MP के स्कूल में डांस से पढ़ाई: 2 एकम 2… 2 दुनी 4… पर थिरकते हैं बच्चे

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इरशाद हिंदुस्तानी (बैतूल)38 मिनट पहले

स्कूल में पढ़ाई के साथ म्यूजिक और डांस भी हो जाए, तो बच्चे ही नहीं, पेरेंट्स भी खुश हो जाते हैं। बच्चे एक भी दिन स्कूल में गैरहाजिर नहीं रहते। मध्यप्रदेश के एक सरकारी स्कूल में ऐसा ही प्रयोग किया जा रहा है। यहां बच्चे गाने गाकर और डांस स्टेप्स के साथ मजे से पढ़ाई करते हैं। आखिर कहां है ये स्कूल, क्या प्रयोग किया और क्यों जरूरत पड़ी?

पहले जानिए स्कूल में रोजाना का माहौल…
बैतूल के केलापुर गांव का शासकीय मिडिल स्कूल। यहां 78 बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल टाइम में म्यूजिक पर थिरकते बच्चे और टीचर। मस्ती के साथ बच्चे गोंडी डांस के स्टेप भी कर रहे हैं। गाना बज रहा है- 2 एकम 2… 2 दुनी 4…। ये नजारा यहां रोजाना रहता है। आप समझ रहे होंगे कि ये बच्चे सिर्फ खेल रहे हैं, लेकिन हकीकत में ये इनकी पढ़ाई का अंदाज है। ये लाइनें किसी फिल्मी गाने की नहीं, बल्कि म्यूजिकल पहाड़े की हैं।

ये प्रयोग किया है बैतूल में शिक्षक रहे समाजसेवी और संगीतज्ञ राजेश सरियाम ने। राजेश ने ही गाने की धुन पर 10 तक के पहाड़े तैयार किए हैं। उन्होंने धुन के आधार पर आदिवासी जनजाति गोंडी के डांस स्टेप भी बना लिए हैं। बच्चे इसे खेल-खेल में सीखकर याद भी कर रहे हैं।

स्कूल में बच्चों का ग्रुप बनाकर उन्हें म्यूजिकल धुन पर सिखाया जाता है।

स्कूल में बच्चों का ग्रुप बनाकर उन्हें म्यूजिकल धुन पर सिखाया जाता है।

राजेश सरियाम के बारे में जान लेते हैं
राजेश सरियाम बैतूल में ही प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फ्री कोचिंग चलाते हैं। सोशल मीडिया पर उनका म्यूजिकल अकाउंट और ग्रुप भी है। इसमें वे गोंडी भाषा के गाने गाकर अपलोड करते रहते हैं। कोचिंग पर भी संगीत के जरिए पढ़ाई करवाते हैं। अब उनका पहाड़े वाला प्रयोग पसंद किया जा रहा है।

दो से दस तक पहाड़े को संगीत में पिरोया
राजेश ने गोंडी गाने की धुन पर खुद संगीत तैयार किया। इस धुन में 2 से 10 तक के पहाड़े को संगीत में पिरो दिया। इसका संगीत भी गोंडी गाने की तर्ज पर है। इसका फायदा यह हुआ कि आदिवासी अंचल और ग्रामीण इलाकों के बच्चों ने इस धुन को अपनाकर पहाड़े सीखने में खासी रुचि दिखाई। वे इससे तेजी से सीख रहे हैं। इससे पहले बच्चों को पहाड़े याद कराने में परेशानी आती थी। बच्चे याद करने से कतराते थे।

स्कूल में बच्चों को पढ़ाते समय म्यूजिक टीचर भी भरपूर आनंद लेते हैं। गोंडी गानों की तर्ज पर बच्चों को पहाड़े याद कराने के लिए खुद भी डांस स्टेप्स करते हैं।

स्कूल में बच्चों को पढ़ाते समय म्यूजिक टीचर भी भरपूर आनंद लेते हैं। गोंडी गानों की तर्ज पर बच्चों को पहाड़े याद कराने के लिए खुद भी डांस स्टेप्स करते हैं।

