मासूम ने आंख में डाल लिया पेंचकस: छिंदवाड़ा अस्पताल में डाक्टर ने नहीं किया इलाज, कर दिया नागपुर रेफर, स्वास्थ्य सुविधा पर उठे सवाल

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छिंदवाड़ा5 घंटे पहले
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मेडिकल कॉलेज हो या जिला अस्पताल या पर पदस्थ डॉक्टरों की लापरवाही कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। प्रबंधन सहित जिला प्रशासन भी इन डॉक्टरों की मनमानी पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। वर्तमान में जिला अस्पताल के हालात यह हो गए है कि यहां बैठने वाले डॉक्टरों को मरीजों की जान व उनकी तकलीफ से कोई लेना देना ही नहीं है व अपनी मानवता त्याग कर केवल खानापूर्ति करने बैठ रहे है।
ऐसी ही एक लापरवाही मंगलवार को सामने आई। जब एक बच्चे की आंख में पेचकस घुस गया था लेकिन जिला अस्पताल की इमरजेंसी ड्यूटी पर बैठे डॉक्टर ने बच्चें का उपचार करना तो दूर सीधे परिजनों से बच्चे को नागपुर ले जाने के लिए कह दिया। जिसके बाद बच्चा व उसके परिजन घंटों अस्पताल में ही परेशान होते रहे लेकिन डॉक्टर ने उसे गंभीरता से लिया ही नहीं।
मिली जानकारी अनुसार लावाघोघरी के ग्राम बदनूर निवासी 3 वर्षीय आकाश पटेल ने अपने घर पर खेल-खेल में अपनी आंख पर पेचकस घुसा लिया। जिसके बाद परिजनों द्वारा उसे तत्काल जिला अस्पताल में उपचार के लिए लाया गया। जहां इमरजेंसी ड्युटी डॉक्टर सुर्यवंशी कर रहे थे। परिजन जैसे ही बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे तो उन्होने बच्चे को देखते और भर्ती किया।
लेकिन उन्होने उपचार लिखने की जगह बच्चे को सीधे नागपुर ले जाने की सलाह देते हुए। नागपुर रेफर कर दिया। जबकि जिला अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में भी डॉक्टर उपलब्ध है। लेकिन दोनों ही विभागों के डॉक्टर काम ही नहीं करना चाहाते है। आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने पर भी परिजनों ने अपने बच्चे को नागपुर ले जाना ही उचित समझा।
आए दिन बनती है यह स्थिति
जिला अस्पताल में यह पहला मामला नहीं है जब इमरजेंसी में बैठा डॉक्टर बिना जांच उपचार के मरीजों को नागपुर रेफर कर देता है। बल्कि यह रोजाना का खेल है। सूत्रों की माने तो इमरजेंसी में बैठे ड्यूटी डॉक्टर मरीजों को सही तरह से देखते तक नहीं है और नागपुर रेफर कर देते है। प्रबंधन को भी इस बारे में पूरी जानकारी है लेकिन डॉक्टरों की मनमानी के आगे प्रबंधन भी पूरी तरह निष्क्रिय नजर आ रहा है।
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