एमपी की हैंडबॉल प्रतियोगिता में स्कैम: स्टेट लेवल कॉम्पिटिश में कैसे और क्यों हो रहा फर्जीवाड़ा, देखिए भास्कर की इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट

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शुजालपुर19 मिनट पहले
हैंडबॉल प्रतियोगिता फर्जीवाड़े का खुलासा
एमपी के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के गृह नगर शुजालपुर में हुई राज्य स्तरीय हैंडबॉल प्रतियोगिता में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फर्जी खिलाड़ियों को टीम में खिलाकर सेमीफाइनल जीतकर फाइनल तक जा पहुंची।
शहडोल की टीम को शिकायत के बाद बाहर कर दिया गया, लेकिन भास्कर ने जब इस मामले की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। स्पोर्ट्स कोटे में मिलने वाली नौकरी के लिए बोनस अंक पाने के लिए कैसे सरकारी अफसरों की नाक के नीचे यह फर्जीवाड़ा हुआ और होता आया है, देखिए भास्कर की पड़ताल में…
शुजालपुर में 16 से 20 अक्टूबर तक हुई राज्य स्तरीय हैंडबॉल प्रतियोगिता में मध्य प्रदेश के 10 संभाग की टीम के 320 खिलाड़ी शामिल हुए। पहले लीग मैच से लेकर सेमीफाइनल तक धुआंधार प्रदर्शन करते हुए शहडोल की टीम एकतरफा जीत हासिल कर फाइनल में पहुंची। मैदान पर चीते जैसी रफ्तार रखने वाले शहडोल के 4 खिलाड़ियों की रीवा संभाग के खिलाड़ियों ने शिकायत की, तो अफसरों के होश उड़ गए।
शालेय याने स्कूल के खिलाड़ियों की स्पर्धा में शहडोल की टीम की तरफ से खेल रहे चार खिलाड़ी स्कूल मे दर्ज ही नहीं थे, लेकिन अपनी अंकसूची में एडिटिंग कर उन्होंने खुद को स्कूल का विद्यार्थी बताया। फर्जी दस्तावेज अफसरों ने प्रमाणित कर उन्हें राज्य स्तर की स्पर्धा तक खेलने का मौका दिया। जांच में सामने आया कि ऋतुराज ने अपने छोटे भाई पृथ्वीराज की अंकसूची पर अपना नाम चस्पा कर खुद को स्कूल में दर्ज होना बताया।
इन चार खिलाड़ियों ने दाखिल किए फर्जी दस्तावेज, टीम को पहुंचाया फाइनल में




जांच में शिक्षा विभाग के पोर्टल पर जब समग्र आईडी डाल कर जांच की गई तो किसी भी स्कूल की मैपिंग में ऋतुराज का नाम दर्ज नहीं मिला, याने ऋतुराज इस वर्ष किसी भी स्कूल में नहीं पढ़ रहा। अमरीश पिता मार्तंड पांडे, संदीप पिता राम प्रसाद चौधरी, अनुराग पिता चिंतामण यादव ने अपनी कक्षा दसवीं की परीक्षा की अनुसूची में वर्ष का अंक एडिट कर खुद को स्कूल का विद्यार्थी होना बताया। इन तीनों के नाम भी किसी स्कूल में सरकारी पोर्टल पर मैपिंग में दर्ज नहीं मिले।
इसलिए किया फर्जीवाड़ा
खेल शिक्षकों व स्पर्धा के आयोजकों द्वारा की गई जांच के अनुसार माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड द्वारा तथा अन्य शैक्षणिक संस्थानों द्वारा जारी की जाने वाली बोर्ड परीक्षा की अंकसूचियों में नीचे राज्य/ राष्ट्रीय/ अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में शामिल होने पर अतिरिक्त बोनस अंक अंकित किए जाते हैं। इन अंकों के आधार पर कॉलेज में एडमिशन से लेकर स्पोर्ट्स कोटे में रोजगार पाने मैं मिलने वाली प्राथमिकता को हासिल करने यह फर्जीवाड़ा किया गया। ये भी पढ़े
सब फर्जी, फिर भी ऐसे बच निकलते
खेल स्पर्धा में शामिल होने से पहले योग्यता संबंधी सभी प्रमाण पत्रों में फर्जीवाड़ा होने के बाद भी यह पकड़ में इसलिए नहीं आता क्योंकि खेल शिक्षक अपने नंबर (साख/रुतबा) बढ़ाने के लिए कॉलेज के या उम्र में बड़े विद्यार्थियों को अपने स्कूल में दर्ज दिखाकर अपनी टीम में खेल खिलाते हैं, ताकि वह स्कूल के अन्य टीम के विद्यार्थियों को आसानी से पटकनी दे सके। खिलाड़ियों के दस्तावेजों की क्रॉस चेकिंग केवल शिकायत होने पर की जाती है। पात्रता संबंधित सभी प्रक्रिया ऑनलाइन होने व स्कूल की मैपिंग, स्कॉलर नंबर से क्रॉस चेकिंग मे ही यह पकड़ा जा सकता है। एमपी में फिलहाल यह व्यवस्था ऑनलाइन नहीं है।

जांच में ऋतुराज की अंकसूची असल में निकली पृथ्वीराज की,जो स्कूल में दर्ज नहीं

अंकसूची में परीक्षा देना 2021 में दर्ज, अंकसूची 2020 में जारी होना दर्ज
पहला मामला नहीं, पकड़े गए इसलिए उछला
जांच कर रहे हैं अफसरों का कहना है कि यह पहला ऐसा मामला नहीं है, खिलाड़ियों के दस्तावेजों के परीक्षण की प्रक्रिया में विसंगति होने से लगभग हर टीम में 12 ऐसे खिलाड़ी होना संभव है। सुजालपुर में फर्जीवाड़ा पकड़ आने के बाद भी शहडोल के खिलाड़ियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। टीम को प्रतियोगिता से बाहर कर कोच को नोटिस दिया गया, जिसमें उन्होंने भी दस्तावेजों में त्रुटि होने पर नियमानुसार कार्रवाई के लिए सहमति दी। स्पर्धा के आयोजकों ने अभी तक इस मामले में कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की है। नियमानुसार दस्तावेजों को सत्यापित करने वाले अ वर्ग के एक्सीलेंस स्कूल के प्राचार्य सहित अन्य अफसरों पर भी कानूनी कार्रवाई की जाना चाहिए।
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