एक्टिविटी बेस्ड पढ़ाई में शामिल हुआ म्यूजिक
स्कूल में 3 टीचर हैं। राजेश के इस प्रयोग को बच्चों के साथ यहां पदस्थ टीचर्स ने भी अपनाया। प्राइमरी और मिडिल क्लासेज में एक्टिविटी बेस्ड पढ़ाई को अपना लिया है। स्कूल में पदस्थ टीचर संध्या रघुवंशी बताती हैं कि वे लोग स्कूल में बच्चों को एक्टिविटी बेस्ड पढ़ाई पहले से ही कराते रहे हैं, जिसमें बच्चों को एक्टिविटीज के जरिए विषयों का ज्ञान कराया जाता है। इसमें हाथों के इशारों, नृत्य कला और चीजों को पहचानकर समझने का गुण सिखाया जाता है। पहाड़े सिखाने के लिए भी इसी प्रक्रिया को अपनाया जाता था।

समाजसेवी और संगीतज्ञ राजेश सरियाम मोबाइल पर स्पीकर लगाकर पहाड़े की धुनों को बजाते हैं। इससे साउंड पूरे स्कूल में हो जाता है।

समाजसेवी और संगीतज्ञ राजेश सरियाम मोबाइल पर स्पीकर लगाकर पहाड़े की धुनों को बजाते हैं। इससे साउंड पूरे स्कूल में हो जाता है।

बेटी के बर्थडे पर पहाड़े को दिया संगीत का रूप
राजेश ने बताया कि उन्होंने बेटी खुशी के जन्मदिन पर पहाड़े को संगीत में बदला है। दो एकम दो से लेकर दस एकम दस और दस दहाम सौ वाले इस पहाड़े में बच्चे डांस कर संगीत का लुत्फ उठाते हुए याद कर रहे हैं। राजेश सरियाम द्वारा तैयार किए गए म्यूजिकल पहाड़े को स्कूल के शिक्षकों ने इसमें डांस के स्टेप जोड़ दिए हैं।

स्कूल की टीचर रजनी बताती हैं कि राजेश ने म्यूजिकल पहाड़े को स्टेप में ढाल दिया है, जिससे बच्चे गिनती और पहाड़ों को बेहतर तरीके से समझ रहे हैं। जैसे- दो के पहाड़े में डांस करते हुए दो के लिए दो हाथ, चार के पहाड़े में दो हाथ और दो पैर का इस्तेमाल किया जाता है। बच्चे संख्या को बेहतर तरीके से समझ लेते हैं। सिखाने के लिए स्कूल ग्राउंड में गोल घेरा बनाकर एक्टिविटी करवाई जाती है।

ब्लूटूथ बॉक्स और मोबाइल का इस्तेमाल
म्यूजिकल पहाड़े को मोबाइल में अपलोड कर लिया गया है। जब भी बच्चों को सिखाना होता है, टीचर मोबाइल को छोटे ब्लूटूथ सिंगल स्पीकर बॉक्स में जोड़कर चला देते हैं। जिसका साउंड स्कूल के ग्राउंड में फैल जाता है।

स्कूल में पहाड़े बजते समय बच्चे जमकर झूमते हैं। वे पहाड़े को गाते हुए डांस भी करते हैं। वो इस एक्टिविटी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस कारण स्कूल में बच्चों की उपस्थिति भी अच्छी रहती है।

स्कूल में पहाड़े बजते समय बच्चे जमकर झूमते हैं। वे पहाड़े को गाते हुए डांस भी करते हैं। वो इस एक्टिविटी में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस कारण स्कूल में बच्चों की उपस्थिति भी अच्छी रहती है।

बच्चों को भी अपलोड करवा रहे पहाड़े
बच्चे इस म्यूजिकल पहाड़े को घर जाकर भी सीख सकें, इसके लिए ऐसे बच्चे जिनके घरों में मोबाइल है, उन्हें यह पहाड़ा अपलोड करके भी दिया जा रहा है, ताकि वे घर पर भी सीख सकें। प्राइमरी के स्टूडेंट्स दिव्यांशी ठाकुर और गौरव चौहान ने बताया कि वे पहले पहाड़े याद करने में संकोच करते थे। जल्दी याद भी नहीं होता था। जब से यह संगीतमय हुआ है, उन्हें सीखने और याद करने में आसानी हुई है। अब वे दोगुनी गति से याद कर रहे हैं।

10 से लेकर 20 तक होगा पहाड़ा
पहाड़े को बनाने वाले राजेश सरियाम ने बताया कि फिलहाल पहाड़े को 10 तक बनाया है। इसे जल्द ही वे 20 तक कर देंगे। इसके लिए कोशिश कर रहे हैं कि दो से दस तक तैयार पहाड़े में जिस गोंडी गाने की धुन उपयोग की गई है, उससे हटकर कुछ नया किया जाए। इसे भी जल्द तैयार कर लिया जाएगा।

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