RSS का विजय संकल्प शिविर: भैय्याजी जोशी बोले-देश को सशक्त बनाने के लिए स्वरोजगार जरूरी

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भिंड28 मिनट पहले

आरएसएस के शिविर को संबोधित करते हुए भैय्याजी जोशी।

आज भारत रक्षा के क्षेत्र में स्वावलंबी बन रहा है। कभी हम रसिया, इजराइल पर निर्भर थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। भारत की शक्ति के साथ विश्व के मंच पर आत्म निर्भर होकर खड़ा। विश्व के पटल पर सशक्त बनने के लिए देश को आत्म निर्भर बनना होगा। इसलिए देश के प्रधानमंत्री स्वरोजगार पर जोर दे रहे हैं। ये बात यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य एवं पूर्व सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने विजय संकल्प शिविर के प्राकटोत्सव कार्यक्रम के समापन पर कही।

उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा कि आत्म निर्भर बनने के लिए स्वरोजगार का सहारा लेना होगा। क्योंकि स्वरोजगार स्वाभिमान की ओर ले जाता है। शिविर के समापन पर भैय्याजी जोशी ने देश की आधुनिकता पर चिंतन करते हुए टूटते परिवारों पर कहा कि हम आधुनिक बनें, संयमिता को छोड़ते जा रहे है। हम सभी को संयमित जीवन जीना हाेा। संयमित जीवन सिर्फ संयुक्त परिवार में होता है। उन्होंने युवा पीढी में नशे की लत और महिला सुरक्षा को लेकर कहा कि आज हमारा समाज कहां जा रहा है?

आरएसएस का शिविर।

आरएसएस का शिविर।

धर्मांतरण का जिम्मेदार कौन?

धर्मांतरण को लेकर उन्होंने कहा कि इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं। कहीं न कहीं हम ही ने उन्हें प्रताडित किया, जिससे उन्होंने धर्मांतरण किया। इस अवसर पर विभाग संघचालक नवल सिंह भदौरिया, जिला संघचालक रामशरण पुरोहित और चंबल ऑयल मिल के संचालक अरुण जैन मंचासीन रहे।

कार्यक्रम में भैयाजी ने कहा कि वर्ष 1925 में हेडगेवार ने हिंदू समाज को संगठित करने के लिए संघ कार्य प्रारंभ किया। तब लोगों को विश्वास नहीं होता था कि हिंदू संगठित होगा। उस समय की सामाजिक परिस्थिति को देखते हुए महात्मा गांधी ने कहा कि हिंदू भ्रमग्रस्त है। लोकमान्य तिलक ने कहा कि हमें अच्छा राज्य नहीं अपना राज्य चाहिए। जब दुर्जन सक्रिय और सज्जन निष्क्रिय हो जाते हैं तभी चाणक्य ने कहा कि इस देश को नुकसान सज्जनों के निष्क्रियता के कारण हुआ है। सज्जन को शक्तिशाली और शक्तिशाली को सज्जन बनना होगा। हम किसी पर आक्रमण नहीं करना चाहते हैं। बल्कि शक्तिशाली इसलिए बनना चाहते हैँ ताकि हम पर भी कोई आक्रमण करने की नहीं सोचे। इतिहास गवाह है कि हम भारत के बाहर कभी शस्त्र लेकर नहीं गए। बल्कि शास्त्र लेकर गए। हमारा मौलिक चिंतन ही विश्व का कल्याण है। हमें विश्व के मंच पर मार्गदर्शन करने वाला भारत खड़ा करना है।

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