कल होगी गोवर्धन पूजा: भाई दूज और गोवर्धन पूजा बनेंगे एक साथ, ग्रहण की वजह से मंदिरों के कपाट बंद

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अशोकनगर39 मिनट पहले
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दीपावली के अगले दिन जिले भर में बड़े ही धूमधाम से गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग अपने घरों में गोबर से गोवर्धन पर्वत कृष्ण और गाय बनाते हैं। इस बार दीपावली का त्योहार 24 अक्टूबर को मना कर मां लक्ष्मी की पूजा कर ली गई है, लेकिन उसके अगले दिन गोवर्धन पूजा नहीं हो पाई। मंगलवार को ग्रहण की वजह से गोवर्धन पूजा नहीं हुई है। बुधवार के दिन गोवर्धन पूजा और भाई दूज एक साथ मनाए जाएंगे।
दीपावली के दूसरे दिन पढ़ने वाली गोवर्धन पूजा को करने वाले व्यक्ति का सीधा प्रकृति से सामंजस्य बनता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस पूजा में गोबर से बने हुए पर्वत की विधिपूर्वक पूजा करने और भगवान कृष्ण को भोग लगाने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। गाय की पूजा करने का भी इस दिन पर विशेष महत्व होता है।
गोवर्धन की पूजा से होता है धन और समृद्धि का लाभ
मान्यताओं के अनुसार गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से पूजा करने वाले व्यक्ति को इच्छानुसार फल भी मिलता है। ऐसा भी माना जाता है कि जो व्यक्ति गोवर्धन पूजा करता है उसके धन और समृद्धि का लाभ होता है और परिवार में खुशहाली रहती है।
ऐसे करें पूजा की तैयारी
गोवर्धन पूजा करने के लिए आप सबसे पहले घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाएं। इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें। कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है।
पूजा सामग्री
गोवर्धन पूजा समग्री सूची में देवता को अर्पित की जाने वाली मिठाई, अगरबत्ती, फूल और ताजे फूलों से बनी माला, रोली, चावल और गाय के गोबर शामिल हैं। छप्पन भोग नामक 56 प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं । और पंचामृत तैयार करने के लिए शहद और चीनी का उपयोग किया जाता है ।
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