सागर में MP का दूसरा महाकाल मंदिर!: खैजरा में 9 सालों में महाकाल का हूबहू मंदिर बनाया, खासियत-मंदिर का निर्माण 108 पुष्य नक्षत्र में किया गया

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सागर9 मिनट पहले
सागर के खैजरा में विराजे उज्जैन के महाकाल की प्रतिकृति के रूप में बुंदेलखंड के महाकाल।
उज्जैन महाकाल मंदिर की तर्ज पर सागर से 25 किमी दूर स्थित ग्राम खैजरा में हूबहू महाकाल मंदिर बनाया गया है। जिसे बुंदेलखंड का महाकाल मंदिर नाम दिया गया है। खास बात यह है कि मंदिर में भगवान का गर्भगृह उज्जैन के महाकाल मंदिर के गर्भगृह की प्रतिकृति है जो भी भक्त मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए पहुंचता है वह चौंक जाता है।
गर्भगृह में जरा भी आभास नहीं होता है कि वह महाकाल मंदिर में नहीं है। क्योंकि मंदिर हूबहू महाकाल मंदिर की तरह ही बनाया गया है। मंदिर की खासियत यह है कि इस मंदिर का निर्माण सिर्फ पुष्य नक्षत्र के दिन ही हुआ है। 9 सालों में 108 पुष्य नक्षत्र में बुंदेलखंड का महाकाल मंदिर बनकर तैयार हुआ है। मंदिर के शिखर पर महाकाल मंदिर की तरह ही नागचंद्रेश्वर मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है, जो सिर्फ नागपंचमी के दिन ही खोला जाएगा।

उज्जैन महाकाल की तर्ज पर बनाया गर्भगृह।
उज्जैन के शिवलिंग की प्रतिकृति विराजीं, गर्भगृह की डिजाइन भी एक जैसी
खैजरा महाकाल धाम में उज्जैन के महाकाल मंदिर में विराजे शिवलिंग की हूबहू प्रतिकृति की स्थापना की गई है। गर्भगृह भी महाकाल मंदिर के गर्भगृह की काफी है। मंदिर में शिवलिंग, प्रवेश व निकास द्वार, दिशा, डिजाइन व वास्तुशास्त्र में महाकाल मंदिर जैसे ही तैयार किया गया। इस मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से भक्त खैजरा पहुंच रहे हैं।
मंदिर का निर्माण सिर्फ पुष्य नक्षत्र में हुआ, 9 सालों में बन सका
खैजरा धाम में बनाए गए महाकाल मंदिर के पुजारी महेश तिवारी बताते हैं कि महाकाल मंदिर का निर्माण सिर्फ पुष्य नक्षत्र के दिन ही कराया गया है। महीने में एक दिन पुष्य नक्षत्र आता है। यानी महीने में एक दिन ही 24 घंटे मंदिर का निर्माण कराया गया। इस प्रकार वर्ष 2013 से शुरू हुआ मंदिर का निर्माण कार्य 108 पुष्य नक्षत्र में वर्ष 2022 में पूरा हो सका। 41 फीट ऊंचे महाकाल मंदिर में शिखर का निर्माण कार्य चल रहा है। मंदिर की संरचना से लेकर, महाकाल की मूर्ति, प्रवेश स्थल और काफी कुछ उज्जैन की तरह ही हूबहू काम जनसहयोग से किया गया है।

खैजरा में बना महाकाल मंदिर।
चेन्नई के पत्थर से जयपुर में बना शिवलिंग
महाकाल मंदिर में भगवान की स्थापना करने के लिए चेन्नई से पत्थर खरीदा गया। जिसके बाद जयपुर में शिवलिंग का निर्माण कराया गया। शिवलिंग निर्माण में ध्यान रखा गया कि उक्त शिवलिंग महाकाल मंदिर में विराजे भगवान महाकाल की प्रतिकृति हो। जिसके बाद शिवलिंग का निर्माण कराया गया। जयपुर से शिवलिंग को पुष्य नक्षत्र में खैजरा लाया गया। जहां भगवान की स्थापना की गई और मंदिर 2022 में भक्तों के लिए दर्शन करने खोला गया है।
गरीब तबके के लोग कर सकेंगे महाकाल के दर्शन
मंदिर के पुजारी पं. तिवारी बताते हैं कि वर्ष 1904 से हमारे पूर्वज पंडित शिवराम तिवारी ने गांव में दरबार लगाना शुरू किया था। काल भैरव की स्थापना की थी। तभी से परिवार भगवान महाकाल से जुड़ा हुआ है और पूजा-अर्चना करते आ रहा है। इस समय मैं चौथी पीढ़ी में भगवान महाकाल की सेवा कर रहा हूं। सागर में हूबहू महाकाल मंदिर बनाने के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि बुंदेलखंड क्षेत्र में गरीब तबके के ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो भगवान महाकाल के दर्शन नहीं कर पाते हैं। यदि कोई पहुंच भी जाए तो वहां गर्भगृह में इच्छानुसार दर्शन नहीं कर पाता है। ऐसे भक्तों के लिए खैजरा में भगवान महाकाल की प्रतिकृति की स्थापना की गई है। ताकि भक्त यहां आकर भगवान महाकाल के दर्शन कर सकें। दर्शन के दौरान उन्हें अहसास हो की वह उज्जैन में ही भगवान महाकाल के दर्शन कर रहे हैं।
पुष्य नक्षत्र में इसलिए कराया निर्माण
पंडित बताते हैं कि शास्त्रों के अनुसार आकाश मंडल में 27 नक्षत्र होते हैं। इनमें पुष्य नक्षत्र सबसे शुभ माना जाता है। यह नक्षत्र भगवान का भी कहा जाता है। यह नक्षत्र इतना शुभ है कि बगैर पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। इसमें सभी अशुभ योगों को दूर करने की क्षमता होती है। पुष्य को ऋग्वेद में तिष्य अर्थात शुभ या मांगलिक तारा कहते हैं। शुभ होने के कारण ही महाकाल मंदिर का निर्माण पुष्य नक्षत्र में कराया गया है। मंदिर के पुजारी तिवारी का दावा है कि यह मंदिर दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसका पूरा निर्माण सिर्फ पुष्य नक्षत्र के दिन ही हुआ है।

मंदिर के शिखर पर चल रहा नाग चंद्रेश्वर मंदिर के निर्माण का कार्य।
मंदिर के शिखर पर बन रहा नागचंद्रेश्वर मंदिर
खैजरा के महाकाल मंदिर के शिखर का निर्माण कार्य चल रहा है। यहां शिखर पर उज्जैन के महाकाल मंदिर की तरह ही नाग चंद्रेश्वर मंदिर बनाया जा रहा है। जिसमें भगवान नाग चंद्रेश्वर की स्थापना की जाएगी। जिसके बाद नागपंचमी पर्व पर ही 24 घंटों के लिए इस मंदिर को खोला जाएगा। इसके अलावा मंदिर का शिखर भी महाकाल मंदिर के शिखर की हूबहू काफी बनाया जाएगा।

11 अक्टूबर को होगा अभिषेक और सुंदरकांड का पाठ
उज्जैन में बने महाकाल लोक या महाकाल कॉरिडोर का उद्धाटन 11 अक्टूबर को होगा। उद्धाटन समारोह में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। इस अवसर पर सागर के खैजरा में बने महाकाल मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। यहां सुबह से ही भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया जाएगा। साथ ही सुंदरकांड का पाठ होगा।
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