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FMCG प्रोडक्‍ट पर आई र‍िपोर्ट देखकर चौंक जाएंगे आप, धड़ल्‍ले से ब‍िक रहे नकली कपड़े

आप ऑनलाइन शॉपिंग करें या ऑफलाइन, लेकिन यह रिपोर्ट आपको हैरान जरूर करेगी। जी हां, देश में बिकने वाले करीब 25-30 फीसदी उत्पाद नकली होते हैं। यह प्रवृत्ति सबसे अधिक कपड़े और एफएमसीजी (दैनिक उपयोग के सामान के निर्माता) क्षेत्र में दिखाई दे रही है। इसके अलावा फार्मास्युटिकल, व्हीकल और कंज्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर में भी काफी संख्या में नकली उत्पाद देखे जा रहे हैं। एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक अपैरल सेक्टर के करीब 31 फीसदी उत्पाद नकली पाए जाते हैं, जबकि रोजमर्रा के उत्पादों के मामले में यह अनुपात 28 फीसदी है.

20 फीसदी दवा उत्पाद नकली हैं

वाहन क्षेत्र की बात करें तो 25 प्रतिशत उत्पाद नकली हैं। क्रिसिल और ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन प्रोवाइडर्स एसोसिएशन द्वारा जारी इस संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक, फार्मास्युटिकल और फार्मास्युटिकल सेक्टर के 20 फीसदी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर के 17 फीसदी और एग्रो-केमिकल सेक्टर के 16 फीसदी उत्पाद नकली पाए गए हैं. इस रिपोर्ट की खास बात यह है कि 27 फीसदी खरीदारों को पता भी नहीं होता कि वे नकली उत्पाद खरीद रहे हैं.

31 फीसदी लोग जानबूझकर नकली उत्पाद खरीदते हैं। यह रिपोर्ट दिल्ली, आगरा, जालंधर, मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर, इंदौर, कोलकाता, पटना, चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद शहरों में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई है। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के वरिष्ठ निदेशक सुरेश कृष्णमूर्ति ने रिपोर्ट के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि नकली उत्पाद केवल लक्जरी उत्पादों तक ही सीमित नहीं हैं। आम उत्पादों की भी तेजी से नकल हो रही है।

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