जहरीले जीवों के दंश से पीडितों का इलाज हाेगा आसान: एम्स भोपाल में टॉक्सिकोलॉजी लैब शुरु, ADG नारकोटिक्स की मौजूदगी में हुआ उद्घाटन

[ad_1]
भोपालएक घंटा पहले
- कॉपी लिंक

अक्सर सांप, बिच्छू जैसे जहरीले जीव-जंतुओं के काटने से मरीजों की हालत बिगड़ जाती है। कई बार ये पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि जिस जीव ने डसा है वह कितना जहरीला है। यही नहीं जहरीले और नशीले पदार्थों के सेवन करने से होने वाली मौतों को रोकने में अब काफी हद तक कामयाबी मि सकेगी। शनिवार को एम्स भोपाल के मोर्चरी कॉम्प्लेक्स में एम्स के डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह, एडीजी नारकोटिक्स डॉ एस डब्ल्यू नकवी की मौजूदगी में टॉक्सिकोलॉजी लैब (विष विज्ञान प्रयोगशाला) का उद्घाटन किया गया। इस मौके पर डॉ. बालकृष्णन, डॉ. विजेंदर सिंह सहित अनेक फैकल्टी मेंबर और रेजीडेंट्स उपस्थित रहे।
डायरेक्टर बोले- नशीली दवाओं का पता लगाने इसकी जरूरत
एम्स के डायरेक्टर डॉ अजय सिंह ने वर्तमान समय में टॉक्सिकोलॉजी लैब के महत्व पर जोर दिया और टॉक्सिकोलॉजी लैब के बाद के विकास में अपना समर्थन दिया। डॉ. एस.डब्ल्यू नकवी ने कहा कि समय के साथ नशीली दवाओं के दुरुपयोग का पैटर्न लगातार बदल रहा है और भोपाल में नई दवाओं का पता लगाने की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। टॉक्सिकोलॉजी लैब के विकास की दिशा में यह पहला कदम है और एम्स भोपाल के फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग द्वारा दुरुपयोग की दवाओं के गुणात्मक विश्लेषण की सुविधा आज से शुरू हो गई है। यहां किया गया परीक्षण एक मल्टी-ड्रग वन स्टेप स्क्रीनिंग टेस्ट होगा, जिसमें मानव मूत्र में मौजूद कई दवाओं और दुरुपयोग की दवाओं के मेटाबोलाइट्स का एक साथ, गुणात्मक पता लगाया जाएगा। रिपोर्टिंग निर्धारित प्रारूप में की जाएगी। इससे नशीली दवाओं के दुरुपयोग को नियंत्रित करने के लिए बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी।
लैब का होगा समय के अनुसार विस्तार
एम्स डायरेक्टर ने कहा वर्तमान में विष विज्ञान प्रयोगशाला एम्स, भोपाल के विभिन्न वार्डों, ओपीडी से लिए गए नमूनों की समयबद्ध रिपोर्टिंग सुनिश्चित करेगी, जिससे मनोरोग विभाग द्वारा संचालित नशामुक्ति क्लीनिक में इलाज करा रहे रोगियों द्वारा सेवन की जा रही दवाओं के उचित प्रबंधन में मदद मिलेगी। प्रयोगशाला औषधि विज्ञान विभाग और मनश्चिकित्सा विभाग के सहयोग से विष विज्ञान के उभरते क्षेत्रों में छात्रों को प्रशिक्षण भी प्रदान करेगी। डॉ एस डब्ल्यू नकवी ने मध्य प्रदेश राज्य में इस तरह की सुविधा स्थापित करने के लिए विभागाध्यक्ष डॉ अर्नीत अरोड़ा और फैकल्टी, डॉ अतुल एस केचे और फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी के डॉ निरंजन साहू के प्रयासों को बताया गया। भविष्य में विभिन्न जहरों की मात्रात्मक और गुणात्मक पहचान के लिए क्रोमैटोग्राफी और अन्य अत्याधुनिक तकनीक को शामिल करने के लिए प्रयोगशाला का विस्तार किया जाएगा।
Source link