हिंदी विभाग खरसिया म छत्तीसगढ़ी भासा दिवस मनाय गीस

महात्मा गाँधी सरकारी कॉलेज के हिंदी विभाग म आज अट्ठाईस नवम्बर के छत्तीसगढ़ी भासा दिवस बनेच धूम धाम ले मनाय गीस. अंजली, कुंती अऊ निसा मन राज गीत अरपा पैरी के धार गाईन. तेकर पाछू छातरा लईका मन दिवस के बारे म बनेच गोठियाइन. रतिराम भारद्वाज, किशन खंडेल, रामकुमार चौहान, विनायक पटेल, सोनू बंजारे, दुर्गेस पटेल मन छत्तीसगढ़ी भासा, आयोग के बारे म अपन भासन म बोलिन.
विकास टंडन ह भोली सुरतिया गाना गा के अपन गोठ ला रखिस. राम कुमार ह बढ़िया मंच संचालन करिस. इसा राठिया ह आभार करिस. हिंदी विभाग के मुखिया डॉ रमेस टंडन ह छातर छातरा मन के आघू म कहीन कि हमन कहूँ अंग भी जई, अपन आदमी मन के संग छत्तीसगढ़ी म गोठियाई, एमा लजाय के कोनो बात निये, एक ओड़िया ह दूसर ओड़िया करा ओड़िया भासा म गोठियाथे, एक बंगाली ह दूसर बंगाली करा बंगला म गोठियाथे, लेकिन हमन अपन संगी मन करा हिंदी म गोठियाय के कोसिस करथन, चाहे बने या झिन बने. अपन भासा म गोठियाय बर लजाथन.
हमन ला नि लजाय बर हे, रेल गाड़ी म कोई अंग जाई या जहाज म कोई अंग जाई, हमन छत्तीसगढ़ी म गोठियाई, तभे हमर भासा हर बाचही. अपन भासन म कहिन कि छत्तीसगढ़ी भासा म 8 सुवर, 29 बियंजन होथे- अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ए,ओ. क,ख,ग,घ, च,छ,ज,झ, ट,ठ,ड,ढ,ण, त,थ,द,ध,न, प,फ,ब,भ,म, य,र,ल,व, स,ह. डॉ प्यारे लाल गुप्त मन कहे रहीन कि छत्तीसगढ़ी ह अर्ध मागधी के दुहिता अऊ अवधी के बहिनी हे. 1000 ई. के आसपास अर्धमागधी अपभ्रंस ले पूर्वी हिंदी निकलिस, फेर एकर ले अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी आईस.
1000 ई. ले 1500 ई.तक गाथा जुग, 1500 ई. ले 1900 ई. तक भक्ति जुग फेर 1900 ई. ले अभी तक आधुनिक जुग आइसे कहिन. टंडन सर ह नंदात सब्द के बारे म घलो कहिन- ढेंकी, जाता, जतरी, दौंरी अऊ इसने बनेच कस सब्द के बारे म कहिन. डॉ टंडन आयोग के गठन के बारे म घलो गोठ बात करिस अऊ कहिस कि आयोग ह माय कोठी, बिजहा कार्यकरम चलात हे, परामरी अऊ मिडिल स्कूल म तिरीभासी – हिंदी, अंग्रेजी अऊ छत्तीसगढ़ी भासा ल पढ़वाय के उदिम करत हे, संविधान के आठवी अनुसूची इ भासा ला जोड़े के परयास घलो किये जात हे.
हिंदी विभाग के बनेच कन लईका मन ये कारयाकरम म उपस्थित रहिन. निसा सिदार, अंजली सिदार, कुंती सिदार, दुर्गेस पटेल, रामकुमार, काजल राठिया, सांति भारद्वाज, नरेंद्र, विनायक पटेल, रतिराम भारद्वाज, तानिया राठौर, ममता केंवट, सोनू कुमार बंजारे, विकास टंडन अऊ इसा राठिया मन सब झन के गोठ ल बने धियान से सुनिन अऊ धरिन।




