दोहरी मुसीबत: पहले लहसुन-प्याज ने रुलाया, अब खेतों में कटी पड़ी सोयाबीन की फसल हो रही खराब

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शाजापुर32 मिनट पहले

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खेतों में पानी भरा होने से इस तरह निकाल रहे फसल। - Dainik Bhaskar

खेतों में पानी भरा होने से इस तरह निकाल रहे फसल।

पिछले तीन-चार दिन हो से रही बारिश से किसान चिंतित हो गए हैं। सोयाबीन की फसल पककर तैयार हो गई है। अधिकांश जगहों पर फसलों की कटाई हो चुकी है। खेतों में सोयाबीन के ढेर रखे हैं। कुछ जगह पर अभी भी सोयाबीन की कटाई चल रही है।इसी बीच फिर से बारिश होने से किसानों पर मुसीबत के बादल मंडराने लगे हैं। बता दें कि पहले लहसुन व प्याज के उचित भाव नहीं मिलने से किसानों की लागत तक नहीं निकली। इसको लेकर किसानों ने सामूहिक रूप से मुख्यमंत्री के नामज्ञापन भी सौंपा था।

किसानों का कहना है इस बार बारिश से सोयाबीन की फसल पूरी तरह चौपट हो गई। सरकार जल्द सर्वे करवाकरबीमा एवं मुआवजा राशि दे और साेयाबीन का निर्यात पूरे साल खुला रखा जाए। तेल का आयात तुरंत बंद किया जाए ताकि साेयाबीन उत्पादक किसानाें काे आर्थिक नुकसान न हाे।

गीली फसल सुखाने का प्रयास कर रहे किसान
ग्राम डेकरी के किसान प्रेम सिंह, सोहन, मेहरबान व लाड़सिंह ने बताया इस बार सोयाबीन का बीज मंहगा मिला, बोने में भी अधिक खर्च हुअा। सोयाबीन की पैदावार से आशा थी कि लागत निकालकर कुछ मुनाफा हो जाएगा लेकिन बारिश होने से सोयाबीन खराब होती जा रही है। अब लागत निकालना मुश्किल दिखाई दे रहा है। ग्राम सनकोटा के किसान बाबूसिंह व हरिसिंह ने बताया कि पहले तेज बारिश से खेतों में पानी भर गया था, जिससे सोयाबीन में पीला मोजेक बीमारी लग गई और फसल खराब होने लगी थी। इससे निपटने के लिए तत्काल खेतों में से पानी निकाला एवं पौधे पर कीटनाशक दवा का छिड़काव किया। काफी रखरखाव करने के बाद जब सोयाबीन की कटाई की बारी आई तो बारिश फिर से शुरू हो गई। इससे खेतों में पड़ी सोयाबीन गीली हो गई, जिसे सुखाने का प्रयास कर रहे हैं।

लागत भी नहीं निकल रही
कृषि विभाग के उपसंचालक केएस यादव ने बताया जिले में 2 लाख 50 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन लगी है। पहले जिन किसानों के खेतों में 48 से 72 घंटों तक बारिश का पानी भरा रहा, उन खेतों में सोयाबीन की पैदावार कम हुई है। उपसंचालक यादव की मानें तो सोयाबीन के खेतों में पानी भरने की सूचनाएं जिले के लगभग सभी ग्रामों से आई थी। ऐसे में किसानों काे पहले तेज बारिश से नुकसान झेलना पड़ा। वर्तमान में जब सोयाबीन की फसल कटकर खेतों में रखी है सिर्फ थ्रेसिंग होना है कि अचानक बारिश होने से सोयाबीन गीली हो गई। इससे किसानों को फसल खराब होने का डर सता रहा है। किसानों की मानें तो उनकी साेयाबीन की लागत भी नहीं निकल पा रही है।

सामान्य से अधिक बारिश : अधीक्षक भू-अभिलेख अकलेश मालवीय ने बताया 1 जून से 13 अक्टूबर तक जिले की औसत वर्षा 1425.2 मिमी दर्ज की गई। वहीं पिछले वर्ष 1 जून से 13 अक्टूबर तक जिले की औसत वर्षा 1063.0 मिमी दर्ज की गई थी। जिले में सामान्य वर्षा 990.1 मिमी है यानी इस बार अक्टूबर तक जिले की सामान्य वर्षा से 435.1 मिमी वर्षा अधिक हो गई।

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