जबलपुर में होटल में चल रहा था अस्पताल: भर्ती मरीजों को रोज देते थे एक हजार रुपए; आयुष्मान कार्ड के नाम पर धांधली की आशंका

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जबलपुर3 घंटे पहले
जबलपुर के होटल में चल रहे अस्पताल के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सेंट्रल किडनी हॉस्पिटल के संचालक ने तीन साल पहले बेटे के लिए वेगा नाम से होटल बनवाया था। जब होटल नहीं चला, तो मरीज भर्ती करने लगा। इसके लिए उसने स्वास्थ्य विभाग से अनुमति भी नहीं ली। यहां आयुष्मान कार्ड धारकों को एक हजार रुपए रोजाना देकर भर्ती किया जाता था। इसके लिए बकायदा दलाल भी रखे थे। ICU वार्ड के नाम पर कमरे में सिर्फ ऑक्सीजन पाइप लगा रखे थे। सर्दी-जुकाम के मरीजों को भी पांच दिन तक भर्ती करते थे।
शुक्रवार शाम 7 बजे पुलिस ने राइट टाउन स्थित सेंट्रल किडनी हॉस्पिटल के पास मौजूद वेगा होटल में छापा मारा। पुलिस को सूचना मिली थी कि होटल में अस्पताल चलाया जा रहा है। यहां एएसपी गोपाल खांडेल, लालगंज थाना प्रभारी मधुर पटेरिया और आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी डॉ. धीरज गावंडे पहुंचे। यहां तीन मंजिला होटल को बकायदा अस्पताल का रूप दिया गया था। छापे के दौरान करीब 30 से ज्यादा मरीज भर्ती मिले। सभी सामान्य बीमारियों के मरीज थे।

सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल के पास ही वेगा होटल बना हुआ है।
बेटे के लिए बनवाया था होटल
सेंट्रल किडनी हॉस्पिटल के संचालक अश्विनी पाठक ने बेटे के लिए होटल बनवाया था। लेकिन कोरोना के कारण पिछले तीन साल में होटल बंद हो गया। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में भी इसे अस्पताल की तरह उपयोग किया गया। हाल में इसके कमरों को तोड़कर हॉल बनाकर वार्ड में तब्दील कर दिया गया। स्वास्थ्य विभाग से इसकी अनुमति भी नहीं ली गई।
तीनों मंजिलों को वार्ड में तब्दील किया
पुलिस के मुताबिक यहां तीनों मंजिलों पर वार्ड बनाए गए हैं। सेंट्रल एसी भी लगा रखा है। ग्राउंड फ्लोर पर रिसेप्शन है। यहां कबाड़ का सामान भी भरा है। पहली मंजिल पर कमरों को तोड़कर आईसीयू बना दिया गया है। आईसीयू में 12 पलंग रखे हैं। इसमें मात्र ऑक्सीजन पाइप लगा है। आईसीयू से संबंधित जरूरी उपकरण यहां मौजूद नहीं थे। दूसरे फ्लोर पर सामान्य वार्ड बनाया गया है, जबकि तीसरे फ्लोर अलग-अलग कमरों को प्राइवेट वार्ड बनाया गया है। यहां डबल बेड भी लगे हैं। यहां दो नर्सों को ड्यूटी पर भी लगाया गया है। यहां ऑपरेशन भी किया जाता था।

निरीक्षण के दौरान अस्पताल बनाए गए होटल में मरीज भर्ती मिले।
इस तरह करते थे फर्जीवाड़ा
जबलपुर में किडनी का यह एकमात्र अस्पताल है। इस कारण अधिकांश समय ये भरा ही रहता है। एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा के मुताबिक अस्पताल में आयुष्मान कार्ड वाले मरीजों को ही भर्ती किया जाता था। यहां तक कि सर्दी-जुकाम के मरीजों को भी चार-पांच दिन तक भर्ती कर लेते थे। इसके लिए मरीजों को एक हजार रुपए प्रतिदिन भी देते थे। एसपी का कहना है कि इसमें आयुष्मान कार्ड का दुरुपयोग किया जाता था। इसमें घोटाला होने की आशंका है। जांच की जा रही है।
दलाल लेकर आते थे मरीज
यहां मरीजों को लाने के लिए बकायदा दलाल भी एक्टिव रहते थे। इन दलालों को प्रति मरीज 500 रुपए मिलते थे। भर्ती रहने के लिए एक मरीज को एक हजार रुपए प्रतिदिन दिया जाता था। इसके बाद इसका बिल सरकार से वसूला जाता था।

होटल के कमरों में डबल बेड पर मरीज भर्ती मिले।
होटल में अस्पताल चलाने की अनुमति नहीं ली
अस्पताल संचालक अश्विनी पाठक का दावा है कि उनके पास 100 बेड की अनुमति है। वहीं, CMHO डॉ. संजय मिश्रा का कहना है कि होटल में अस्पताल का लाइसेंस या अनुमति नहीं दी है। किडनी अस्पताल में भी 60 बेड की अनुमति है। होटल में फायर सिस्टम की भी अनुमति नहीं थी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोरोनाकाल में होटल में आइसोलेशन के लिए छूट दी गई थी। वर्तमान में ऐसा नियम नहीं है।
आयुष्मान के नोडल अधिकारी शक के घेरे में
अस्पताल प्रबंधन मरीजों से आयुष्मान कार्ड ले लेता था। ये अस्पताल पिछले तीन साल से होटल में चल रहा था। यहां हर महीने आयुष्मान विभाग के नोडल अधिकारी निरीक्षण करने भी जाते थे। बावजूद उन्हें कोई अनियमितता नहीं दिखी।
अस्पताल अग्निकांड के बाद कोर्ट ने दिए आदेश
हाल में जबलपुर के न्यू लाइफ स्पेशलिटी अस्पताल में हुए अग्निकांड के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को अस्पतालों के निरीक्षण के आदेश दिए थे।
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