कथा का रविवार को समापन: काॅलेज के बाहर लगीं छोटी-छोटी 90 से अधिक दुकानें, ऑटो – मैजिक वालाें काे भी अच्छी आय हुई

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मंदसौर2 घंटे पहले
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कॉलेज ग्राउंड पर 7 दिनी पं. प्रदीप मिश्रा की कथा का रविवार को समापन हुआ। इस दौरान लाखों लोगों ने कथा श्रवण भी किया, लाखों रुपए खर्च भी हुए। वहीं आयोजन से सैकड़ों लोगों को रोजगार का अवसर भी मिला। आयोजन स्थल के चारांे तरफ जहां स्थान मिला गरीब लोगों ने ठेला व दुकान लगाई। इससे उन्होंने राेज 500 से 1 हजार रुपए तक की आय की। आयोजन से शहर के ऑटो रिक्शा चालकों को भी अच्छा लाभ हुआ। हालांकि 40 से 50 ऑटो चालकों ने नि:शुल्क सेवा दी लेकिन बाकी को सामान्य दिनों की तुलना में दो से तीन गुना आय हुई।
पानी पतासे के ठेला संचालक सुरेश ने बताया कि पहले दिन तो पुलिस व प्रशासन ने कॉलेज ग्राउंड के बाहर ठेला नहीं लगाने दिया तो पीछे तालाब किनारे होते हुए गर्ल्स कॉलेज के पीछे वाले रास्ते पर लगाया। कथा में प्रवेश करते समय व कथा छूटने के बाद देर शाम तक अच्छी ग्राहकी मिली। एक-दो दिन बाद प्रशासन ने कॉलेज के बाहर ऑडिटोरियम के यहां ठेला लगाने दिया। इससे मेरा रोजगार देर रात 11 बजे तक चलता रहा। इन दिनों रोज औसत 800 से 1400 रुपए तक की बचत की।
ऑटो चालक दिलीप ने बताया कि सामान्य दिनों में हमें सवारी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। कथा के दौरान खाली रिक्शा मिलना मुश्किल हो गए थे। हम स्टैंड आते या कथा स्थल से निकलते तो दो मिनट में सवारी तैयार मिलती। कथा स्थल के चारों तरफ यशनगर, कॉलेज ग्राउंड के बाहर, जिला पंचायत तिराहा के आसपास व्यापारियों को अच्छे व्यवसाय का अवसर मिला।
लौटते समय पं. मिश्रा ने रोड शो कर भक्तों का किया अभिनंदन
कथा समापन के बाद रविवार को पं. प्रदीप मिश्रा आयोजन स्थल से ओपन कार में निकले। उनको देखने कॉलेज ग्राउंड के बाहर हाइवे पर दोनों तरफ भक्तों की भीड़ लग गई। समापन के बाद जाने से पहले पं. मिश्रा ने हाथ हिलाकर भक्तों का अभिनंदन भी किया।
मनुष्य जिद छोड़ दे तो आधे केस राजीनामे में ही निपट जाएं : पं. मिश्रा ने कहा कि बेटियों पर गलत दृष्टि डालने वाले का अंत कैसा होता है। यह रावण का चरित्र बताता है। रावण से बड़ी गलती कौरवों ने की थी, एक नारी का भरी सभा में चीरहरण करने का प्रयास किया लेकिन दुर्योधन का पुतला नहीं जलाया जाता क्योंकि रावण ज़िद पर अड़ा था, मनुष्य जिद छोड़ दे तो अदालत में आधे केस राजीनामे में ही निपट जाएं।
छोटा-सा जीवन है, इसे खुशियों से जीयो
कथा समापन के दिन रविवार को पं. मिश्रा ने कहा कि बहुत छोटा-सा जीवन है, इसे खुशियों इसे जीयो। खूब कमाओ लेकिन थोड़ा अपने शरीर पर भी खर्च करो और जीवन को खुशियों से जीयो। दुनिया को भले बुरा लगे लेकिन अपना काम, अपना कर्म मत छोड़ना। शिव पर भरोसा रखना। एकदम से जिसके पास धन, वैभव, सत्ता आती है वह हिलोरे मारता है। व्यक्ति को पहचानने से मना कर देता है लेकिन जिसके पास पहले से होता है वह सहज, सरल होता है क्योकि उसके पास बुद्धि और ज्ञान की गहराई होती है।
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