21 से मांगलिक कार्यों की होगी शुरुआत: देवोत्थान एकादशी आज, साल के अंतिम दो माह में विवाह के 10 मुहुर्त

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खरगोन35 मिनट पहले

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मान्यता है कि चार महीने से शेषनाग की शय्या पर योग निद्रा में सो रहे भगवान श्रीहरि विष्णु 4 नवंबर शुक्रवार को देवोत्थान एकादशी पर जागेंगे। इसके साथ ही सभी कुलाधिपति और नवग्रह सक्रिय हो जाएंगे और चार महीने बाद फिर से मांगलिक कार्यक्रमों की शहनाइयां बजने लगेंगी। हालांकि इस बार देवउठनी एकादशी पर अबूझ मुहूर्त को लेकर अलग-अलग मान्यताएं देखी जा रही हैं।

पंडित अरविंद डोंगरे के अनुसार इस दिन शुक्र तारा अस्त होने से परंपरा अनुसार तुलसी सालिगराम विवाह धूमधाम से कराएं जाएंगे, जबकि वास्तु शांति, देव प्रतिष्ठा शुभ लगन वर्जित रहेंगे। विवाह आदि शुभ कार्यों में शुक्र उदय होना जरूरी है। इस वजह से विवाह आदि शुभ कार्य 21 नवंबर से शुरू हो रहे हैं। देवशयनी एकादशी के बाद लगातार शुभ मुहूर्त को देखते हुए जिन घरों में शादी होना है उनके द्वारा तैयारियां तेज कर दी गई हैं।

पंडित डोंगरे के अनुसार कार्तिक मास के देवोत्थान एकादशी के बाद शादी के लिए शुभ मुहूर्त शुरू हो जाते हैं। देवोत्थान एकादशी इस बार 4 नवंबर को है, लेकिन तारा अस्त होने से शादी का शुभ मुहूर्त नहीं है। नवंबर में शादी के केवल 4 शुभ मुहूर्त रहेंगे। इस माह के अंतिम सप्ताह में तारा उदय होगा, उसके बाद ही शादियों के मुहूर्त शुरू होंगे। नवंबर-दिसंबर में शादियों के केवल 10 मुहूर्त रहेंगे। हालांकि नए साल में खूब शहनाई बजेंगी।

हालांकि, सामान्य अबूझ मुहूर्त होने और लोक परंपरा के आधार पर कुछ विवाह समारोह होंगे। नवंबर माह में जहां शादियों के 4 मुहूर्त होंगे, वहीं दिसंबर माह में 6 दिन ही शादियों के शुभ मुहूर्त रहेंगे। वहीं 16 दिसंबर से मलमास शुरू हो जाएगा। इसके बाद नए साल में 15 जनवरी से शादी के शुभ मुहूर्त शुरू होंगे।

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