MP की हवा सांस लेने लायक नहीं!: ग्वालियर-भोपाल सबसे ज्यादा पॉल्यूटेड; इंदौर, उज्जैन, जबलपुर की भी हवा जहरीली

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भोपाल15 मिनट पहले

मध्यप्रदेश के शहरों में हवा सांस लेने लायक नहीं बची है। वाहनों, फैक्ट्रियों से निकलता धुआं, वर्तमान में स्मॉग हवा काे जहरीला बना रहा है। सबसे ज्यादा खराब हालत ग्वालियर, भोपाल और सिंगरौली की है। यहां वायु प्रदूषण मापने वाला एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खतरे के निशान 300 के पार तक चला गया। इससे दमा और दिल संबंधी बीमारी वालों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है।

शुक्रवार को ग्वालियर और भोपाल में दिन में एक बार हवा में प्रदूषण का स्तर 325 के पार पहुंच गया। सिंगरौली में भी AQI 300 के पार चला गया। रात 2 बजे के बाद प्रदेश भर में प्रदूषण का लेवल सबसे ज्यादा रहा। भोपाल, ग्वालियर जैसे शहरों में यह 400 के पार चला गया। इंदौर, उज्जैन और जबलपुर में भी यह 150 के पार तक चला गया।

10 दिन से लगातार प्रदूषण बढ़ रहा

मध्यप्रदेश में पिछले 10 दिन से लगातार पॉल्यूशन का लेवल बढ़ रहा है। अधिकांश शहरों में कुछ दिन को छोड़ दें, तो यह शुक्रवार की तरह ही खतरे के निशान के आसपास रहा। अभी तक सबसे ज्यादा खराब हालत रात 1 बजे के बाद सुबह 5 बजे तक थी, लेकिन अब दोपहर तक भी प्रदूषण का लेवल ज्यादा रह रहा है।

दो तरह से मॉनिटर होता है प्रदूषण

शहरों में एयर पॉल्यूशन की जांच के लिए दो तरह से सिस्टम काम करते हैं। पहला ऑटोमैटिक सिस्टम होता है। यह सेंट्रल गवर्मेंट ऑपरेट करती है। यह शहर में ऐसी जगह लगाया जाता है, जहां सभी तरह की एक्टिविटी यानी रहवासी, व्यापारिक और अन्य तरह की एक्टिविटी ज्यादा होती हैं। यह हर सेकंड अपडेट होता है। यह कम्प्यूटराज्ड होता है। इसके अलावा, राज्य सरकार का प्रदूषण विभाग भी वायु प्रदूषण की जांच करता है। यह शहर में कई जगह हवा में प्रदूषण की जांच के लिए मशीनरी लगाते हैं। इसे मैन्युअली ऑपरेट किया जाता है। एक व्यक्ति दिन में एक बार इसकी जांच करता है।

ऐसे समझें एयर क्वालिटी इंडेक्स

एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) हवा की गुणवत्ता को बताता है। इससे पता चलता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली है। हवा की क्वालिटी के आधार पर इस इंडेक्स में 6 कैटेगिरी बनाई गई हैं। यह हैं अच्छी, संतोषजनक, थोड़ा प्रदूषित। इसके अलावा, खराब, बहुत खराब और गंभीर। एयर की क्वालिटी के अनुसार इसे अच्छी से खराब और फिर गंभीर की श्रेणी में रखा जाता है। इसी के आधार पर इसे सुधारने के लिए प्रयास किया जाता है।

यह होता है PM 10

PM 10 को पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर या उससे भी छोटा होता है। धूल, गर्दा और धातु के सूक्ष्म कण मिले रहते हैं। PM 10 और PM 2.5 धूल, कंस्‍ट्रक्‍शन, कूड़ा व पराली जलाने से ज्यादा बढ़ता है। PM 10 का सामान्‍य लेवल 100 माइक्रो ग्राम क्‍यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए।

यह होता है PM 2.5

PM 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है। इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे भी छोटा रहता है। PM 2.5 का स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है। विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है। PM 2.5 का नॉर्मल लेवल 60 MGCM होता है। इससे ज्यादा होने पर लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।

क्यों होता है एयर पॉल्यूशन

सर्दियों के दिनों में स्मॉग के कारण हवा ऊपर नहीं जा पाती। इस कारण प्रदूषण बढ़ रहा है। इस साल भी इस समय AQI का स्तर खतरनाक बना हुआ है। दिन में वाहनों का आवागमन, फैक्ट्रियों से निकला धुआं भी कारण है। इस कारण शरीर में सांस और हृदय संबंधी समस्याओं के अलावा, गंभीर त्वचा संक्रमण का खतरा रहता है।

डाइट में इन चीजों को शामिल करें, तो एयर पॉल्यूशन से होने वाली बीमारी से बच सकते हैं

एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर हम अपनी डाइट में विटामिन-C वाले फ्रूट, सब्जियों में रूट वेजिटेबल, फूडग्रेन, दूध, केसर और लहसुन-अदरक शामिल करते हैं, तो हम अपने शरीर पर एयर पॉल्यूशन के खतरे को कम कर सकते हैं। इन सभी में हमें यह जानना जरूरी है कि अगर हम विटामिन-C वाले फ्रूट ले रहें हैं, तो इनमें किन फलों को शामिल कर सकते हैं?

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