मंदिरों की जमीन पर कब्जा: धार में मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए सरकार के पास पैसा नहीं, 5 साल से मांगे जा रहे है 2.5 करोड़

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धार19 मिनट पहले

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धार में देवस्थानों के रूप में धार्मिक सम्पदा भरपूर है। ग्रामीण क्षेत्र में सरकार अधीन ही 1200 से अधिक मंदिर है। इन मंदिरों के संचालन के लिए बड़ी संख्या में मंदिर के पास जमीन भी मौजूद है। इन सबके बावजूद सरकार के अधीन मंदिरों की स्थिति अच्छी नहीं है। मंदिरों का रखरखाव नहीं हो पा रहा है। वहीं मंदिरों की संपत्तियों पर कब्जे संबंधी केस भी अटके पड़े है।

ऐसी स्थिति में जिन मंदिरों की आय नहीं है उनका रखरखाव भी प्रभावित हो रहा है। ऐसे ही मंदिरों में धार के राजबाड़ा चौक स्थित 180 वर्ष प्राचीन स्टेट काल में निर्मित श्री दुर्गा विनायक गणपति मंदिर शामिल है। पिछले 5 साल से मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए सरकार से ढ़ाई करोड़ रुपए के कार्य के प्रस्ताव स्वीकृति के पश्चात राशि मांगी जा रही है, लेकिन धर्मस्व और न्यास विभाग द्वारा राशि नहीं दी जा रही है। मार्च 2022 में लिखे गए अंतिम पत्र का जवाब भी नहीं आया है।

आगजनी में प्रभावित हुआ प्राचीन मंदिर

धार का गणपति मंदिर आयुक्त अधीन मंदिर है। फरवरी 2018 में अज्ञात कारणों से मंदिर आग की चपेट में आ गया था। घटना के बाद मंदिर के पुराने वैभव को पुन: स्थापित करने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यों को लेकर करीब ढ़ाई करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट बनाया गया था। इसकी तकनीकी स्वीकृति भी प्राप्त हो गई थी। इसके बाद से राशि लाने के लिए पत्र भेजने के बावजूद पैसा नहीं मिल रहा है।

इस मामले में धार जिले के जनप्रतिनिधि और अन्य संगठन भी मौन बैठे हैं। आगजनी के बाद तीन कमिश्नर और 5 कलेक्टर के तबादले हो गए। सभी ने दौरे किए और मंदिर को जल्द रिनोवेट करने का दावा किया। प्राचीन दुर्गाविनायक गणपति मंदिर के दोनों और दुकानों और मकानों में किरायेदार काबिज है। फ्रंट के हिस्से में भी लोगों की दुकानें है। आगजनी में एक हिस्सा पूरा स्वाहा हो गया था। बोहरा बाखल वाले मार्ग वाले हिस्से की दुकानें भी प्रभावित हुई थी। मंदिर और मूर्ति बच गए थे। करीब 22 दुकानें यहां पर मौजूद है। 17 दुकान निर्माण सहित मंदिर गर्भगृह एवं अन्य कार्यों को लेकर ढ़ाई करोड़ का प्लान तैयार किया गया है।

भगवान की भूमि पर कब्जे

श्री दुर्गा विनायक गणपति मंदिर निर्माण के साथ उसके रखरखाव के लिए बदनावर के आसपास के गांवों में बड़ी कृषि भूमियां रखी गई थी। भगवान की भूमि पर रसूकदारों के कब्जे हो गए है। कब्जों पर ध्यान नहीं दिया। नतीजे में अब मामला कोर्ट में प्रक्रियाधीन है। यहां पर भी मुकदमें लड़ने की गति धीमी है। भगवान की भूमि कब्जा मुक्त होती तो सरकार की और जीर्णोद्धार के लिए हाथ फैलाने की नौबत नहीं आती। करीब ढ़ाई करोड़ रूपए में मंदिर को उसके पुराने कास्ठ निर्माण के अनुरुप सुंदर बनाने के साथ भव्य द्वार, दुकानों का निर्माण सहित अंदर सुंदर मंदिर परिदृश्य निर्माण के लिए काम होना है। आगजनी में मंदिर का एक बड़ा हिस्सा जलने से रिक्त हो गया है। इस पर अन्य विभागों की नजर है। ऐसी स्थिति में देव स्थानों को बचाने के लिए सरकार को पैसा देना चाहिए।

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