सीताराम दास महाराज ने सुनाया सुदामा प्रसंग: कहा- युवा पीढ़ी को दुर्योधन का नहीं श्रीकृष्ण का अनुसरण करने की जरूरत

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टीकमगढ़5 घंटे पहले
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जिला मुख्यालय से पांच किमी दूर जनकपुर गांव स्थित देवीजी मंदिर परिसर में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन चल रहा है। रविवार शाम 5:30 बजे संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा प्रारंभ हुई। कथा के तीसरे दिन बुंदेलखंड पीठाधीश्वर महंत सीताराम दास महाराज ने कपिल भगवान का चरित्र सुनाया।
महाराज ने कहा कि भगवान के आश्रित रहने वाले साधू संतों की रक्षा में वे एक क्षण का भी विलंब नहीं लगाते। भगवान वैसे ही रक्षा करते है, जैसे कोई मां अपने पुत्र की रक्षा करती है। परम सती साध्वी द्रोपती के ऊपर जब दुर्योधन की कुदृष्टि हुई और दु:शासन ने चीर हरण का दुसप्रयास किया। तब द्रोपती ने भगवान को पुकारा और क्षण मात्र में भगवान वस्त्रावतार धारण करके प्रकट हो गए। द्रोपती के शील की रक्षा की। आज भी किसी सती साध्वी नारी का स्पर्श करने की सामर्थ्य किसी भी विधर्मी में नहीं है। माताएं-बहने स्वयं अपने धर्म का पालन करते हुए भगवान का भजन करें। उनको कोई छूने का प्रयास करेगा। वो भस्म हो जाएगा। महंत सीताराम दास ने समाज के युवाओं से अपील करते हुए कहा की भगवान श्री कृष्ण बनें, दुर्योधन नहीं। क्योंकि द्रोपती की बेज्जती करने वाला विधर्मी दुर्योधन हजारों लाखों पराक्रमी सैनिकों के साथ होने के बावजूद समूल नष्ट हो गया।
भगवान कपिल चरित्र की कथा सुनाई
महाराज ने कपिल भगवान के चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान विष्णु ने पांचवा अवतार कपिल मुनि के रूप में लिया। इनके पिता का नाम महर्षि कर्दम व माता का नाम देवहूति था। शरशय्या पर पड़े हुए भीष्म पितामह के शरीर त्याग के समय वेदज्ञ व्यास आदि ऋषियों के साथ भगवान श्री कपिल मुनि भी वहां उपस्थित थे। भगवान कपिल मुनि सांख्य दर्शन के प्रवर्तक हैं और भागवत धर्म के प्रमुख बारह आचार्यों में से एक हैं।

संत समिति की जिला कार्यकारिणी गठित
शहर के लक्ष्मण जू मंदिर में रविवार को टीकमगढ़-निवाड़ी जिले के संतों की बैठक आयोजित की गई। अखिल भारतीय संत समिति की बैठक में आज जिला कार्यकारिणी का गठन किया गया। बैठक की अध्यक्षता संघ समिति के जिला अध्यक्ष अनिरुद्ध महाराज ने की। इस अवसर पर सर्व सम्मति से बुंदेलखंड पीठाधीश्वर महंत सीतारामदास महाराज को संरक्षक चुना गया। वहीं महंत रामदास (मौनी) महाराज लक्ष्मण मंदिर कारी को उपाध्यक्ष एवं रामकृष्णदास महाराज मामुलिया महंत नरसिंह मंदिर को महामंत्री बनाया गया। इसके साथ ही महंत रविशंकरदास महाराज बजरिया मंदिर ओरछा को सहमंत्री, महंत बृजमोहनदास महाराज लक्ष्मण मंदिर नारगुना दरवाजा को कोषाध्यक्ष, महंत रामशरणदास महाराज मरगवा को संगठन मंत्री, महंत धर्मदास (फलाहरी) धनुषधारी मंदिर श्यावनी को प्रचार मंत्री, एवं ओमप्रकाश दीक्षित को सलाहकार समिति के रूप में नियुक्ति किया गया है।


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