BSL-4 लैब चीन, रसिया, अमेरिका के समकक्ष होगी: 400 करोड़ की लागत से बन रही लैब, जैब-केमिकल सुरक्षा में देश होगा आत्मनिर्भर

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ग्वालियर19 मिनट पहले
डीआरडीई के अन्तर्गत बन रही है बीएसएल-4 लैब, देश बनेगा आत्मनिर्भर
ग्वालियर में DRDE (रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना) की BSL-4 लैब बनने के बाद भारत बायोलॉजिकल एवं केमिकल सुरक्षा और अनुसंधान में आत्मनिर्भर बन जाएगा। दोनों ही क्षेत्रों में डिटेक्शन संबंधी अनुसंधान एवं बायो डिटेक्टर संबंधी अनुसंधान भी अब लैब में किए जाएंगे। इसके लिए 400 करोड़ की लागत वाला BSL-4 (बायोलॉजिकल सेफ्टी लैब-4) का शिलान्यास मंगलवार को देश की राष्ट्रपति द्रौपती मुर्मू ने वर्चुअली रूप से किया है। भोपाल में उनके बटन दबाते ही यहां शिलान्यास हुआ। इस लैब में कोरोना जैसे सूक्ष्मजीव पर अनुसंधान किया जा सकेगा। इससे देश में ग्वालियर का नाम होगा।

बीएसएल-4 लैब का शिलान्यास करते हुए
ग्वालियर स्थित DRDO की एक महत्त्वपूर्ण प्रयोगशाला रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना की महाराजपुरा साइट पर एक विश्व स्तरीय BSL-4 प्रयोगशाला का शिलान्यास मंगलवार को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा किया गया है। राष्ट्रपति राजभवन भोपाल के कार्यक्रम स्थल से दूरस्थ माध्यम द्वारा ग्वालियर स्थित प्रयोगशाला का शिलान्यास किया। इस अवसर पर भोपाल राज्यपाल मंगुभाई पटेल एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा DRDO के महानिदेशक (जैव विज्ञान) डॉ. यूके सिंह मौजूद रहे। यहां महाराजपुरा, ग्वालियर स्थित साइट पर DRDE के निदेशक डॉ. मनमोहन परीडा और वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ-साथ ग्वालियर के सांसद विवेक शेजवलकर, पूर्व विधायक मुन्ना लाल गोयल एवं रमेश अग्रवाल, ग्वालियर के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कमिश्नर नगर निगम किशोर कन्याल, CEO जिला पंचायत आशीष तिवारी भी विशेष रूप से मौजूद रहे।
लैब में खतरनाक सूक्ष्मजीवों पर रिसर्च होगा
– ग्वालियर के DRDE (रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना) की BSL-4 लैब देश की दूसरी और रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत पहली प्रयोगशाला होगी। इस लैब में खतरनाक सूक्ष्मजीवों पर अनुसंधान कार्य संभव होगा और भविष्य में होने वाली आपदाओं का सामना प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा। इसमें कोरोना जैसे वायरस पर रिसर्च किया जाएगा। यह लैब साल 2026 तक बनकर तैयार हो जाएगी और इसमे अनुसंधान कार्य आरंभ हो जाएंगे। इससे ग्वालियर का देश और देश का दुनिया में नाम होगा।
तीन लेयर की सुरक्षा होगी
DRDE की BSL-4 लैब में अनुसंधान कक्ष की सुरक्षा तीन लेयर की होगी। मतलब लैब मंे रिसर्च करने वाले साइंटिस्ट को तीन गेट से होकर गुजरना होगा। सभी गेट ग्लास व फाइबर से बने होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि यह लैब में जिन सूक्ष्म जीव का अनुसंधान होगा वह बहुत ही खतरनाक होंगे। किसी तरह वहां से कोई वायरस बाहर निकलता है तो यह हवा के साथ तेजी से फैल सकता है। ऐसा अभी हाल में कोरोना के समय खबरों में सुनाई दिया था कि चीन के किसी शहर में कोरोना पर अनुसंधान करते समय वायरस फैल गया था और उसके बाद काफी बुरे परिणाम सामनेआए थे।
चीन, रसिया व अमेरिका को टक्कर देगी BSL-4 लैब
BSL-4 लैब देश की पहली आधुनिक बायोलॉजिकल सेफ्टी लैब होगी। यह लैब अमेरिका, रूस एवं चीन के समकक्ष होगी। ऐसी आधुनिक सुविधाओं वाली लैब अभी भारत में कोई नहीं है। अभी देश में पुणे स्थित बायोलॉजिकल लैब ही सबसे आधुनिक है लेकिन इस लैब में उपकरण काफी पुराने हैं। ग्वालियर की नई लैब में अत्याधुनिक उपकरण लगाए जाएंगे। लैब को थ्री लेयर सिक्युरिटी में बनाया जाएगा। इस लैब में विशेष अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिक एक विशेष सुरक्षित सूट पहन कर ही प्रवेश कर सकेंगे। इस लैब में हवा व प्रकाश का भी प्रवेश नहीं होगा। लैब के अंदर हवा फिल्टर होकर ही प्रवेश करेगी और लैब से बाहर भी हवा फिल्टर होकर ही निकलेगी। लैब में इमरजेंसी एग्जिट भी रहेगा। इस आधुनिक लैब में सभी तरह के बैक्टीरिया एवं वायरस पर रिसर्च तत्परता एवं सुरक्षा से किया जा सकेगा।
सेना की छावनी जैसी सुरक्षा में होगी BSL-4 लैब
नई लैब की सुरक्षा के लिए 140 एकड़ के परिसर मैं लगभग 500 मीटर की दूरी पर एक वॉच टावर निर्माण किया जाएगा। लगभग 100 वॉच टावर परिसर के चारों ओर बनाए जाएंगे। इन टावरों पर सशस्त्र बल के जवान आधुनिक हथियारों के साथ लैब की सुरक्षा के लिए तैनात किए जाएंगे। सेना की छावनी जैसा नजारा होगा।
जैव रासायनिक सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनेंगे
DRDE की ओर से बताया गया है कि स्वतंत्रता के 75 वें अमृत उत्सव में देश को जैव एवं रासायनिक सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। DRDE की नई लैब इस दिशा में काम करेगी।
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