मंत्रालय की वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा: एक साल में नहीं सुधरे आदिवासियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के हालात, शिक्षा में हम पांचवें नंबर पर

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भोपालएक घंटा पहले
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मंत्रालय की वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा
पिछले एक साल से प्रदेश में आदिवासियों के मुद्दों पर जमकर राजनीति हो रही है। इस एक साल में केंद्र सरकार ने देशभर में आदिवासी इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए सर्वाधिक 2681.28 करोड़ रुपए धनराशि आवंटित की है। इसके बावजूद प्रदेश में सुरक्षा और स्वास्थ्य के मामलों में आदिवासी इलाकों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। हाल में जारी केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय की वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक मप्र में पिछले एक साल में आदिवासियों पर एट्रोसिटी के मामलों की संख्या और बढ़ गई है।
वर्ष 2021 में आदिवासियों पर अत्याचार के देशभर में 8802 मामले दर्ज हुए, इनमें सर्वाधिक 2627 केस मप्र में दर्ज हुए हैं। पिछले साल की तुलना में इनमें 9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पिछले तीन सालों से एट्रोसिटी केसों की संख्या के मामले में मप्र देश में अव्वल है।
3,15,315 आदिवासी बच्चों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति दी जा रही राजस्थान में, देश में सर्वाधिक
2,79,722 आदिवासी बच्चों को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति दी जा रही है मध्यप्रदेश में
आबादी में नंबर एक, पर पढ़ाई लिखाई में पांचवां स्थान
आदिवासियों की आबादी में 14.7% हिस्सेदारी के साथ मप्र देश में पहले पायदान पर है, लेकिन आदिवासियों की पढ़ाई-लिखाई में पांचवें पायदान पर है। प्रदेश में आदिवासी वर्ग के ग्रेजुएट व इससे ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों की संख्या 1 लाख 21 हजार 774 है। वहीं राजस्थान 199280 के साथ पहले, महाराष्ट्र 185590 के साथ दूसरे और झारखंड 144262 के साथ तीसरे स्थान पर है। गुजरात 133702 के साथ चौथे स्थान पर है।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्थिति पहले से बिगड़ी, नहीं मिल रहा इलाज
मप्र के आदिवासी अंचल में स्वास्थ्य क्षेत्र में स्थिति और खराब हुई है। प्रदेश में 2020 की स्थिति में आदिवासियों की प्रोजेक्टेड पॉपुलेशन 1.62 करोड़ से अधिक मानी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक आदिवासी अंचल में 2408 उपस्वास्थ्य केंद्रों, 491 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 116 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर की कमी है। पिछले साल की तुलना में यह कमी और बढ़ गई है।
प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति में 114 करोड़ दिए… प्रदेश में 3,14,356 आदिवासी बच्चों को प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति मिल रही है। जो देशभर में सर्वाधिक है। इन्हें 114.59 करोड़ रुपए दिसंबर 2021 तक की स्थिति में दिए गए हैं। लेकिन पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के मामले में राजस्थान देशभर में अव्वल है।
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