कहीं बाउंड्रीवॉल, टूटे झूले चकरी व गाजर घास ही है। नपा ने उद्यान शाखा में 45 कर्मचारी हैं। इसमें से 20 अाधे कर्मचारी ही बगीचों व शहर में पेड कटाई छटाई करते हैं। शेष 25 कर्मचारी अधिकारियाें-कर्मचारि यों के निजी काम कर रहे हैं। यही कारण हैं शहर में बगीचे उजाड़ हैं। इसके बाद भी नपा हर साल कर्मचारियों के केवल वेतन पर 60 लाख रुपए खर्च कर रही है। इसके अतिरिक्त रखरखाव व सामग्री पर 10 लाख रुपए सालाना खर्च किए जाते हैं।

ठेका पद्धति पर विकसित कर सकते हैं बगीचे

ठेका पद्धति पर बगीचों का विकास किया जा सकता है। प्रशासक के कार्यकाल में नपा इंजीनियरों ने फाइल तैयार कर रखी है। नपा इंजीनियरों ने तीन बड़े बगीचों के रख रखाव के लिए 11 लाख का एस्टीमेट तैयार किया था। यदि नपा निजीकरण पर बगीचों विकास का काम देती हैं तो हर साल शहर में करीब 15 बगीचे तैयार हो सकते हैं। हैरानी की बात हैं कि जनप्रतिनिधियों को मामले की जानकारी नहीं है।

परिषद में उठा है बगीचों का मामला

“परिषद में बगीचों का मामला उठा है, उसके बाद फाइल दिखवा रही हूं। पूरा प्रयास करेंगे जल्द सुधार हो व शहर में बगीचे विकसित हो। निजीकरण पर काम देने जैसी जानकारी नहीं हैं। इंजीनियरों से चर्चा कर दिखवाएंगे।”
-निर्मला चंदवानी, सभापति

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