लिलवानी ग्राम में अतिक्रमण हटाया: याचिकाकर्ता का दावा- कोर्ट में प्रशासन ने बताए थे 16 अतिक्रमण, 13 अतिक्रमण पर की गई कार्रवाई

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नरसिंहपुरएक घंटा पहले
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गाडरवारा के लिलवानी ग्राम में हुए अतिक्रमण को हटाने याचिकाकर्ता और नागरिक उपभोक्ता मंच के पवन कौरव, मनीष शर्मा ओर सज्जाद अली ने 24 फरवरी को एनजीटी में लिलवानी तालाब में हुए अतिक्रमण को हटाने की याचिका दायर की थी। जिस पर प्रशासन ने कोर्ट के आदेश पर अपनी रिपोर्ट में कुल 16 अतिक्रमण बताए थे। जिनमें 13 अतिक्रमण निजी लोगों व तालाब की जमीन में तीन अतिक्रमण शासकीय बिल्डिंगों के पाए गए थे। जिनमें हॉट बाजार, शासकीय स्कूल, पंचायत भवन, कॉम्प्लेक्स बने हुए हैं।
शनिवार को जब प्रशासनिक अमला अतिक्रमण हटाने पहुंचा तो अधिकारियों ने आनन-फानन में 13 अतिक्रमणों को हटा दिया लेकिन अपने ही हलफनामा जिसे कोर्ट में सबमिट किया था। उसके अनुसार तीन शासकीय भवन जो तालाब की भूमि पर बनाए गए थे, उनको नहीं हटाया गया। वहीं, दोषी अधिकारी जिन्होंने उन भवनों को तालाब की जमीन पर बनाने की अनुमति दी थी। उन पर अब तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई है।
अफसरों पर मेहरबान प्रशासन
16 अतिक्रमणों में 3 अतिक्रमण में करोड़ों के शासकीय भवन भी बना दिए गए लेकिन ना इनको बनाते समय पर्यावरणीय स्वीकृति ली गई, और ना ही पर्यावरण अधिनियम का ध्यान रखा गया। बिना सोचे समझे तालाब की करीब 9 एकड़ भूमि पर कैसे करोड़ों की शासकीय बिल्डिंगे खड़ी कर दी गईं ये समझ से परे है। जब ये मामला एनजीटी कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने खसरा के हिसाब से सभी अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया तो उसका पालन नही हुआ जिसके बाद कोर्ट ने कलेक्टर को 21 नवम्बर को व्यक्तिगत सुनवाई में उपस्थित होने का आदेश दे दिया जिसके बाद आनन फानन में ये कार्यवाही की गई।
कब तोड़ेंगे शासकीय इमारत
करोड़ों की शासकीय बिल्डिंगों को बनाने में जो लापरवाही हुई उसमे अब प्रशासन जिम्मेदार अधिकारियों को बचाने पर आमादा हो गया है। और अब ऐंसा प्रतीत होता है कि कोर्ट को गुमराह करने की भी कोशिश की जा सकती है। लेकिन सवाल फिर वहीं खड़े हो रहे हैं कि जब पहले से ही ग्राम लिलवानी मौजे में शासकीय भूमि थी तो फिर तालाब को पूर कर उसमें ही ये भवन क्यों बनाए गए ना तालाब की मद को परिवर्तित किया गया और ना ही उसमे पर्यावरणीय नियमों को ध्यान में रखा गया। इस पूरी कार्यवाही में गाडरवारा तहसीलदार राजेश मरावी, सुश्री श्वेता बमोरे नायब तहसीलदार, चौकी प्रभारी सीहोरा, पटवारी व पुलिस बल के साथ प्रशासनिक अमला मौजूद रहा ।
इनका कहना है
- माननीय एनजीटी के आदेश के परिपालन में कोर्ट के आदेशानुसार 13 अतिक्रमण हटाए गए हैं जो 3 शासकीय बिल्डिंगें बनी हुई है उसके संबंध में अभी कोई आदेश नही हुआ है। -श्वेता बमोरे, नायब तहसीलदार
- कोर्ट के आदेशानुसार ओर प्रशासन द्वारा एनजीटी में दिए गई रिपोर्ट में कुल 16 अतिक्रमण बताए गए थे लेकिन यदि 13 अतिक्रमण हटाए गए हैं। हम सुनवाई में इसकी आपत्ति दर्ज कराएंगे कि प्रशासन ने तालाब की भूमि पर बनी इमारतों को क्यों नहीं तोड़ा ओर उनको बनाने से पहले भूमि संबंधी जांच क्यों नहीं की गई। जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्यवाही की जानी चाहिए। -पवन कौरव, याचिकाकर्ता
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