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Chandrayaan-3 : पृथ्वी की कक्षा से निकल चंद्रमा की ओर जाने वाले हाइवे पर पहुंचा चंद्रयान, अब छह दिन इसी पर करनी है यात्रा

बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का चंद्रयान-3 एक अगस्त की रात 12 से 1 के बीच धरती के चारों तरफ पांचवें ऑर्बिट से ट्रांस लूनर ट्रैजेक्टरी में डाला गया. इस प्रक्रिया को ट्रांस लूनर इंजेक्शन कहते हैं. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि चंद्रयान-3 ने पृथ्वी के आसपास अपनी कक्षाओं का चक्कर पूरा कर लिया है और अब वह चंद्रमा की ओर जाने वाले हाईवे की ओर आगे बढ़ रहा है।

वैसे इसरो ने इस काम के लिए चंद्रयान-3 के इंटिग्रेटेड मॉड्यूल के इंजन को करीब 20 से 26 मिनट के लिए ऑन किया था. प्लानिंग तो 12:03 से 12:23 बजे के बीच ये काम करने की थी. लेकिन इसरो वैज्ञानिक एक घंटे का मार्जिन लेकर चल रहे थे. ताकि किसी तरह की अनजान समस्या से निपटा जा सके.

अभी इतनी गति से जा रहा है चंद्रयान-3

फिलहाल चंद्रयान-3 की गति 1 किलोमीटर प्रति सेकेंड से 10.3 किलोमीटर प्रति सेकेंड के बीच रह रही है. यानी जब चंद्रमा धरती के नजदीक आता है, जिसे पेरीजी कहते हैं, तब उसकी गति 37,080 किलोमीटर प्रतिघंटा रहती है. जब वह एपोजी यानी दूर जाता है. तब उसकी गति 3600 किलोमीटर प्रतिघंटा रहती है. ट्रांस लूनर इजेक्शन के लिए गति को बढ़ाना होगा. साथ ही चंद्रयान-3 के एंगल को भी बदलना होगा. ये काम चंद्रयान के धरती के नजदीक यानी पेरीजी पर किया जाएगा.

लैंडर में लगे हैं ऐसे यंत्र जो खुद कराएंगे लैंडिंग

चंद्रयान-3 के लैंडर में लेजर एंड RF बेस्ड अल्टीमीटर्स, लेजर डॉपलर वेलोसिटीमीटर लगे हैं. ये उसके इंजन को यानी आगे बढ़ाने या फिर डिएक्सीलिरेट मतलब गति धीमी करने में मदद करेंगे. ऑनबोर्ड कंप्यूटर यह तय करेगा कि कौन सा इंजन किस समय कितनी देर के लिए ऑन किया जाएगा. यान किस दिशा में जाएगा. लैंडिंग की जगह चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने फिक्स कर दी है.

लैंडिंग के समय धीरे-धीरे थ्रॉटल कम करेंगे. एक या दो किलोमीटर की ऊंचाई पर आने के बाद करीब 15 मीटर प्रति सेकेंड की गति से नीचे उतरेगा. लैंडर के लेग्स तीन किलोमीटर प्रति सेकेंड को बर्दाश्त कर लेंगे. इंजन से निकलने वाले धूल से बचने के लिए ऐसा किया जाएगा

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