Janjgir-Champa : DSP Parma की पत्नी ने चार कुर्सियों पर जमा रखा था कब्जा, जिला पंचायत सदस्य उमा ने मांगी एक कुर्सी, नहीं मिली तो हुआ जमकर हंगामा

जांजगीर-चांपा ,03 फरवरी । जाज्वल्य देव लोक महोत्सव एवं एग्रीटेक कृषि मेला में जमकर गुटबाजी एवं अव्यवस्था नजर आ रही है। आलम यह है कि आयोजन समिति से जुड़े कुछ लोगों ने जहां इस आयोजन को प्राइवेट कंपनी लिमिटेड बना रखा है तो वही इस आयोजन की आड़ में कुछ अधिकारी जमकर मनमानी भी कर रहे हैं। ताजा मामला आयोजन के दूसरे दिन यानी 2 फरवरी की देर रात हुए विवाद से संबंधित है। यहां कुर्सी को लेकर डीएसपी शेखर परमा एवं जिला पंचायत सदस्य उमा राजेंद्र राठौर के बीच जमकर विवाद हो गया। बात यहीं नहीं थमी और मामला अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक से लेकर जिला पंचायत सीईओ तक पहुंच गया। बाद में जिम्मेदार अधिकारियों की समझाइश पर किसी तरह मामला शांत तो जरूर हो गया है मगर, यह विवाद आगे और तूल पकड़ने की जमकर संभावना है।
दरअसल, जिला मुख्यालय जांजगीर के हाईस्कूल मैदान में 1 फरवरी 2023 से जाज्वल्य देव लोक महोत्सव एवं एग्रीटेक कृषि मेला का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन की संपूर्ण रूपरेखा जिला पंचायत जांजगीर के सदस्यों एवं अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा तैयार की गई है परंतु, जिला प्रशासन के कुछ अफसरों के अलावा कुछ छूटभैया किस्म के लोगों ने इस आयोजन को प्राइवेट कंपनी लिमिटेड बना रखा है, जिसके कारण आम लोगों में जहां इस आयोजन को लेकर उत्साह कम होते नजर आ रहा है वही कुछे एक लोगों की मनमानी की वजह से आयोजन स्थल पर विवाद की स्थिति भी बन रही है। कुछ इसी तरह के हालात आयोजन के द्वितीय दिवस 2 फरवरी को निर्मित हुए। इस दिन रात में छत्तीसगढ़ी लोक कलाकार पद्मश्री अनुज शर्मा का कार्यक्रम आयोजित था। उक्त कार्यक्रम को देखने के लिए जिले के अलावा दूर-दूर से दर्शक आयोजन स्थल पर पहुंचे हुए थे। मौके पर लगाई गई सारी कुर्सियां खचाखच भरी हुई थी।
वही पंडाल के ठीक सामने बनी वीआईपी दीर्घा पर लगी कुर्सियों पर भी प्रशासन और पुलिस विभाग के अधिकारियों ने सपरिवार कब्जा जमा रखा था। इसी बीच जिला पंचायत सदस्य उमा राजेंद्र राठौर अपने छोटी सी दुधमुहे बच्ची को लेकर एवं जिला पंचायत सदस्य कुसुम कमल साव आयोजन स्थल पर पहुंची और बैठने के लिए कुर्सियां तलाशने लगीं। इसी बीच उनकी नजर डीएसपी शेखर परमा की पत्नी पर पड़ी जो चार कुर्सियों पर कब्जा जमा कर बैठी हुई थी, तब जिला पंचायत सदस्य उमा राजेंद्र राठौर ने एक कुर्सी को खींचकर उसमें बैठने की कोशिश की, जिससे डीएसपी परमा की पत्नी भड़क गई और उन्होंने आव-ताव देखे बगैर जिला पंचायत सदस्य उमा राजेंद्र राठौर पर अपना गुस्सा उतारना शुरू कर दिया। इसके बाद माहौल ऐसा गरमाया कि जिला पंचायत सदस्य उमा राजेंद्र राठौर ने फिर जिला प्रशासन के एक-एक अधिकारियों की ऐसी-तैसी करनी शुरू कर दी।
पहले तो उन्होंने डी एसपी परमा की पत्नी को जमकर फटकारा और उसके बाद जिला प्रशासन के अधिकारियों पर अपनी भड़ास निकाली। इसी बीच डीएससी प रमा की पत्नी ने फोन करके परमा को अपने पास बुलाया, जो जिला पंचायत सदस्य उमा राजेन्द्र राठौर को पहचाने बगैर ही उल्टा-सीधा बोलने लगे। इससे माहौल और गरमा गया और फिर नौबत गाली-गलौज तक पहुंच गई। बताया जा रहा है कि इस पूरे अव्यवस्था से नाराज जिला पंचायत सदस्य उमा राजेंद्र राठौर ने डीएसपी परमा को जमकर फटकारा। इसी बीच वस्तुस्थिति को भापकर डीएसपी परमा वहां से नौ दो ग्यारह हो गए।
इसके बाद जिला पंचायत सदस्य उमा राजेंद्र राठौर ने इस पूरे मामले की शिकायत अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनिल सोनी एवं जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. ज्योति पटेल से करते हुए डी एसपी परमा के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की। बहरहाल, इस मामले को लेकर देर रात तक माहौल गरमाया रहा। खैर, अब देखना यह होगा कि इस मामले पर जिला पंचायत के सदस्यगण एवं जिम्मेदार अधिकारी आखिर क्या रुख अपनाते हैं।
वीआईपी दीर्घा पर अनाधिकृत लोगों का कब्जा-आयोजन स्थल पर जमकर अव्यवस्था देखने को मिल रही है। यहां विशिष्ट लोगों के लिए वीआईपी दीर्घा बनाई गई है, जिसमें विशिष्ट लोगों को ही प्रवेश के साथ बैठने की अनुमति है परंतु, जिला प्रशासन एवं पुलिस विभाग के कुछ अधिकारियों सहित नगरपालिका परिषद जांजगीर-नैला के पार्षदों ने इस दीर्घा को अपना घर समझ लिया है, जो गली-मोहल्ले के दर्जनों लोगों को लेकर इस दीर्घा में न केवल प्रवेश कर रहे हैं बल्कि, कुर्सियां पर कब्जा जमाकर अपनी मनमानी भी करने से नहीं चूक रहे हैं। इससे वीआईपी दीर्घा की गरिमा धूमिल हो रही है।
पूरे आयोजन में चर्चा का विषय बने शर्मा बंधु-जाज्वल्य देव लोक महोत्सव एवं एग्रीटेक कृषि मेला वैसे तो आम लोगों का है परंतु, इस पूरे आयोजन पर दो शर्मा बंधुओं ने इस कदर कब्जा जमा रखा है कि उनके बिना एक पत्ता भी नहीं हिल रहा है। बताया जा रहा है कि वर्तमान में वे दोनों किसी भी संवैधानिक पद पर नहीं है और ना ही कोई शासकीय अधिकारी-कर्मचारी हैं इसके बावजूद, उनके बगैर कुछ भी संभव नहीं है। उनकी मर्जी के अनुसार ही ना केवल सारे कार्यक्रम सेट किए गए हैं बल्कि, आयोजन के एवज में कलाकारों को मिलने वाला पारिश्रमिक भी उनकी मर्जी से ही दिया जा रहा है।